..तो सास से कभी नहीं होगा झगड़ा, सिर्फ करना होगा ये काम
दोनों की म्युच्युअल एंडरस्टैंडिंग अच्छी होनी चाहिए. अगर सास किसी बात पर बहू को फटकार भी दें तो बहू उसे आसानी से टैकल कर सुलझा सकती है. साथ ही एक दूसरे के प्रति प्रेम, सद्भाव और शांति और साझेदारी होनी चाहिए.
नई दिल्ली:
शादी होने के बाद लड़की दूसरे घर यानी पति के घर जाती है. लड़की या पत्नी के लिए ये घर बिलकुल नया होता है. यहां पर पत्नी की मुलाकात सास-ससुर और ननद से होती है. अगर ननद का विवाह हो गया तो घर में सिर्फ सास-ससुर होते हैं. पति के काम पर जाने के बाद पत्नी सास के साथ घर में रहती है. घर में रहने के कारण कई बार सास और बहू के बीच बातचीत होती है. लेकिन कई बार दोनों के बीच अनबन भी शुरू हो जाती है. छोटी-छोटी बातों पर दोनों के बीच कई बार हॉटटॉक भी हो जाता है. फिर विवाद पति और ससुर तक पहुंच जाता है. कई बार तो तौबत घर से बाहर निकलने तक आ जाती है. लेकिन बहू और सास के बीच अगर कुछ बातों पर सहमति बन जाए तो ये परेशानी कभी आएगी ही नहीं. इसके लिए बहू को भी कुछ बातों का ध्यान रखना होगा. वहीं, सास को भी अपना फर्ज निभाना होगा. इसमें दोनों की म्युच्युअल एंडरस्टैंडिंग अच्छी होनी चाहिए. अगर सास किसी बात पर बहू को फटकार भी दें तो बहू उसे आसानी से टैकल कर सुलझा सकती है.
समझदारी और समर्थन:
आपकी सास को समझें और उसे समर्थन दें। उसकी अच्छी बातों को समझें और उसे समर्थन महसूस करने का मौका दें।
संवाद कौशल:
अच्छे संवाद कौशल से सास-बहू के बीच स्पष्टता बनी रहती है। खुले दिल से बातचीत करें और अपने विचार व्यक्त करें।
समझदारी का माहौल:
घर में समझदारी का माहौल बनाए रखें। समस्याएं सामंजस्यपूर्ण रूप से हल करने के लिए सहमति बनाएं।
सान्त्वना और प्रशंसा:
सास की मेहनत और योगदान को सान्त्वना और प्रशंसा के साथ माने। उसका महत्वपूर्ण योगदान स्वीकार करें और उसे इसके लिए प्रशंसा करें।
. श्रद्धाभाव और आदर:
शादी के बाद आपकी सास को श्रद्धाभाव और आदर देना महत्वपूर्ण है। उसके साथ अच्छे संबंध बनाए रखने के लिए सदैव समर्पित रहें।
स्वयं को स्थानित करें:
अपने विचारों और इच्छाओं को सास के साथ साझा करें, लेकिन स्वयं को भी स्थानित करें। अपने आत्म-सम्मान को सुरक्षित रखें।
सजग रहें:
किसी भी स्थिति में सजग रहना और बुद्धिमानी से कार्रवाई करना जरूरी है। छोटी-मोटी बातों को हल करने के लिए उचित तरीके से स्वयं को व्यवस्थित रखें।
आपसी समर्थन:
अगर कोई समस्या उत्पन्न होती है, तो आपसी समर्थन का आदान-प्रदान करें। एक दूसरे का समर्थन करने के लिए तैयार रहें ताकि कोई भी समस्या समाधान हो सके।
साझेदारी का मौका:
सास से मिलकर साझेदारी के मौके को बनाए रखें। उसे आपके जीवन के हर क्षण में शामिल करने का मौका दें।
दूसरों के अच्छे गुणों की पहचान:
अपनी सास के अच्छे गुणों की पहचान करें और उन्हें समझें। इससे एक-दूसरे के प्रति आपसी आदर बढ़ता है और रिश्ते में मिठास बनी रहती है।
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