5 अक्टूबर को शिलांग से चली महिलाएं पहुंची मुंगेर, यशस्विनी महिलाओं का किया गया स्वागत
नारी सशक्तिकरण को पर्व के रूप में मनाने के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल ने महिला विकास मंत्रालय के साझा सहयोग से अश्वनी बाइक रैली का आयोजन किया गया.
highlights
- 5 अक्टूबर को शिलांग से चली थी महिलाएं
- यशस्वनी महिलाओं का किया गया स्वागत
- नारी सशक्तिकरण को प्रस्तुत करना है मकसद
Munger:
नारी सशक्तिकरण को पर्व के रूप में मनाने के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल ने महिला विकास मंत्रालय के साझा सहयोग से अश्वनी बाइक रैली का आयोजन किया गया. जिसमें कुल 180 महिला अधिकारी, जो तीन- तीन टीमों में विभाजित होकर 3 अक्टूबर को 75 रॉयल इनफिल्ड बाइक से एक दस्ता, उत्तरी श्रीनगर से दूसरा दस्ता, शिलांग और तीसरा दस्ता कन्या कुमारी से रवाना हुआ. वहीं, आज दूसरा दस्ता मुंगेर के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज पहुंचा, जंहा सीआरपीएफ मुख्यालय मुजफ्फरपुर पुलिस उप महानिरीक्षक संदीप सिंह, सीआरपीएफ के 215 बटालियन कमांडेंट जोगेंद्र सिंह मौर्या, मुंगेर नक्सल एसपी अभियान कुणाल सिंह और कॉलेज के प्रिंसिपल आलोक कुमार सिंह ने स्वागत किया.
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यशस्विनी महिलाओं का किया गया स्वागत
इस मौके पर उन्होंने कहा कि सीआरपीएफ मुख्यालय मुजफ्फरपुर पुलिस उप महानिरीक्षक संदीप सिंह का मकसद है कि नारी सशक्तिकरण को प्रस्तुत करना है. आज नारी किसी से कम नहीं है और कंधे से कंधा मिलाकर चल सकती है. उन्होंने कहा इस कार्यक्रम के जरिये बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और एक राष्ट्र की कल्पना को लेकर चल रहे हैं. उन्होंने बताया कि आज केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की यशस्विनी महिलाओं टीम ने शिलांग से बुलेट चलाकर लगभग 700 किलोमीटर चलाकर आज मुंगेर पहुंची है. 31 अक्टूबर को गुजरात के एकतापुर पहुंचेंगी. उन्होंने कहा इस तरह के कार्यक्रम से लोग प्रेरित होंगे और अपनी बच्चियों को इस ओर प्रेरित करेंगे.
5 अक्टूबर को शिलांग से चली थी महिलाएं
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की यशस्वी महिला जवानों ने बताया कि रास्ते में काफी समस्या है. सड़कों में गड्डे के कारण काफी बुलेट चलाने में काफी दिक्क़तें होती, लेकिन हमारी टीम की महिला मजबूत है और हर परिस्थिति को सहन कर लेती है. वहीं, कई महिलाओं ने कहा कि देश के लिए कुछ करने का मौका मिला है, क्योकि में बेटी हूं और बेटियों को करने के लिए कुछ मौका मिला. उन्होंने कहा कि जब बिहार में जब प्रवेश किया तो सड़कों पर छोटी-छोटी बच्चियां हमलोगों को देख रही थी. उन्हें उम्मीद दिख रही थी कि उन बच्चियों से कहा कि आज हम जंहा है. तुम भी आ सकती हो. उन्होंने कहा कि हमलोग देशवासियों को संदेश देना चाहते हैं कि एक कदम हमारे साथ पढ़ाओ और तिरंगा चांद तक लेकर जाएंगे, हम बेटी हैं, बेटों से कम नहीं.
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