Magh Poornima 2023 : माघ पूर्णिमा के दिन बन रहा है चार शुभ योग, मिलेगा पुण्य
हिंदू धर्म में माघ पूर्णिमा का बेहद खास महत्व है.
नई दिल्ली :
Magh Poornima 2023 : हिंदू धर्म में माघ पूर्णिमा का बेहद खास महत्व है. इसदिन व्रत रखने से और स्नान-दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. माघ पूर्णिमा के अवसर पर प्रयागराज में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. इस दिन व्रत रखने से 10 हजार अश्वमेध यज्ञ के बराबर फल की प्राप्ति होती है. इस दिन सत्यनारायण भगवान की पूजा की जाती है. माघ पूर्णिमा के दिन चंद्रमा और मां लक्ष्मी की पूजा विशेष रुप से की जाती है. तो आइए आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे कि माघ पूर्णिमा कब है, महत्व क्या है.
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जानिए कब है माघ पूर्णिमा
हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 04 फरवरी 2023 को रात 09:29 मिनट से लेकर अगले दिन दिनांक 05 फरवरी 2023 को रात 11:58 मिनट तक रहेगा.
इस दिन बन रहा है चार शुभ योग
माघ पूर्णमा के दिन चार शुभ योग बन रहा है. इस दिन पहला योग आयुष्मान योग बन रहा है और ये योग दोपहर 02:42 मिनट तक रहेगा. इसके बाद सौभाग्य योग प्रारंभ हो जाएगा. इस दिन रवि पुष्य योग सुबह 07:07 मिनट से शुरु होकर 12:13 मिनट रहेगा. इसके बाद सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहा है, जो सुबह 07 बजकर 07 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 12 मिनट तक रहेगा.
क्या है महत्व?
माघ पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा और मां लक्ष्मी की पूजा करने से आपके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं, इसके साथ ही आप इस दिन केसर युक्त खीर का भोग अवश्य लगाएं.
इन बीज मंत्रों का करें जाप
'नमो स्तवन अनंताय सहस्त्र मूर्तये, सहस्त्रपादाक्षि शिरोरु बाहवे।
सहस्त्र नाम्ने पुरुषाय शाश्वते, सहस्त्रकोटि युग धारिणे नम:।।'
ॐ क्लीं श्रीविष्णवे नमः।।
ॐ क्लीं लक्ष्मीनारायणाय नमः।।
ॐ ॐ क्लीं बृहस्पतये नम:।।
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:।।
ॐ ऐं श्रीं बृहस्पतये नम:।।
ॐ गुं गुरवे नम:।।
करें विष्णु आरती
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी।
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय…॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय…॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय…॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय…॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय…॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय…॥
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