Myanmar के गांव पर सेना के हवाई हमले में बच्चों समेत 100 से अधिक मरे
सोशल मीडिया पर साझा की जा रही गांव की तस्वीरों में एक दर्जन से अधिक जले हुए और क्षत-विक्षत शव दिखाई दे रहे हैं, जबकि वीडियो में एक नष्ट इमारत, जली हुई मोटरसाइकिलें और बिखरा हुआ मलबा दिखाई दे रहा है.
highlights
- सागैंग इलाके में म्यांमार की सेना ने किया हवाई हमला
- फाइटर जेट समेत लड़ाकू हेलीकॉप्टर का हुआ इस्तेमाल
- 1948 से जारी है लोकतंत्र समर्थकों और सेना का संघर्ष
सागैंग:
सैन्य शासन के विरोध में एक कार्यक्रम में भाग ले रहे लोकतंत्र (Democracy) समर्थकों पर म्यांमार (Myanmar) सेना के हवाई हमले (Air Strike) में कई बच्चों सहित 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई. गौरतलब है कि आंग सान सू की सरकार के तख्तापलट के बाद सेना अपने खिलाफ सशस्त्र संघर्ष का मुकाबला करने के लिए तेजी से हवाई हमलों का उपयोग कर रही है. यह सिलसिला 2021 में शुरू हुआ था. अनुमान है कि तब से 3,000 से अधिक नागरिक सैन्य सेना द्वारा मारे गए हैं. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने कहा कि वह सागैंग में एक सामुदायिक हॉल पर कथित हवाई हमलों से बेहद डर गए हैं. यूएन प्रमुख वोल्कर तुर्क ने कहा, ऐसा प्रतीत होता है कि कार्यक्रम में नृत्य पेश कर रहे स्कूली बच्चों समेत अन्य नागरिक भी पीड़ितों में शामिल थे. घटनास्थल पर मौजूद एक आपातकालीन कार्यकर्ता और शैडो नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट के एक अधिकारी के मुताबिक सागैंग क्षेत्र में हुए हमले में मरने वालों में कम से कम 30 बच्चे शामिल हैं.
दूर-दूर तक बिखरे पड़े शरीर के अंग
बचावकर्मियों ने दक्षिणी सागैंग क्षेत्र के पाजिगी गांव में एक भयानक दृश्य का वर्णन किया हैं. उनके मुताबिक एक सैन्य जेट और हेलीकॉप्टर की बमबारी से हताहत लोगों के शरीर के अंग दूर-दूर तक बिखरे पड़े थे. सोशल मीडिया पर साझा की जा रही गांव की तस्वीरों में एक दर्जन से अधिक जले हुए और क्षत-विक्षत शव दिखाई दे रहे हैं, जबकि वीडियो में एक नष्ट इमारत, जली हुई मोटरसाइकिलें और बिखरा हुआ मलबा दिखाई दे रहा है. सेना के हवाई हमले का लक्ष्य सैन्य शासन के विरोध स्वरूप खोले जा रहे प्रशासनिक कार्यालय का कार्यक्रम था. सैन्य जुंता के हवाई हमले के बाद इस इमारत का केवल जला हुआ ढांचा ही वीडियो और तस्वीरों में दिख रहा है.
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1948 से जारी है सैन्य संघर्ष
गौरतलब है कि 1948 में स्वतंत्रता हासिल करने के बाद से म्यांमार की सेना क्षेत्रीय नियंत्रण स्थापित के लिए सशस्त्र जातीय समूहों से संघर्षरत है. उसका आम लोगों पर क्रूर हमलों का एक लंबा इतिहास रहा है. इस बार भी सैन्य तख्तापलट के बाद से लोकतंत्र-समर्थक ताकतें सेना को सत्ता से बेदखल करने के लिए एक राष्ट्रीय अभियान में कुछ सशस्त्र जातीय समूहों के साथ एकजुट हो गई हैं. इस कारण म्यांमार सेना को बड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है, जो अब एक देशव्याी आंदोलन में तब्दील हो चुका है. पिछले महीने से एक मठ में भिक्षुओं और नागरिकों की हत्या समेत घातक हवाई हमले कर लोकतंत्र समर्थकों को मारने की रणनीति में कई गुना इजाफा हुआ है.
सागैंग इलाका सैन्य शासन विरोधी आंदोलनकारियों का गढ़
बीते साल अक्टूबर में म्यांमार सैना के लड़ाकू विमानों ने काचिन राज्य में एक संगीत कार्यक्रम पर हमला किया, जिसमें कम से कम 80 लोग मारे गए. भारत की सीमा से सटे म्यांमार के उत्तर-पश्चिमी हिस्से सागैंग क्षेत्र का अधिकांश हिस्सा विद्रोहियों का गढ़ है, जहां सेना के जमीनी बलों को क्षेत्र पर पूर्ण कब्जा करने में भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. स्वयंभू राष्ट्रीय एकता सरकार के मानवाधिकार मंत्री आंग मायो मिन ने कहा, 'सैन्य शासन ने अपने बजट में भारी वृद्धि की है और अब लोकतंत्र समर्थकों पर हवाई हमले भी बढ़ गए हैं. म्यांमार के लोकतंत्र समर्थक लोग सेना के क्रूर युद्ध अपराधों के बारे में अपने खून से अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को संदेश भेज रहे हैं.' आपातकालीन कर्मचारी ने कहा कि कम से कम 100 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई है और इससे अधिक लोगों का पता नहीं चल पाया है. आंग मायो मिन ने कहा कि 53 शव बरामद किए गए हैं और बचाव कार्य जारी हैं.
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वैश्विक बिरादरी से म्यांमार के सैन्य शासन पर प्रतिबंध की मांग
पाजिगी गांव पर हमले ने मानवाधिकार के पैरोकारों को म्यांमार के सैन्य शासन को विमानन ईंधन की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के अपने आह्वान को नए सिरे से जोर देने के लिए प्रेरित किया है. एक स्थानीय सशस्त्र समूह क्यून हला के एक सैनिक बयार की के मुताबिक सैन्य हमले में बचे लोगों ने बताया कि एक जेट फाइटर और लड़ाकू हेलीकॉप्टर से हवाई हमला किया गया था. यूक्रेन में जारी युद्ध के बावजूद रूस म्यांमार जुंता को ऐसे हथियारों को हथियारों की आपूर्ति कर रहा है. उसने बताया कि पाजिगी गांव में कई स्थानीय प्रतिरोधी लड़ाके कार्यक्रम में शामिल होने आए थे. हालांकि मारे गए लोगों में ज्यादातर आम नागरिक थे, जिनमें कई बच्चे और महिलाएं भी शवों के ढेर में शामिल हैं.
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