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Jharkhand News: लाखों रुपये की कमाई का जरिया बना जलकुंभी, किए जा रहे कई प्रोडक्ट

जमशेदपुर में नदियों-तालाबों और डैमों के बेकार जलकुंभी को लाखों रुपये कमाई का जरिया बनाया जा सकता है. ये सुनकर आप हैरान हो सकते हैं, लेकिन ऐसा सच कर दिखाया है जमशेदपुर के युवा उद्यमियों ने.

Updated on: 31 Jul 2023, 02:25 PM

highlights

  • लाखों रुपये की कमाई का जरिया बना जलकुंभी
  • तीन युवाओं के आइडिया ने खड़ा किया उद्यम
  • जलकुंभी से तैयार किए जा रहे कई प्रोडक्ट
  • बड़ी संख्या में महिलाओं को मिल रहा रोजगार

Jamshedpur:

जमशेदपुर में नदियों-तालाबों और डैमों के बेकार जलकुंभी को लाखों रुपये कमाई का जरिया बनाया जा सकता है. ये सुनकर आप हैरान हो सकते हैं, लेकिन ऐसा सच कर दिखाया है जमशेदपुर के युवा उद्यमियों ने. जमशेदपुर शहर की लाइफ लाइन कही जाने वाली स्वर्णरेखा और खरकाई नदियों में हर साल जलकुंभियों का कब्जा होता है. एक समय था जब इन जलकुंभियों की वजह से नदी नाले में तब्दील हो जाया करती थी. साथ ही इससे शहर के लोगों में कई बीमारियां भी फैलती थीं. इसे साफ करने में नगर निगम और जिला प्रशासन के पसीने छूट जाया करते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है. 

तीन युवाओं के आइडिया ने खड़ा किया उद्यम

शहर के तीन युवा जलकुंभी का इस्तेमाल कर अपने साथ-साथ दूसरों को भी रोजगार दे रहे हैं. जो शहर की लाइफ लाइन के लिए एक अच्छी खबर है. स्वर्णरेखा और खरकाई नदी से निकलने वाली जलकुंभी को युवा उद्यमियों ने पहले रिसाइकल करने का फैसला लिया. इसके बाद उससे नए-नए पोडक्ट बनाना शुरू किया. इस फैसले के बाद गौरव आंनद, रौनक राठौर और पंकज उपाध्याय ने मिलकर जलकुंभी की प्रोसेसिंग शुरू की. अलग-अलग प्रक्रियाओं से गुजरने हुए जलकुंभी के रेशे तैयार किए गए. जिसके बाद रेशों का इस्तेमाल साड़ी, लैंपशेड और डायरी के गत्ते समेत कई उत्पाद बनाए जा रहे हैं.

जलकुंभी से तैयार किए जा रहे कई प्रोडक्ट

तीन युवा उद्यमियों की सोच ने बेकार पड़े जलकुंभी को भी उपयोगी वस्तु की श्रेणी में ला दिया है. दूसरी बड़ी बात ये है कि इस काम ने महिलाओं के लिए स्वरोजगार का एक बड़ा बाजार खड़ा कर दिया है. महिलाएं डैम और तालाबों से जलकुंभी को निकालने के काम से लेकर उनकी साफ-सफाई कटाई समेत प्रोसेसिंग की पूरी प्रक्रिया में स्थानीय महिलाओं को बड़े पैमाने पर काम मिलना शुरू हो गया है. कम शारीरिक मेहनत और स्थानीय स्तर पर काम मिलने की वजह से महिलाएं भी इस काम को प्राथमिकता दे रही हैं. यही वजह है कि जमशेदपुर और आसपास की सैकड़ों महिलाएं इस काम से जुड़ रही है. रोजगार मिलने से इनके जीवन में भी बदलाव देखने को मिल रहा है और वे आत्मनिर्भर बन रही हैं.

उद्यमी पंकज उपाध्याय पेशे से इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन इंजीनियर रहे हैं. उनका कहना है कि नदी और तालाब को दूषित होने से बचाने के साथ ही. बेकार पड़ी जलकुंभी से बने उत्पाद को देश के कई राज्यों में भेजने के बाद उनका लक्ष्य है कि यहां के बने सामान को विदेशों तक पहुंचाने का लक्ष्य है.

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बड़ी संख्या में महिलाओं को मिल रहा रोजगार

बेकार जलकुंभी को लाखों रुपये कमाई का जरिया बनाने वाले तीनों युवा उद्यमियों के पास ऊंची डिग्रियां के साथ ही एक्सपीरियंस भी है. जिसकी सहायता से अपने काम के दम पर ये आगे बढ़ रहे हैं. जलकुंभी से बने उत्पादों की डिमांड बाजार में काफी अच्छी है. इसे देखते हुए इस सेक्टर में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं. तीनों उद्यमियों का मकसद है कि इस काम से दस हजार परिवारों को जोड़ा जाए. अगर उनका मकसद कामयाब होता है तो इलाके में महिलाओं और पुरुषों को रोजगार मिलेगा. साथ ही उत्पादन में भी बढ़ोतरी होगी.