मुश्किल घड़ी में भारत ने नहीं छोड़ा रूस का साथ, अब मिला ये बड़ा तोहफा
चीन की मेजबानी में शुरू हुए दो दिवसीय वर्चुअल ब्रिक्स सम्मेलन के आखिरी दिन रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक बड़ा बयान दिया है. पुतिन ने बुरे वक्त में साथ देने वाले भारत के साथ बढ़ रही व्यापारिक गतिविधियों की जानकारी दी.
highlights
- रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच भारत रूस से खरीदता रहा कच्चा तेल
- रूस से तेल नहीं खरीदने का अमेरिका व पश्चिमी देशों का था दबाव
- अब पुतिन ने भारतीय व्यापारियों के लिए खोल दिए रूस के दरवाजे
नई दिल्ली:
चीन की मेजबानी में शुरू हुए दो दिवसीय वर्चुअल ब्रिक्स सम्मेलन के आखिरी दिन रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक बड़ा बयान दिया है. पुतिन ने बुरे वक्त में साथ देने वाले भारत के साथ बढ़ रही व्यापारिक गतिविधियों की जानकारी दी. पुतिन ने कहा कि रूस में भारतीय स्टोर्स खोलने को लेकर बातचीत का दौर जारी है. हालांकि, इस दौरान उन्होंने ये नहीं साफ किया कि किन भारतीय स्टोर्स की चेन रूस में खुलेंगी.
भारत-चीन से बढ़ रहे हैं रूस के व्यापारिक संबंध
ब्रिक्स सम्मेलन के दूसरे दिन पुतिन ने कहा कि रूस और ब्रिक्स देशों के कारोबारी समुदायों के बीच संपर्क काफी बढ़ा है. इस दौरान उन्होंने भारत का जिक्र खास तौर से करते हुए कहा कि रूस में भारतीय स्टोर्स खोलने को लेकर बातचीत जारी है. भारत के साथ ही चीन से बढ़ रहे व्यापारिक संबंधों का भी जिक्र किया. उन्होंने बताया कि रूस के बाजारों में चीन की कारें, उपकरण और हार्डवेयर को भारी तादाद में उतारने को लेकर बातचीत चल रही है. पुतिन ने कहा कि इसके साथ ही ब्रिक्स के देशों में भी रूस की उपस्थिति बढ़ रही है.
रूस, ब्रिक्स देशों का व्यापार 38 फीसदी बढ़ा
रूस और ब्रिक्स देशों के बीच व्यापार का जिक्र करते हुए पुतिन ने बताया कि 2022 के शुरुआती तीन महीनों में रूस और ब्रिक्स देशों के बीच 38 फीसदी व्यापार बढ़ा है. राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि रूस का ब्रिक्स देशों के साथ व्यापार बढ़कर 45 अरब डॉलर तक पहुंच गया है. गौरतलब है कि रूस ब्रिक्स देशों को अच्छी खासी मात्रा में फर्टिलाइजर का भी निर्यात करता है.
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पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद भारत रूस से खरीदता रहा तेल
गौरतलब है कि रूस-यूक्रेन युद्ध छिड़ने के बाद रूस के खिलाफ पश्चिमी देशों के प्रतिबंध के बावजूद भारत रूस से तेल खरीदता रहा. रूस से तेल खरीदने के भारत के फैसले के खिलाफ अमेरिका सहित पश्चिमी देशों ने भारी नाराजगी जताई थी. गौरतलब है कि भारत अपने कुल तेल आयात में रूस से केवल दो फीसदी तेल खरीद रहा है. यही वजह है कि भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की अमेरिका यात्रा के दौरान जब उनसे रूस से तेल खरीदने को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने रूस के तेल की खरीद के फैसले का बचाव किया. उन्होंने कहा था प्रतिबंधों के बावजूद यूरोप भारत से कहीं ज्यादा रूस से तेल और गैस का निर्यात कर रहा है.
ब्रिक्स देशों की हो सकती है अलग करेंसी
इस मौके पर रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि ब्रिक्स देशों के साथ मिलकर हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वैकल्पिक मैकेनिज्म तैयार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि रूस के वित्तीय मैसेजिंग सिस्टम के ब्रिक्स देशों के बैंकों के साथ गठजोड़ को लेकर भी हम तैयारी कर रहे हैं. हम ब्रिक्स देशों की मुद्राओं के आधार पर एक अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनाने की संभावनाओं को भी तलाश रहे हैं. गौरतलब है कि ब्रिक्स पांच देशों का संगठन है, जिसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं. इस साल ब्रिक्स सम्मेलन की मेजबानी चीन ने की है. हालांकि, ब्रिक्स का 14वां सम्मेलन वर्चुअल हुआ है.
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