logo-image

यहां बद से बदतर है लड़कियों का जीवन, गुलाम बनाकर किया जाता है यौन शोषण

नॉर्थ कोरिया को लेकर बीच-बीच में कुछ-न-कुछ ऐसी चीजें सामने आती रहती हैं, जिससे मानवाधिकारी के उल्लंघन की पोल खुल जाती है.

Updated on: 01 Dec 2022, 05:52 PM

नई दिल्ली:

नॉर्थ कोरिया को लेकर बीच-बीच में कुछ-न-कुछ ऐसी चीजें सामने आती रहती हैं, जिससे मानवाधिकारी के उल्लंघन की पोल खुल जाती है. हाल ही में नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन अपनी 9 साल की बेटी के साथ नजर आए थे, लेकिन उनके शासनकाल में दूसरी बेटियों के साथ यौन शोषण की घटना आम बात है. वहां स्कूल की लड़कियों का उठाकर 'प्लेजर ग्रुप' में डाल दिया जाता है. इन लड़कियां का मुख्य कार्य किम जोंग उन और उनके अफसरों का मनोरंजन करना रहता है. साथ ही अधिकारी इन लड़कियों के साथ शारीरिक संबंध भी बनाते हैं. हालांकि, इन लड़कियों की अपनी कोई जिंदगी नहीं होती है और चाहकर भी ये अपनी जिंदगी में लौट भी सकती हैं, क्योंकि इससे अधिकारियों की सीक्रेट सूचना लीक होने का डर रहता है.   

जानें क्या है प्लेजर ग्रुप

नॉर्थ कोरिया में उच्चाधिकारियों के लिए नाबालिग लड़कियों का एक ग्रुप बनाया जाता है, जिसे सेक्स पार्टी भी कहते हैं. नार्थ कोरियन भाषा में स्कूल की नाबालिग लड़कियों के ग्रुप को किप्पोमजे कहते हैं. इस ग्रुप में शामिल करीब 2 हजार लड़कियों को एकदम अलग रखा जाता है. इनकी उम्र 13 वर्ष से लेकर 30 वर्ष तक होती हैं. इन लड़कियों को विशेष रूप से ट्रेनिंग भी दी जाती हैं, ताकि ये हर बात में हां बोले. किम जोंग उन इस ग्रुप को प्लेजर स्क्वाड कहता है. इन लड़कियों को अलग-अलग काम भी दिया जाता है. इन आकर्षक और सुंदर लड़कियों को प्लेजर गर्ल कहा जाता है.  

जानें लड़कियों का चयन कौन करता है

नॉर्थ कोरिया की सेना के अधिकारी और सरकार अधिकारी इन लड़कियों का सिलेक्शन करते हैं. चयनित लड़कियों का वर्जिनिटी टेस्ट होता है. साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि लड़की शारीरिक रूप से पूरी तरह से स्वस्थ हो. उनके बाद इन लड़कियों का शोषण होता है. इन लड़कियों को तीन ग्रुप में विभाजित किया जाता है. पहले ग्रुप में लड़कियां अधिकारियों की यौन इच्छा की पूर्ति करती हैं. दूसरे ग्रुप में मसाज और तीसरे ग्रुप में सेमी न्यूज डांस करने वाली लड़कियां होती हैं. एक आयु के बाद इन लड़कियों को दूसरे विभाग जैसे खाना बनाने या फिर अन्य काम में डाल दिया जाता है. कहा जाता है कि किम जोंग उन के दादा ने इस परंपरा की शुरुआत की थी.