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Weather Updates: क्यों 2010 के बाद लगातार देर से हो रही Monsoon की बिदाई, ये है वजह

Weather Updates: देश में बीते 13 वर्षों से लगातार मॉनसून की विदाई में देरी दर्ज की जा रही है. इस वर्ष सितंबर की 21 तारीख तक भी 7 फीसदी बारिश कम रजिस्टर हुई है.

Updated on: 25 Sep 2023, 12:19 PM

highlights

  • भारत में लगातार 13 वर्षों से मॉनसून विदाई में हो रही देरी
  • 2010 के बाद से सितंबर की बजाय अक्टूबर में विदा होता है मॉनसून
  • इस वर्ष सितंबर 21 तक देश कुल बारिश का 7 फीसदी कम दर्ज किया गया है

नई दिल्ली:

Weather Updates: देशभर के कई इलाकों में अब भी मॉनसून की गतिविधियां सक्रिय हैं. कुछ इलाकों में भारी बारिश का दौर भी जारी है. जैसे महाराष्ट्र से लेकर गोवा, कोंकण और मध्य भारत के कई इलाकों में बारिश ने अभी भी लोगों की मुश्किलें बढ़ा रखी हैं. इसी तरह उत्तर भारत के कई इलाकों भी जैसे राजस्थान, दिल्ली-एनसीआर और पंजाब, हरियाणा में भी कई शहरों में रुक-रुक कर बारिश का दौर जारी है. दरअसल मानसून की बिदाई सितंबर के पहले हफ्ते के आस-पास होने लगती है. लेकिन वर्ष 2010 के बाद से ही मॉनसून की वापसी या यूं कहें बिदाई में देरी देखने को मिल रही है. इसको लेकर भी भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की ओर से बड़ा अपडेट सामने आया है. 

कब लौटने लगता है मॉनसून
मॉनसू के विदाई की बात करें तो उत्तर भारत से इसकी बिदाई  17 सितंबर के आस-पास हो जाती है. लेकिन बीते कुछ वर्षों पर नजर दौड़ाएं तो अक्टूबर के महीने में भी अच्छी बारिश दर्ज की गई है. जो बताती है कि मॉनसून को लौटने में काफी देरी हो रही है. 

मौजूदा सीजन की बात करें तो इस बार भी मॉनसून के सितंबर के महीने में वापसी के आसार नहीं दिख रहे हैं. बताया जा रहा है कि अक्टूबर के पहले हफ्ते तक भी कई इलाकों में अच्छी बारिश हो सकती है. जानकारों की मानें तो मॉनसून की वापसी में देरी का ये 13वां वर्ष है. 

क्यों देरी से हो रही मॉनसून की वापसी
मॉनसून की गतिविधियों में देरी को लेकर बड़ी वजह अल नीनो इफेक्ट को ही माना जाता है. दरअसल आर्कटिक में समुद्री बर्फ को नुकसान पहुंचा है, यही नहीं उत्तरी गोलार्ध से भी अटलांटिक के गर्म होने की जानकारी मिली है. 

यानी यहां पर भी बर्फ तेजी से पिघली है. ऐसे में हवाओं का दबाव उत्तर की ओर बढ़ा और इससे अल नीनो प्रभावित हुआ और प्रशांत एरिया में ग्लोबल वार्मिंग के संकेत दिखने लगे. 

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क्यों बदला मौसम का मिजाज
दरअसल जब दो गोलार्ध की हवाएं एक दूसरे से टकराती हैं तो स्थिर मौसम और भीषण गरज के साथ मौसम का मिजाज बदलने लगता है. ऐसे जब भी आईटीसीजेड उत्तर की ओर ट्रांसफर होने लगता है तो भारत में मॉनसून की गतिविधियों आगे बढ़ जाती है यानी इसकी विदाई का वक्त भी लंबा हो जाता है. भारत में ऐसा बीते कई वर्षों से देखने को मिल रहा है. हालांकि मानसून आता अपने वक्त से है लेकिन इसकी बिदाई देरी हो जाती है. 

इस वर्ष तो अधिकमास आने की वजह से ही गृहों की चालों में परिवर्तन देखने को मिला है. ज्योतिषाचार्यों की मानें तो इस बार मॉनसून ही नहीं सभी मौसम में एक महीने का अंतर देखने को मिल सकता है. 

किन राज्यों में अभी सक्रिय है मॉनसून और कब तक रहेगा
मौसम के जानकारों की मानें तो मॉनसून की गतिविधियां अगले महीने यानी अक्टूबर तक जारी रहने की संभावना बनी हुई है. इसके तहत देश के पूर्वी, मध्य और दक्षिणी इलाकों में अच्छी बारिश देखने को मिल सकती है. जबकि उत्तरी इलाकों में बारिश का असर कम दिखाई देगा. इनमें ओडिशा, बिहार और छत्तीसगढ़ प्रमुख रूप से शामिल है. लेकिन जहां अच्छी बारिश हो सकती है उनमें मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गोवा, कोंकण, कर्नाटक के तटीय इलाके प्रमुख रूप से शामिल हैं. 


भारत में कब लौटेगा मॉनसून
मौसम एक्सपर्ट्स की मानें तो भारत में 21 सितंबर 2023 तक 7 प्रतिशत बारिश कम दर्ज की गई है. IMD की मानें तो 21 से 27 के बीच भारत में मॉनसून को पूरी तरह विदा हो जाना चाहिए, लेकिन इस बार ये बिदाई की प्रक्रिया 30 सितंबर से 9 अक्टूबर तक चल सकती है. यानी 10 से 15 दिन मॉनसून आगे बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है. बता दें कि भारत में पूरे मॉनसून के सीजन में यानी जून से लेकर सितंबर तक बारिश का आंकड़ा करीब 868.8 मिमी रहता है. लेकिन इस बार ये आंकड़ा तकरीबन सात फीसदी तक कम रहा है.