किम जोंग उन के शासन का एक दशक, जानें 10 साल में उत्तर कोरिया में क्या हुआ बदलाव
उत्तर कोरिया के पवित्र 'पाएक्तू पर्वत रक्तवंश' के किम जोंग उन सदस्य हैं. उत्तर कोरिया के सत्ताधारी वंश के लिए कोरियाई प्रायद्वीप के सबसे ऊंचे पर्वत के नाम पर रखे गए इस पद का इस्तेमाल किया जाता है.
नई दिल्ली:
किम जोंग उन जब अपने पिता किम जोंग इल की मौत के बाद उत्तर कोरिया की सत्ता पर बैठे थे तब उनकी उम्र सिर्फ 30 साल थी. उस समय किम जोंग उन के पास राजनीतिक अनुभव भी नहीं था, लेकिन आज उत्तर कोरिया उनके नियंत्रण में है. उत्तर कोरिया के पवित्र 'पाएक्तू पर्वत रक्तवंश' के किम जोंग उन सदस्य हैं. उत्तर कोरिया के सत्ताधारी वंश के लिए कोरियाई प्रायद्वीप के सबसे ऊंचे पर्वत के नाम पर रखे गए इस पद का इस्तेमाल किया जाता है.
जब किम जोंग उन सत्ता में आए थे तो कई विश्लेषकों ने कहा था कि किम के पास अनुभव नहीं है, इसलिए उत्तर कोरिया की व्यवस्था ढह सकती है. उत्तर कोरिया में राजनीतिक पतन के बाद दक्षिण कोरिया के नियंत्रण में यह देश आ सकता है. लेकिन, किम जोंग उन ने एक दशक के बाद विश्लेषकों के सभी आशंकाओं को खारिज कर दिया. उन्होंने अपना ऐसा व्यक्तित्व गढ़ा है, जिसकी उनके पूर्ववर्ती शासकों से की जाती है.
शुरुआत में ऐसा लगा था कि किम जोंग उन अपने पिता के नक्शे कदम पर चल रहे थे, क्योंकि वे सैन्य प्रतिष्ठानों का दौरा करते हैं और उनकी प्राथमिकता में नागरिकों से संवाद रहता है. इसके बाद युवा नेता किम जोंग उन सत्ता पर अपना अधिकार जमाने लगे. 2013 में ये तब और अधिक साफ हो गया था जब उन्होंने अपने ही चाचा जांग सोंग थाएक की हत्या करवा दी थी.
इसके बाद किम जोंग उन ने आर्थिक क्षेत्र से जुड़ी परियोजनाओं और परमाणु मिसाइल कार्यक्रम को बढ़ावा दिया. उन्होंने आर्थिक विकास और परमाणु हथियारों के विकास पर ज्यादा फोकस किया और दुनिया के सामने अपनी नई नीति 'ब्योंगजिन' पेश की. इसके तहत उत्तर कोरिया ने 2016-17 में कई मिसाइल और परमाणु परीक्षण किए. इस पर अंतरराष्ट्रीय जगत ने आलोचना करते हुए उत्तर कोरिया पर कई तरह के सख्त प्रतिबंध लगा दिए, जिसकी उसकी अर्थव्यवस्था की प्रगति रुक गई.
इन चुनौतियों के बीच किम जोंग ने कूटनीति पर ध्यान केंद्रित करते हुए 2018-19 में अमेरिका, दक्षिण कोरिया, चीन और रूस के अलावा कई देशों के नेताओं से बातचीत की. किम जोंग उन ने यूएस राष्ट्रपति से मुलाकात कर खुद को अपने पिता और दादा से अलग कर लिया. उत्तर कोरिया ने उम्मीद जताई थी कि उसे प्रतिबंधों से कुछ राहत मिलेगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका और 2019 में उसने फिर से सख्त रुख अपनाते हुए हथियारों के परीक्षण शुरू कर दिए.
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