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Good Friday 2024: बहुत खास है ये दिन, जानें इसका इतिहास और महत्व

गुड फ्राइडे दुनिया भर के ईसाइयों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है. गुड फ्राइडे, उसके बाद ईस्टर रविवार, यीशु मसीह के सूली पर चढ़ने और पुनरुत्थान की याद में मनाया जाता है.

Updated on: 29 Mar 2024, 09:25 AM

नई दिल्ली :

Good Friday meaning: गुड फ्राइडे दुनिया भर के ईसाइयों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है. गुड फ्राइडे, उसके बाद ईस्टर रविवार (Easter Sunday), यीशु मसीह के सूली पर चढ़ने और पुनरुत्थान की याद में मनाया जाता है. मानवता के लिए यीशु मसीह की पीड़ा के प्रति श्रद्धा दिखाने के लिए इस खास दिन को मनाया जाता है. इस साल 2024 में यह दिन ईस्टर रविवार (31 मार्च) से पहले 29 मार्च को मनाया जाएगा. बता दें कि, गुड फ्राइडे से पहले मौंडी गुरुवार (Maundy Thursday) और उसके बाद पवित्र शनिवार (Holy Saturday) आता है. बता दें कि इसे होली फ्राइडे, ग्रेट फ्राइडे, ग्रेट एंड होली फ्राइडे और ब्लैक फ्राइडे के नाम से भी जाना जाता है. 

गुड फ्राइडे का इतिहास

गुड फ्राइडे वह दिन है जब यीशु को रोमनों द्वारा सूली पर चढ़ाया गया था. यहूदी धार्मिक नेताओं ने ईश्वर के पुत्र होने का दावा करने के लिए यीशु की ईशनिंदा की निंदा की थी. वे यीशु के कृत्यों से इतने उत्तेजित हो गए कि वे उसे रोमियों के पास ले आए. रोमन नेता पोंटियस पिलाट ने यीशु को उस समय की उच्चतम आपराधिक सजा सुनाते हुए सूली पर चढ़ाने का आदेश दिया था.

यीशु को सार्वजनिक रूप से पीटा गया, और उपहास करने वाली भीड़ के बीच सड़कों पर एक भारी लकड़ी का क्रॉस ले जाने के लिए मजबूर किया गया. अंत में, उनकी कलाइयों और पैरों को पकड़कर सूली पर चढ़ा दिया गया, जहां वह तब तक सूली पर लटके रहे जब तक उनकी मृत्यु नहीं हो गई.

गुड फ्राइडे का महत्व

ईसाइयों के लिए, यीशु मसीह का क्रूस पर चढ़ना मानवता के पापों की क्षमा के लिए किए गए अंतिम बलिदान का प्रतीक है. इसलिए, यह दिन अपने पापों के लिए क्षमा मांगने के लिए मनाया जाता है. ईसाई धर्म के शुरुआती दिनों से, गुड फ्राइडे को दुःख, तपस्या और उपवास के दिन के रूप में मनाया जाता था.

लोग इस दिन प्रार्थना करते हैं कि उन्हें अपने जीवन में दर्द, कष्ट और पीड़ा से मुक्ति मिले. ईसाई मान्यताओं के अनुसार यीशु की मृत्यु सभी पापों के अंत का भी प्रतीक है. यह दर्शाता है कि सभी पापों के ख़त्म हो जाने के बाद, एक नई शुरुआत की संभावना है, जिसका संकेत ईस्टर रविवार को यीशु मसीह के पुनरुत्थान से मिलता है.