8 फीट की जटा वाले इस शख्स की रोचक है कहानी, 77 की उम्र में भी पॉपुलर
मुंगेर अपने कई अजीबोगरीब लोगों के बारे में सुना और देखा होगा, लेकिन आज हम आपको ऐसे व्यक्ति के बारे में बता रहे हैं, जो अपनी अनोखी जटा के कारण जटा वाले बाबा के नाम से मशहूर है.
highlights
- 8 फीट की जटा की वजह से पॉपुलर हैं सकलदेव
- वन पोषक के रूप में करते हैं कार्य
- वैशाख माह में करते हैं बाल की सफाई
Munger:
मुंगेर अपने कई अजीबोगरीब लोगों के बारे में सुना और देखा होगा, लेकिन आज हम आपको ऐसे व्यक्ति के बारे में बता रहे हैं, जो अपनी अनोखी जटा के कारण जटा वाले बाबा के नाम से मशहूर है. जी हां, मुंगेर जिले के नक्सल प्रभावित टेटिया बम्बर प्रखंड नोनाजी पंचायत के ढंगड़ा गांव में सकलदेव टूड्डू उफ जटा वाले बाबा रहते हैं. इन्हें लोग महात्मा और शिव भक्त कहकर बुलाते हैं. इस शख्स की उम्र 77 साल है और इनका नाम सकलदेव है. इनकी जटा बहुत ही अदभुत है. बाबा अपनी जटा को काफी सहेज कर रखते हैं कि लोग इसे देखकर दातों तले ऊंगली दबा लेते हैं. इनकी जटा इतनी लंबी है कि इसे खुला रखकर उनसे चला भी नहीं जाता.
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कद से लंबे बाल
हां, आपको यह जानकर हैरानी होगी कि बाबा के कद से भी ज्यादा लंबी उनकी जटा है. जटा तकरीबन आठ फीट से अधिक लंबी है. वन विभाग में संविदा पर कार्यरत सकलदेव टुड्डू को बचपन से ही लम्बे बाल रखने का शौक था और आज उनका यही शौक पहचान बन गया है. सकलदेव ने कहा कि 40 साल की उम्र में जब अपने परिवार के भरण पोषण के लिए एक प्लास्टिक पाइप फैक्ट्री में काम करने के लिए हरियाणा गया था.
8 फीट की जटा की वजह से पॉपुलर हैं सकलदेव
वहीं, एक रात जब सोकर उठा तो तो देखा कि बाल जटा सी बन गई है. जब बालों में जटा होने की़ खबर जैसे-जैसे गांव में फैली, गांव वाले उसे चमत्कार मानने लगे. उन्होंने कहा कि जब गांव आया तो अपने कुल देवता की पूजा की और पूजा में चढ़ाई गई शराब को जब पी तो उल्टी हो गई. जिसके बाद ग्रामीणों ने मानने लगा कि मैं शिवभक्त का शिष्य हूं. मुझे शाकाहारी भोजन करना चाहिए, जिसके बाद में शराब और मास खाना बंद कर दिया और शाकाहारी बन गया.
वन पोषक के रूप में करते हैं कार्य
सकलदेव टुड्डू बताते हैं कि जब सर में जटा का बाल हुआ, तब से हमारा परिवार सुखी से रह रहा है. उन्होंने बताया कि 30 साल से अधिक समय से वन विभाग में वन पोषक के रूप में काम कर रहा है. मैंने 50 रुपये से शुरू किया और आज 10 हजार रुपये महीने मिलते हैं. मुझे पर्यावरण से बहुत प्यार है, जिसके कारण जंगलों में लाखों पेड़ों को बचाया है और कई फल खाने के पेड़ भी लगाए हैं. जंगलों में रहने वाले आदिवासी समुदाय के लोगों को बताया कि किस पेड़ का फल खाने से क्या फायदे है, क्या नुकसान है? जिसके कारण आज कई पेड़ जंगल में सुरक्षित है. आगे बताया कि जड़ी बूटी से इलाज करता हूं और आयुर्वेदिक दवाई भी बनाता हूं. सकलदेव टुड्डू अभी पतघाघर-डंगरा मुख्य पथ पर वन विभाग द्वारा एक हजार पेड़ की रखवाली करते हैं.
वैशाख माह में करते हैं बाल की सफाई
सकलदेव टूडू कहते हैं गर्मी के मौसम में बाल में ज्यादा धूल जम जाने के कारण हर दस दिन में मिट्टी से बाल को धोते हैं. बाल धोने के बाद बाल को सुखाना पड़ता है. उन्होंने कहा गर्मी के मौसम में सर में गर्मी नहीं लगती है. बाल छांव जैसा काम करता है. बारिश में बाल को बचाने के लिए उसे ढकने के लिए पन्नी आदि की व्यवस्था कर रखते हैं, जिससे कि बाल नहीं भीगे. उन्होंने कहा कि पिछले साल जब बाल का वजन करवाया तो आधा किलो था.
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