श्रीलंका में अब ट्रेन से यात्रा करना भी महंगा, कल से बढ़ जाएंगी टिकट कीमतें
रेलवे के महाप्रबंधक धम्मिका जयसुंदरा ने बताया कि ईंधन पर होने वाले खर्च से ट्रेन यात्राएं बढ़ाना संभव नहीं होगा. ऐसे में श्रीलंकाई रेलवे ने शुक्रवार मध्यरात्रि से अपने टिकट किराए में वृद्धि करने की घोषणा की है.
highlights
- रानिल विक्रमसिंघे ने राष्ट्रपति बनते ही शुरू की सख्ती
- जरूरी सामानों की आयात भी हुआ बुरी तरह प्रभावित
कोलंबो:
श्रीलंका में रानिल विक्रमसिंघे ने बुधवार को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनते ही साफ कर दिया था आने वाले दिनों में रसातल में पहुंच चुकी आर्थिक मंदी को काबू में करने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे. उन्होंने किया भी ऐसा ही गुरुवार को राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद श्रीलंका की रेलवे ने शुक्रवार रात से टिकट किराए में वृद्धि करने की घोषणा कर दी है. रेलवे के आधिकारिक प्रवक्ता की ओर से कहा गया है कि ईंधन के आयात में कमी से गहराए ईंधन संकट से पार पाने के लिए रेलवे किराएं में वृद्धि करने का फैसला लेना पड़ा है. गौरतलब है कि आईएमएफ ने पहले ही साफ कर दिया था कि आर्थिक संकट से उबरने के लिए संभावित सहायता पैकेज कड़ी शर्तों के साथ आएगा.
स्कूल-कॉलेज पहले ही बंद किए जा चुके
रेलवे के महाप्रबंधक धम्मिका जयसुंदरा ने बताया कि ईंधन पर होने वाले खर्च से ट्रेन यात्राएं बढ़ाना संभव नहीं होगा. ऐसे में श्रीलंकाई रेलवे ने शुक्रवार मध्यरात्रि से अपने टिकट किराए में वृद्धि करने की घोषणा की है. परिवहन के लिए ईंधन का संकट तो है ही खाने-पीने की चीजें भी आसमान छू रही है. देश में पास्ता का स्टॉक खत्म हो चुका है. कॉर्नफ्लेक्स 500 रुपये, केचअप 450 रुपये प्रति 300 ग्राम, न्यूट्रेला 4500 रुपये किलो, काजू 6 हजार रुपये किलो, मक्खन की कीमत 1300 रुपये प्रति 100 ग्राम, चीज 1500 रुपये प्रति 100 ग्राम हो चुका है.
यह भी पढ़ेंः रानिल विक्रमसिंघे ने श्रीलंका के राष्ट्रपति पद की शपथ ली, जाने कौन हैं 'राजपक्षे विक्रमसिंघे'
विदेशी मुद्रा भंडार रसातल में
गौरतलब है कि ऐतिहासिक आर्थिक मंदी झेल रहे श्रीलंका में कई चीजों का स्टॉक भी लगभग खत्म होने की कगार पर है. ये वो जरूरी सामान है जो विदेशों से आयात होते हैं. अब श्रीलंका के पास विदेशी मुद्रा भंडार कम है ऐसे में सामान आयात भी नहीं हो पा रहा और उसका असर अब बाजारों पर दिख रहा है. देश के दो करोड़ 20 लाख लोग बढ़ते कर्ज, आसमान छूती महंगाई, भोजन और ईंधन की कमी के साथ अब तक के सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं. बेरोजगारी और आसमान छूती महंगाई से लोग खाड़ी देशों में अवसर की तलाश में टूट पड़े हैं.
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