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Explained: कांग्रेस सत्ता में आई तो आपकी संपत्ति मुस्लिमों को दे देगी, जानें पीएम मोदी के इस बयान के क्या हैं मायने

Explained: कांग्रेस ने इस बार नहीं पहले भी अपने मेनिफेस्टो में की है मुसलमानों की वकालत, जानें पीएम मोदी के भाषण के पीछे का सच

Updated on: 24 Apr 2024, 06:49 PM

New Delhi:

Explained: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के हाल में चुनावी भाषण ने देशभर में एक मुद्दे को सुर्खियों में ला दिया है. ये मुद्दा है हिंदू और मुसलमानों की संपत्ति से जुड़ा. दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के बांसवाड़ा में आयोजित एक चुनावी रैली में कहा कि कांग्रेस सत्ता में आई तो आप लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों में बांट देगी. हालांकि पीएम मोदी के इस बायन को लेकर कांग्रेस समेत विरोधी दलों ने आपत्ति जताई. यही नहीं इन दलों ने उनके भाषण की शिकायत भी चुनाव आयोग में दर्ज कराई, इसको लेकर चुनाव आयोग की ओर से कदम भी उठाया गया है. हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इशारों इशारों में ही सही कांग्रेस की पुरानी सोच से पर्दा उठाया. पीएम मोदी ने बताया कि यह पहली बार नहीं जब कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र के जरिए इस तरह की बात की हो बल्कि कांग्रेस वर्षों से इस काम में जुटी है. आइए जानते हैं कि आखिर पीएम मोदी ने कांग्रेस को लेकर जो बयान दिया है उसके मायने क्या हैं. 

पीएम मोदी के कांग्रेस पर दिए बयान के मायने जानने से पहले यह जान लें कि कांग्रेस ने मुस्लिमों को आरक्षण देने या फिर उनके फायदे को लेकर कई बार कोशिशे की हैं. इसमें एससी और  एसटी के हक के भी करने की कोशिश की गई. इसकी शुरुआत देश के दक्षिण राज्यों से हुई. पहले आंध्र प्रदेश तो फिर अन्य राज्यों में कांग्रेस समय-समय पर  इस दिशा में अपने कदम बढ़ाए. 

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3 दशक पहले हुई कांग्रेस की शुरुआत 
मुस्लिमों को फायदा पहुंचाने के लिए कांग्रेस ने तीन दशक पहले ही अपने कदम बढ़ाना शुरू कर दिए थे. इसकी शुरुआत वर्ष 1993 में हुई जब आंध्र प्रदेश का बंटवारा नहीं हुआ था. इस दौरान मुस्लिमों के लिए पहली बार आरक्षण का प्रस्ताव लाया गया. उस वक्त कांग्रेस सरकार में विजय भारस्कर रेड्डी अल्पसंख्यक मंत्रालय का नेतृत्व कर रहे थे. एक वर्ष में उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों से लेकर गवर्नमेंट जॉब तक मुस्लिम समेत 14 अन्य जातियों को 5 फीसदी आरक्षण यानी कोटा देने का आदेश जारी कर दिया. 

नहीं चला कांग्रेस का दांव
मुस्लिमों को रिझाने के लिए चला गया कांग्रेस का दांव चल नहीं पाया और पार्टी एक नहीं बल्कि दो बार लगातार चुनाव में बुरी तरह हारी. हालांकि इसके बाद भी पार्टी के प्रयास जारी रहे और वर्ष 2004 में मुस्लिमों को आरक्षण देने का दावा कांग्रेस ने चुनावी वादे के रूप में किया. वाई एस राजशेकर रेड्डी ने सरकार बनाते ही 2 महीने में इसे लागू करने का ऐलान भी कर डाला. क्योंकि केंद्र में UPA सरकार थी जहां से रेड्डी को पूरा समर्थन हासिल था. 

फिर कांग्रेस को लगा झटका
हालांकि बाद में रेड्डी सरकार के फैसले को लेकर अदालत में याचिक दाखिल की गई है और सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आरक्षण 5 से घटाकर 4 फीसदी करने को कहा. इसके पीछे कोर्ट ने 50 फीसदी सीमा के उल्लंघन का हवाला भी दिया. इस पर कांग्रेस की ओर से तर्क दिया गया कि उन्होंने ये फैसला धर्म नहीं बल्कि पिछड़ेपन की वजह से दिया है.   हालांकि अन्य राजनीतिक दलों के विरोध के बीच  कोर्ट ने 4 फीसदी कोटा वाले आदेश पर भी रोक लगा दी और सिर्फ आर्थिक रूप से पिछड़ी कैटेगरी वालों के लिए रिजर्वेशन जारी रखने दिया. 

2009 में कांग्रेस ने मेनिफेस्टो में फिर चला दांव, दक्षिण राज्य निशाने पर
कांग्रेस की ओर से मुस्लिम आरक्षण का राग अभी खत्म नहीं हुआ था. 2004 के बाद अब एक बार फिर लोकसभा चुनाव दहलीज पर थे लिहाजा 2009 में कांग्रेस ने अपने मेनिफेस्टो में जॉब से लेकर एजुकेशन तक हर क्षेत्र में मुस्लिमों को देशभर में रिजर्वेशन देने का दांव चला. यही नहीं कांग्रेस ने अन्य पिछड़ा वर्ग में भी एक उप कोटा मुसलमानों के लिए बनाने पर विचार रखा. 

मुस्लिमों को 10 जबकि अन्य अल्पसंख्यों को 5 फीसदी रिजर्वेशन की सिफारिश
इसके लिए कांग्रेस ने शुरुआती तौर पर देश के दक्षिण राज्यों पर निगाहे तरेरीं. आंध्र प्रदेश के बाद केरल, कर्नाटक में भी अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण में से मुस्लिमों को भी रिजर्वेशन देने की कोशिश की गई. सरकार की ओर से गठित कमेटी ने गैर-अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों में मुस्लिमों को 10 जबकि अन्य अल्पसंख्यकों को 5 फीसदी ही कोटा देने की सिफारिश भी की गई.   

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2011 में कांग्रेस ने फिर की कोशिश
मुसलमानों के लिए कांग्रेस ने 2011 में फिर दांव चला और OBC कोटा में 8.4 फीसदी उपकोटा का प्रस्ताव दिया. इसमें मुस्लिमों के लिए 6 फीसदी की बात कही गई. इसके एक साल बाद उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होना था, इससे पहले कांग्रेस की ओर से जॉब और नेशनल एजुकेशनल इंस्टिट्यूट्स में ओबीसी को 27 जबकि अल्पसंख्यकों को 4.5 फीसदी उपकोटा देने का ऐलान किया. हालांकि चुनाव आयोग के चलते ये हो न सका और तात्कालीन पीएम मनमोहन सिंह से दक्षिण राज्यों और यूपी में इस कोटे को लागू नहीं करने दिया गया. 

बीजेपी सरकार ने क्या किया
भारतीय जनता पार्टी ने कर्नाटक में किए गए कांग्रेस के मुस्लिम कोटा को लेकर बड़ा कदम उठाया गया. बीजेपी ने वर्ष 2023 में विधानसभा चुनाव से पहले ही पिछड़ा वर्ग के तहत मुसलमानों के उप कोटा को लेकर किए गए 4 फीसदी रिजर्वेशन को खत्म करने का फैसला लिया. 

कांग्रेस ने पीएम मोदी के भाषण पर जताई आपत्ति
पीएम मोदी के राजस्थान के बांसवाड़ा में दिए भाषण को लेकर कांग्रेस ने चुनाव आयोग से शिकायत की. कांग्रेस ने कहा - धन के पुनर्वितरण वाली टिप्पणियों के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए. ऐसी  टिप्पणियां ‘विभाजनकारी’ और ‘दुर्भावनापूर्ण’ हैं. जो एक विशेष धार्मिक समुदाय को लक्षित करती हैं. 

अब EC कर रहा पीएम मोदी के खिलाफ शिकायत की जांच
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पीएम मोदी के भाषण को लेकर दर्ज की गई शिकायतों को लेकर  चुनाव आयोग की ओर से विचार किया जा रहा है. दरअसल कांग्रेस और लेफ्ट ने आयोग से 140 पेज में 17 शिकायतें की हैं.