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Paytm के कारनामें जान उड़ जाएंगे होश, अब बंदी के कगार पर

Paytm Update: जब बात डिजिटल ट्रांजेक्शन की आती है तो सबसे पहले पेटीएम का नाम ही जहन में आता है. कोई भी सामान खरीदने के बाद पेटीएम का का स्कैनर मांगा जाता है.

Updated on: 06 Feb 2024, 12:08 PM

highlights

  • एक ही पेन नंबर पर कई खाते खोल देता था पेटीएम 
  • कई एकाउंट की नहीं कराता था केवाईसी
  • अब मंडराने लगा मनी लॉड्रिंग का खतरा, लोगों का फंसा पैसा

नई दिल्ली :

Paytm Update: जब बात डिजिटल ट्रांजेक्शन की आती है तो सबसे पहले पेटीएम का नाम ही जहन में आता है. कोई भी सामान खरीदने के बाद पेटीएम का का स्कैनर मांगा जाता है. लेकिन क्या आपको पता है पेटीएम कमाई के चलते एक पैन कार्ड पर 10-10 खाते तक खोले हुए हैं. साथ ही लाखों खातों की केवाईसी तक भी नहीं कराई है. जिसके चलते अब पेटीएम की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही है. अब देश के दूसरी कंपनी पेटीएम पर मनी लॅांड्रिंग का खतरा भी मंडराने लगा है. अब ऐसे में जिसके पैसे पेटीएम बैंक में फंसे हैं उन्हें जरूरी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. 

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आखिर क्यों हुई कार्रवाई? 
पेटीएम के फाउंडर विजय शेखर ने शनिवार को एक वर्चुअल टाउन हॅाल मीटिंग बुलाई. साथ ही अपने कर्मचारियों से कहा कि था कि इतनी बड़ी चूक कैसे हो गई इसका पता लगाया जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक,  पेटीएम पेमेंट बैंक के पास ऐसे लाखों अकाउंट्स हैं जिनका केवाईसी करने की जहमत किसी ने नहीं कराई है. इसके अलावा कई हजार ऐसे अकाउंट्स की फेहरिस्त है जिनमें एक ही पैन कार्ड यूज किया गया. ऐसी छोटी-छोटी गलतियों की वजह से ही मनी लॅाड्रिंग का शक हुआ. साथ ही जांच शुरू हुई. हालांकि लाखों की संख्या में ऐसे भी यूजर्स हैं जिन्होने पेटीएम को सिर्फ यूपीआई की तरह ही यूज किया है. यानि उन्होने कभी भी वॅालट या बैंक अकाउंट नहीं खोला है. 

सिर्फ 4 करोड़ ई-वॅालट एक्टीव 
हैरान करने वाली बात ये है कि वर्तमान में कुल 35 करोड़ ई-वॉलेट देश में संचालित हैं. लेकिन इतनी बड़ी संख्या में ई-वॅालट होने के बावजूद एक्टीव सिर्फ 4 करोड़ ही हैं. इन 4 करोड़ वॅालट में भी या तो बैलेंस नहीं है या फिर बहुत कम ही बैलेंस है. जिसकी वजह से आशंका पैदा हुई कि इनएक्टिव अकाउंट्स का यूज फेक अकाउंट्स के लिए किया जा सकता है. नियमों को दरकिनाकर कर लाखों रुपए के ट्रांजेक्शन मिनिमम केवाईसी अकाउंट्स से किये गए. जिसकी वजह से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को इस पर शक हुआ. साथ ही आरबीआई ने इसकी जांच शुरू की. जिसमें कई चौकाने वाले खुलासे किये गए.