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Chirag Paswan ने पिता को किया ऑस्ट्रेलिया से पिंडदान, RJD ने बोला हमला, कह डाली ये बड़ी बात

आरजेडी ने चिराग पासवान पर ऑस्ट्रेलिया में रहते हुए पिंडदान करने को लेकर तंज कसा है. आरजेडी के बिहर एससी अध्यक्ष अनिल कुमार ने चिराग पासवान पर कटाक्ष करते हुए ट्वीट किया, 'वाह रे नौटंकीबाज....पूरी दुनिया पिंडदान करने गया जी और पुनपुन आती है और ये..'

Updated on: 05 Oct 2023, 04:08 PM

highlights

  • चिराग पासवान ने अपने पिता को किया पिंडदान
  • ऑस्ट्रेलिया से किया पिता को पिंडदान
  • आरजेडी ने चिराग पासवान पर किया कटाक्ष

Patna:

पितृ पक्ष शुरू हो चुका है और लोग अपने अपने पितरों को पिंडदान कर रहे हैं ताकि उनकी आत्मा को शांति मिले. लोजपा (रा) चीफ चिराग पासवान ने भी पिंडदान किया लेकिन वह इस समय ऑस्ट्रेलिया में हैं और वहां पर ही वीडियो कॉल के जरिए अपने पिता व अन्य पूर्वजों को पिंडदान किया. चिराग पासवान द्वारा ऑस्ट्रेलिया से पिंडदान करने पर आरजेडी ने उनपर जोरदार हमला बोला है. चिराग पासवान ने ट्विटर पर पिंडदान कर्म के दौरान की तस्वीरों व वीडियो को अटैच करते हुए ट्वीट किया, 'आज जो कुछ भी हूं पापा के आशीर्वाद से हूं और मुझे पूर्ण विश्वास है की पापा जहां भी होंगे परिवार को अपना आशीर्वाद दे रहें होंगे. पितृपक्ष पर पापा को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि !'

वहीं, आरजेडी ने चिराग पासवान पर ऑस्ट्रेलिया में रहते हुए पिंडदान करने को लेकर तंज कसा है. आरजेडी के बिहर एससी अध्यक्ष अनिल कुमार ने चिराग पासवान पर कटाक्ष करते हुए ट्वीट किया, 'वाह रे नौटंकीबाज....पूरी दुनिया पिंडदान करने गया जी और पुनपुन आती है और ये लाट साहब ऑस्ट्रेलिया में फर्जी पिंड दान कर रहे हैं. ड्रामेबाजी में इन्होंने अपने आका बांकेलाल को भी पछाड़ दिया है. वैसे भी जिस औलाद के सामने स्वर्गीय पिता की मूर्ति तोड़ दी जाए, तस्वीर सड़क पर फेंक दिया जाए..वैसी औलाद को पिंड दान करने का कोई हक़ नहीं है.'

29 सितंबर 2023 से 14 अक्टूबर 2023 तक रहेगा पितृ पक्ष

पंचांग के अनुसार, पितृपक्ष  भाद्रपद पूर्णिमा तिथि से शुरू होता है और अमावस्या के दिन समाप्त होता है. इस साल पितृपक्ष 29 सितंबर 2023 से शुरू हो चुका है और यह 14 अक्टूबर 2023 को समाप्त होगा. हिंदू धर्म में इसका बड़ा महत्व है जो पूर्वजों की पूजा के लिए समर्पित 16 दिनों की अवधि है. इस अवधि के दौरान, पूर्वजों के लिए पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. पितृपक्ष के दौरान कुछ कार्य को करने से पितर प्रसन्न होते हैं. इन्हीं में से एक पशु-पक्षियों को भोजन कराना भी शामिल है. पितृपक्ष में कुछ पशु-पक्षियों को भोजन कराने का विधान है. वहीं इस दौरान भोजन के पांच अंश भी  निकाला जाता है. क्या है ये पांच अंश, आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं. 
 
पितृपक्ष के दौरान इन पशु-पक्षियों के लिए निकाले जाते हैं भोजन के 5 अंश

पितृपक्ष में श्राद्ध के दौरान कुछ पशु-पक्षियों के लिए भोजन का अंश निकालने का विधान है. पितरों के निमित्त निकाले जाने वाले भोजन के इस पांच अंश को पंचबलि के नाम से जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि भोजन का अंश निकाले बिना श्राद्ध कर्म अधूरा होता है. बता दें कि भोजन के ये 5 अंश गाय, कुत्ता, चींटी, कौवों और देवताओं के लिए निकाला जाता है. 

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पंचबलि देने का सही तरीका क्या है?

पितृपक्ष में श्राद्ध के दौरान श्राद्ध के समय सबसे पहले कंडा जलाकर भोजन से तीन आहुति दी जाती है. इसके बाद भोजन को पांच भागों में निकाला जाता है और गाय, कुत्ते, चींटियों और देवताओं के लिए पत्तों पर रखा जाता है. जमीन पर एक हिस्सा कौवे के लिए छोड़ दिया जाता है. उसके बाद प्रार्थना की जाती है कि पूर्वज आकर भोजन ग्रहण करें और अपना आशीर्वाद प्रदान करें. 

पंचबलि को लेकर क्या है मान्यता

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृपक्ष के दौरान पूर्वज पशु-पक्षियों और देवताओं के रूप में प्रकट होते हैं. यह रूप हैं गाय, कुत्ता, कौवा और चीटी और इन्हीं के जरिए पितृ भोजन ग्रहण करते हैं. यही वजह है कि श्राद्धकर्म में पितरों के लिए भोजन का 5 अंश निकाला जाता है. इनमें से प्रत्येक एक तत्व का प्रतिनिधित्व करता है. गाय पृथ्वी का प्रतीक माना जाता है, कुत्ता जल तत्त्व का प्रतीक माना जाता है, चींटी अग्नि का प्रतीक है, कौवा वायु का प्रतीक है और देवताओं को आकाश तत्व का प्रतीक माना गया है. श्राद्ध के दौरान भोजन के पांच हिस्से चढ़ाना इन तत्वों के प्रति आभार व्यक्त करने के एक तरीके के रूप में देखा जाता है.