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'My Lord घोटाले के समय मैं नाबालिग था', दिल्ली HC में तेजस्वी की दलील!

तेजस्वी यादव द्वारा यह भी कथन किया गया है कि उन्हें राजनीतिक  दुर्भावना के तहत सीबीआई का दुरुपयोग करते हुए मामले में आरोपी बनाने का प्रयास किया जा रहा है.

Updated on: 16 Mar 2023, 12:37 PM

highlights

  • सीबीआई समन के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचे तेजस्वी
  • खुद को आरोपी  बनाने के खिलाफ दाखिल की याचिका
  • तेजस्वी का कथन-स्कैम के समय मैं था नाबालिग

Patna:

लैंड फॉर जॉब स्कैम मामले में आरोपों का सामना कर रहे बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने सीबीआई के समन को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है. बता दें कि सीबीआई ने समन भेजकर तेजस्वी यादव को दिल्ली स्थित राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश होने को कहा है. तीन बार सीबीआई द्वारा तेजस्वी यादव को समन भेजा जा चुका है लेकिन तेजस्वी यादव पेश नहीं हुई हैं. दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष दाखिल की गई याचिका में तेजस्वी यादव ने अपराध कारित होने के समय खुद के नाबालिग होने की दलील दी है. तेजस्वी यादव ने हाईकोर्ट के समक्ष दाखिल याचिका में कथन किया है कि जिस समय का मामला सीबीआई द्वारा बताया जा रहा है उस समय वो नाबालिग थे लिहाजा क्या हुआ और क्या नहीं हुई उसके बारे में उनसे पूछताछ करने अथवा उन्हें आरोपी बनाने का कोई आधार नहीं बनता. इतना ही नहीं तेजस्वी यादव द्वारा यह भी कथन किया गया है कि उन्हें राजनीतिक  दुर्भावना के तहत सीबीआई का दुरुपयोग करते हुए मामले में आरोपी बनाने का प्रयास किया जा रहा है. सीबीआई द्वारा उनसे पूछताछ करने का कोई औचित्य ही नहीं बनता.

 

 

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लालू, मीसा, राबड़ी देवी को मिल चुकी है जमानत

वहीं, राउज एवेन्यू कोर्ट द्वारा तेजस्वी यादव, उनके पिता लालू यादव, मां राबड़ी देवी, बहन मीसा भारती समेत सभी 16 आरोपियों को समन भेजा था और 15 मार्च 2023 को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था. 15 मार्च 2023 को लालू यादव, राबड़ी देवी, मीसा भारती राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश हुए थे, जहां उन्होंने जमानत के लिए अर्जी दी और कोर्ट ने 50-50 हजार के निजी मुचलके पर तीनों आरोपियों को जमानत दे दी थी. लेकिन तेजस्वी यादव कोर्ट में प्रस्तुत नहीं हुए थे और अब उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. तेजस्वी यादव की याचिका पर आज सुनवाई होगी और मामले की सुनवाई  हाईकोर्ट के जस्टिस दिनेश शर्मा की बेंच करेगी.

बता दें कि तेजस्वी यादव को सीबीआई द्वारा 4 मार्च और 11 मार्च और 14 मार्च 2023 को समन जारी कर पूछताछ के लिए पेश होने के निर्देश दिए गए थे लेकिन तेजस्वी यादव पेश नहीं हुए. अब सीबीआई समन के खिलाफ तेजस्वी यादव ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

क्या है IRCTC घोटाला?

लालू यादव पर IRCTC घोटाले का आरोप
लालू के रेलमंत्री रहने के दौरान घोटाला
लालू पर रेलमंत्री रहते पद का दुरुपयोग का आरोप 
SHPL को दो होटल लीज पर देने का आरोप
विनय कोचर और विजय कोचर थे SHPL के मालिक
IRCTC के रांची-पुरी में लीज पर दिये थे दो होटल
बदले में लालू परिवार को मिली पटना में  3 एकड़ जमीन
होटल देने के एवज में कथित तौर पर मिली कीमती जमीन
डिलाइट कंपनी को SHPL से मिली कथित तौर पर जमीन
राबड़ी-तेजस्वी की लारा प्रोजेक्ट कंपनी ने डिलाइट कंपनी से ली जमीन
बेहद कम कीमत पर डिलाइट कंपनी से लारा प्रोजेक्ट ने खरीदी जमीन
आरजेडी नेता प्रेमचंद गुप्ता की पत्नी सरला गुप्ता के नाम पर डिलाइट कंपनी
2006 के घोटाले में CBI ने राबड़ी-तेजस्वी से कई बार की पूछताछ
CBI ने 2017 में लालू,राबड़ी, तेजस्वी समेत 16 पर मामला दर्ज
सीबीआई ने 2017 में सभी के खिलाफ किया मुकदमा दर्ज
2018 में सभी को मिल गई कोर्ट से जमानत
CBI के बाद ED ने भी मामले में चार्जशीट दाखिल की

इन 16 लोगों को भेजा गया समन

IRCTC घोटाले मामले में सीबीआई ने लालू यादव, राबड़ी देवी, मीसा भारती, राज कुमार सिंह, मिथलेश कुमार, अजय कुमार, संजय कुमार, धर्मेंद्र कुमार, विजय कुमार, अभिषेक कुमार, रविंद्र राय, किरण देवी, अखिलेश्वर सिंह, रामाशीष सिंह, कमल दीप मनरई (तत्कालीन सीपीओ सेंट्रल रेलवे) और सौम्या राघवन (तत्कालीन जीएम सेंट्रल रेलवे) के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. 


क्या है आरोप?

सीबीआई ने आरोप लगाया है कि मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर में स्थित रेलवे के विभिन्न क्षेत्रों में 2004 से 2009 के दौरान बिहार के विभिन्न निवासियों को ग्रुप-डी पदों के विकल्प के रूप में नियुक्त किया गया था. उपर्युक्त आरोप के मद्देनजर, व्यक्तियों ने स्वयं या उनके परिवारों ने तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के परिवार के सदस्यों और कंपनी एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर अपनी जमीन हस्तांतरित कर दी, जिसे बाद में उनके परिवार के सदस्यों ने ले लिया.

यह आरोप लगाया गया है कि सीबीआई ने जोनल रेलवे में एवजी की नियुक्ति के लिए कोई विज्ञापन या कोई सार्वजनिक नोटिस जारी नहीं किया था. यह कहा गया है कि जांच से पता चला था कि उम्मीदवारों को उनकी नियुक्ति के लिए किसी विकल्प की आवश्यकता के बिना विचार किया गया था और उनकी नियुक्ति के लिए कोई अत्यावश्यकता नहीं थी जो स्थानापन्नों की नियुक्ति के पीछे मुख्य मानदंडों में से एक था और वे अपनी नियुक्ति की मंजूरी के बहुत बाद में अपने कर्तव्यों में शामिल हुए और बाद में उन्हें नियमित कर दिया गया.