मणिपुर चुनाव: निर्दलीय MLA से 3 बार CM तक, कांग्रेस नेता ओ इबोबी सिंह का सियासी सफर
73 साल के राजनेता ओकराम इबोबी सिंह ने अपने हलफनामे में 2.94 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति घोषित की है. उन्होंने जानकारी दी है कि उन पर चार केस चल रहे हैं. इबोबी का विवाह लांधोनी देवी से हुआ है.
highlights
- ओ इबोबी सिंह और उनके परिवार पर वर्ष 2008 में उग्रवादियों का जानलेवा हमला
- पहली बार वर्ष 1984 में जीतने के बाद ओकराम इबोबी सिंह विधानसभा पहुंचे
- 2002 में कांग्रेस के टिकट से जीतने के बाद उन्हें मणिपुर का मुख्यमंत्री चुना गया
New Delhi:
मणिपुर में निर्दलीय विधायक से राजनीतिक सफर शुरू करने वाले ओकराम इबोबी सिंह 15 साल तक मुख्यमंत्री रहे. कांग्रेस की सत्ता में वापसी का जिम्मा इबोबी सिंह के कंधे पर ही माना जा रहा है. हांलाकि मणिपुर में कांग्रेस में सीएम फेस का ऐलान नहीं किया है. इसके बावजूद सिंह को मजबूत दावेदार माना जा रहा है. कांग्रेस नेता और मणिपुर के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके ओकराम इबोबी सिंह (Okram Ibobi Singh) का जन्म 19 जुलाई, 1948 को भारत के उत्तर पूर्वी क्षेत्र थोबल अथोकपम में हुआ था. सिंह ने स्नातक तक शिक्षा हासिल की है. ओकराम इबोबी सिंह के परिवार में पत्नी लंधोनी देवी के अलावा एक बेटा और दो बेटियां हैं. ओकराम इबोबी सिंह प्रदेश में राजनीति और समाज सेवा के लिए जाने जाते हैं. वह एक कुशल प्रशासक हैं.
73 साल के राजनेता ओकराम इबोबी सिंह ने अपने हलफनामे में 2.94 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति घोषित की है. उन्होंने जानकारी दी है कि उन पर चार केस चल रहे हैं. इबोबी का विवाह लांधोनी देवी से हुआ है, जिन्होने थौबल जिले के खंगाबोक विधानसभा से लगातार दो बार जीत हासिल की है. वह थौबल जिले की पहली महिला विधायक भी हैं. इबोबी सिंह वर्तमान में थौबल विधानसभा सीट से विधायक हैं. हालांकि, इस बार इस सीट पर उनके बेटे को कांग्रेस ने टिकट दिया है.
ओकराम इबोबी सिंह का राजनैतिक सफर
निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पहली बार वर्ष 1984 में विधानसभा चुनावों में जीतने के बाद ओकराम इबोबी सिंह विधानसभा पहुंचे. 1990 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ दोबारा विधानसभा पहुंचे. अपने इस कार्यकाल में उन्हें मणिपुर राज्य में उद्योग मंत्रालय के साथ-साथ नगर प्रशासन, आवास और शहरी विकास मंत्रालय प्रदान किया गया. 2002 में वह फिर एक बार कांग्रेस के टिकट से जीतने के बाद विधानसभा सदस्य बने जिसके बाद उन्हें मणिपुर का मुख्यमंत्री चुना गया.
उग्रवादियों का रॉकेट लांचर से जानलेवा हमला
ओकराम इबोबी सिंह और उनके परिवार पर वर्ष 2008 में उग्रवादियों ने रॉकेट लांचर से जानलेवा हमला कर दिया था. इस हमले में सिंह का परिवार तो सुरक्षित बच गया था, लेकिन उनका एक सिक्योरिटी गार्ड बुरी तरह घायल हो गया था. एक उग्रवादी संगठन पिपुल्स रिवोल्यूशनरी पार्टी ऑफ कंगलीपाक के एक सदस्य ने फोन कर इसकी जिम्मेदारी ली. उसका कहना था कि यह हमला मात्र ओकराम सिंह को यह संदेश देने के लिए किया गया है कि वह मणिपुर में चल रही उग्रवादी गतिविधियों को विफल करने वाली नीति को आगे ना बढ़ाएं.
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2002 से 2017 तक लगातार मुख्यमंत्री रहे
मणिपुर को 1972 में राज्य का दर्जा मिला था लेकिन राजनीतिक उथल-पुथल के कारण छोटे से इस राज्य में 18 बार सरकारें बदलीं. ऐसी परिस्थितियों में केवल 20 विधायकों को साथ लेकर 2002 में इबोबी प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और इस तरह वे पिछले 15 सालों से लगातार शासन करने वाले नेता बन गए. 2002 में पहली बार पहली बार मुख्यमंत्री बने और 2017 तक इस पद पर रहे. इबोबी सिंह ने 2012 में अपनी पार्टी को तीसरी बार राज्य में जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी.
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