उत्तर प्रदेश में चुनावों से पहले BSP का पहला ब्राह्मण सम्मेलन आज अयोध्या में
बीएसपी के महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा समेलन से पहले हनुमानगढ़ी और रामजन्मभूमि के दर्शन करेंगे फिर सरयू तट पर 100 लीटर दूध से दुग्धाभिषेक और सरयू की आरती करेंगे.
highlights
- बसपा ने बदला ब्राह्मण सम्मेलन का नाम
- ब्राह्मण समाज को साधने की कोशिश
- बीजेपी-सपा को चुनौती देने की तैयारी
अयोध्या:
उत्तर प्रदेश चुनाव (UP Election) में अपनी सियासी पारी को फिर शुरू करने के सपने देख रहीं बसपा प्रमुख मायावती (Mayawati) ने चुनाव से ठीक पहले ब्राह्मण कार्ड खेला है. वे पूरे राज्य में शुक्रवार से ब्राह्मण सम्मेलन का आयोजन करने जा रही हैं. लेकिन अब पार्टी की तरफ से एक बड़ा बदलाव किया गया है. उन्होंने अपने ब्राह्मण सम्मेलन का नाम 'प्रबुद्ध वर्ग संवाद सुरक्षा सम्मान विचार गोष्ठी' कर दिया है. पार्टी महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा समेलन से पहले हनुमानगढ़ी और रामजन्मभूमि के दर्शन करेंगे फिर सरयू तट पर 100 लीटर दूध से दुग्धाभिषेक और सरयू की आरती करेंगे. इसके बाद ब्राह्मण सम्मेलन होगा. बाद में वह अयोध्या के साधु संतों से आशीर्वाद लेंगे.
ब्राह्मण समाज को साधने की कोशिश
अयोध्या दौरे के बाद बसपा का अलगा ठिकाना अंबेडकर नगर होगा जहां पर 24 और 25 जुलाई को कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. इसके बाद 26 को प्रयागराज तो 27 को कौशाम्बी में भी बड़े कार्यक्रम होंगे. फिर 28 जुलाई को प्रतापगढ़ और 29 जुलाई को सुल्तानपुर में सम्मेलन होगा. यूपी में ब्राह्मण वोट क़रीब 11 फीसदी है. सन 2007 में मायावती को ब्राह्मणों का भी अच्छा वोट मिला और उनकी पूरी बहुमत की सरकार बन गई थी. लेकिन बाद में ब्राह्मणों का सबसे बड़ा हिस्सा बीजेपी के साथ चल गया है. योगी सरकार में ब्राह्मणों के वर्ग की नाराजगी की चर्चा होती है, ऐसे में मायावती की नज़र इस वोट बैंक में फिर सेंध लगाने की है. एक तय रणनीति पर चलते हुए सतीश मिश्रा यूपी के हर उस जिले का दौरा करेंगे जहां पर ब्राह्मण समाज का प्रभुत्व ज्यादा है.
बीजेपी-सपा को चुनौती देने की तैयारी
बसपा के समय समय पर बदलते रहे नारों के बीच उसकी कार्यशैली और चेहरा भी बदलता रहा. एक बार फिर 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव के पहले बदलाव का दौर है . अब ये बदलाव बहुजन समाज पार्टी को यूपी चुनाव में कितना फायदा पहुंचा सकता है, ये समय बताएगा लेकिन इस बदलाव का महज एक पक्ष देखना बसपा की रणनीति पर रोशनी नहीं डाल सकता है. यहीं वजह है कि बसपा भाजपा के वोट बैंक में ही सेंध नहीं लगा रही है बल्कि सपा को भी यूपी चुनाव में बड़ी चोट पहुंचाने की तैयारी कर रही है.
मायावती ने सन 2007 में सोशल इंजीनियरिंग का प्रयोग अपनी राजनीति में किया था.बड़े पैमाने पर ब्राह्मणों को चुनाव में टिकट दिया था और उनका नारा था "हाथी नहीं गणेश है, ब्रह्मा, विष्णु, महेश है." 2021 में एक ऐसे वक्त जब कहा जा रहा है कि ब्राह्मणों का एक वर्ग सरकार से नाराज़ है, मायावती फिर उसे दोहराने जा रही हैं. अयोध्या में ब्राह्मण सम्मेलन के संयोजक करुणाकर पांडेय कहते हैं कि,"भगवान राम ने दलित शबरी, पिछड़े निषादराज और शापित महिला अहिल्या का उद्धार किया और वनवासियों, आदिवासियों को साथ लेकर दुष्टों का दमन किया. इस तरह उन्होंने बहुत पहले भाईचारा बनाने का काम किया. इसलिए अयोध्या से इसकी शुरुआत बहुत उचित है."
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