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Ghaghar Burhi Temple: आसनसोल के घाघर बूढ़ी मंदिर का क्या है इतिहास, जानें इसकी विशेषताएं

Ghaghar Burhi Temple: घाघर बूढ़ी मंदिर आसनसोल में स्थित है और यहां साल भर भक्त दर्शन के लिए आते हैं. इस मंदिर का ऐतिहासिक महत्व और धार्मिक महत्व है जो इसे हिंदू धर्म के प्रमुख स्थलों में गिनाता है.

Updated on: 12 Apr 2024, 03:27 PM

नई दिल्ली:

Ghaghar Burhi Temple: घाघर बूढ़ी मंदिर आसनसोल, पश्चिम बंगाल में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है. यह मंदिर देवी काली को समर्पित है और इसे आसनसोल का सबसे पुराना मंदिर माना जाता है. यह मंदिर काली पहाड़ी पर स्थित है और नूनिया नदी के तट पर स्थित है. मंदिर के इतिहास की बात करें तो इस मंदिर का इतिहास 550 साल से भी पुराना है. कहा जाता है कि यह मंदिर कंगाली चरण नामक एक व्यक्ति द्वारा स्थापित किया गया था. कंगाली चरण जंगल में लकड़ी काटने गए थे, जब उन्हें देवी काली का दर्शन हुआ. उन्होंने देवी को प्रसन्न करने के लिए मंदिर का निर्माण करवाया. घाघर बूढ़ी मंदिर हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है. यह मंदिर शक्ति और साहस की देवी देवी काली को समर्पित है. यहां साल भर भक्त दर्शन के लिए आते हैं. विशेष रूप से नवरात्रि और काली पूजा के दौरान यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. मंदिर काली पहाड़ी पर स्थित है, जिससे आसपास के इलाकों का मनोरम दृश्य दिखाई देता है. मंदिर का मुख्य गर्भगृह देवी काली की प्रतिमा से सुसज्जित है. मंदिर परिसर में शिव, गणेश, हनुमान और नवग्रहों के मंदिर भी हैं. मंदिर के पास नूनिया नदी बहती है, जिसका पवित्र जल भक्त ग्रहण करते हैं.

घाघर बूढ़ी मंदिर की विशेषताएं

1. धार्मिक महत्व: यह मंदिर शक्ति और साहस की देवी देवी काली को समर्पित है. हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व है. यहां साल भर भक्त दर्शन के लिए आते हैं. नवरात्रि और काली पूजा के दौरान यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. 

2. ऐतिहासिक महत्व: कंगाली चरण नामक एक व्यक्ति द्वारा स्थापित, यह मंदिर 550 साल से भी पुराना है. आसनसोल का सबसे पुराना मंदिर माना जाता है. देवी काली के दर्शन के लिए कंगाली चरण को प्रेरित करने वाली घटना का ऐतिहासिक महत्व है. 

3. स्थापत्य कला: मंदिर काली पहाड़ी पर स्थित है, जिससे आसपास के इलाकों का मनोरम दृश्य दिखाई देता है. मंदिर का मुख्य गर्भगृह देवी काली की भव्य प्रतिमा से सुसज्जित है. मंदिर परिसर में शिव, गणेश, हनुमान और नवग्रहों के मंदिर भी हैं. नूनिया नदी के किनारे मंदिर का शांत और पवित्र वातावरण आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है.

4. त्योहार और उत्सव: नवरात्रि और काली पूजा के दौरान मंदिर में विशेष पूजा और उत्सव आयोजित किए जाते हैं. भक्त माता काली को भोग लगाते हैं और आरती में भाग लेते हैं. मंदिर के आसपास मेला भी लगता है.

5. पर्यटन: घाघर बूढ़ी मंदिर आसनसोल में सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है. हिंदू तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए यह एक महत्वपूर्ण स्थान है. मंदिर की धार्मिक, ऐतिहासिक और वास्तुशिल्पीय महत्व इसे दर्शनीय बनाता है.

घाघर बूढ़ी मंदिर आध्यात्मिक शांति और सुंदरता का अनुभव करने के लिए एक आदर्श स्थान है. यदि आप आसनसोल की यात्रा कर रहे हैं, तो यह मंदिर निश्चित रूप से आपके दर्शन के योग्य है.
 
मंदिर सुबह 5 बजे से शाम 7 बजे तक खुला रहता है. प्रवेश शुल्क निःशुल्क है. मंदिर परिसर में भोजन और पानी की सुविधा उपलब्ध है. मंदिर के पास कई दुकानें हैं जहां आप धार्मिक सामग्री और स्मृति चिन्ह खरीद सकते हैं.

यहां रहने की व्यवस्था अगर आप देख रहे हैं तो मंदिर परिसर में धर्मशाला उपलब्ध है. आसपास के इलाकों में कई होटल और गेस्ट हाउस भी हैं. घाघर बूढ़ी मंदिर आध्यात्मिक शांति और सुंदरता का अनुभव करने के लिए एक आदर्श स्थान है. आप आसनसोल की यात्रा कर रहे हैं, तो यह मंदिर निश्चित रूप से आपके दर्शन के योग्य है.

यहां कैसे पहुंचें: घाघर बूढ़ी मंदिर आसनसोल शहर से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. आप टैक्सी, ऑटो या बस से मंदिर तक पहुंच सकते हैं. नूनिया नदी के किनारे नाव की सवारी भी एक लोकप्रिय विकल्प है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)