टिकट नहीं मिलने पर अश्विनी चौबे ने दिया जवाब, कहा- मेरा कसूर यह है कि मैं कर्मकांडी ब्राह्मण
दर्द बयान करते हुए अश्विनी चौबे ने कहा कि मेरा कसूर यह है कि परशुराम के भक्त हैं और कर्मकांडी ब्राह्मण हैं. लोकसभा चुनाव में उन्हें टिकट नहीं दिया गया.
highlights
- टिकट कटने के बाद पहली बार मीडिया के सामने आए अश्विनी चौबे
- कहा- 'मेरा कसूर यह है कि परशुराम के भक्त हैं
- पार्टी ने सबकुछ दिया, नहीं छोड़ सकता साथ
Patna:
केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे बिहार के बक्सर से सीट नहीं मिलने के बाद पहली बार मीडिया के सामने आए. इस बार बक्सर से उन्हें सीट नहीं मिली, जब उनसे सोमवार को मीडिया ने यह सवाल किया तो उन्होंने कहा कि मेरा कसूर यही है कि मैं एक फकीर हूं. मेरा कसूर यही है कि मैं ब्राह्मण समाज का हूं. मीडिया के सामने दर्द बयान करते हुए उन्होंने कहा कि मेरा कसूर यह है कि परशुराम के भक्त हैं और कर्मकांडी ब्राह्मण हैं. यूं तो अश्विनी चौबे सोशल मीडिया से लेकर हर जगह सक्रिय नजर आते हैं. बावजूद इसके इस लोकसभा चुनाव में उन्हें टिकट नहीं दिया गया. उन्होंने कहा कि पार्टी ने सबकुछ किया और संघर्ष ही हमारा जीवन है. हमारे जीवन की यही पूंजी है और कभी किसी के सामने हमने हाथ नहीं फैलाया.
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'मेरा कसूर यह है कि परशुराम के भक्त हैं और कर्मकांडी ब्राह्मण'
हम टिकट बांटने वालों में से एक थे, मुझे पार्टी ने सम्मान दिया और आगे भी सम्मान देने की बात है. मैं पार्टी से नाराज नहीं हूं और मैं बक्सर का हूं व हमेशा बक्सर का ही बनकर रहूंगा. नाराज वे लोग हैं, जो बाहर से आए हैं. हम भीगी बिल्ली की तरह नहीं हैं, हमारी मां बीजेपी है और बीजेपी ने ही सबकुछ दिया है.
अश्विनी चौबे की जगह पार्टी ने मिथिलेश तिवारी को दिया टिकट
आगे रामचरितमानस की चौपाई सुनाकर अश्विनी चौबे ने कहा कि मान सहित विष पीकर जगदीश बन गए हैं और वह नीलकंठ धारी हैं. सिर्फ रामकाज के लिए काम करते हैं, जो हो गया, सो हो गया. अश्विनी चौबे की बात करें तो वे 7 बार विधानसभा और दो बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं, उन्हें कभी भी चुनाव में हार का सामना नहीं करना पड़ा. वहीं, टिकट नहीं दिए जाने पर पार्टी के खिलाफ जाने को लेकर उन्होंने कहा कि वह गिरगिट नहीं है, जो रंग बदलेंगे. पार्टी ने इस बार अश्विनी चौबे की टिकट काटते हुए पार्टी से युवा नेता मिथिलेश तिवारी को बक्सर से अपना उम्मीदवार बनाया है. मिथिलेश तिवारी मूलरूप से गोपालगंज के रहने वाले हैं, ऐसे में उन्हें बाहरी कहा जा रहा है. स्थानीय कार्यकर्ताओं में भी मिथिलेश तिवारी को लेकर विरोध देखा जा रहा है.
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