एकादशी व्रत 2017: जानें क्या है महत्व, गलती से भी ना करें ये काम
एकादशी व्रत करने की इच्छा रखने वाले मनुष्य को दशमी के दिन से कुछ अनिवार्य नियमों का पालन करना पड़ेगा।
नई दिल्ली:
हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। हर साल 24 एकादशियां होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है, तब उनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। हर महीने की 11 तारीख को एकादशी का व्रत करते हैं और हर महीने में दो एकादशी होती तिथि होती है। एक शुक्ल पक्ष का और दूसरा कृष्ण पक्ष का। इस महीने के दूसरी एकादशी 22 मई को होगी।
एकादशी व्रत का संबंध भगवान विष्णु से होता है। ऐसा कहा जाता है कि यह व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। पुराणों मे कहा गया है कि भगवान विष्णु अपने भक्तों को उनकी इच्छानुसार वरदान देने के लिए एकादशी तिथि को पवित्र मानते हैं। कोई भी भक्त अगर विधि-विधान से एकादशी का व्रत करे तो सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं।
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व्रत रखने की विधि
एकादशी व्रत करने की इच्छा रखने वाले मनुष्य को दशमी के दिन से कुछ अनिवार्य नियमों का पालन करना पड़ेगा। इस दिन मांस, प्याज, मसूर की दाल आदि निषेध वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। रात्रि को पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और भोग-विलास से दूर रहना चाहिए।
क्या नहीं करना चाहिए
एकादशी के दिन प्रात: लकड़ी का दातुन न करें। नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उंगली से कंठ साफ कर लें। वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है। खुद गिरा हुआ पत्ता लेकर सेवन करें। यदि यह संभव न हो तो पानी से 12 बार कुल्ला कर लें। फिर स्नानादि कर मंदिर में जाकर गीता पाठ करें या पुरोहितजी से गीता पाठ का श्रवण करें। प्रभु के सामने इस प्रकार प्रण करना चाहिए कि 'आज मैं चोर, पाखंडी और दुराचारी मनुष्यों से बात नहीं करूंगा और न ही किसी का दिल दुखाऊंगा। रात्रि को जागरण कर कीर्तन करूंगा।'
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इस मंत्र का करें जाप
'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' इस द्वादश मंत्र का जाप करें। राम, कृष्ण, नारायण आदि विष्णु के सहस्रनाम को कंठ का भूषण बनाएं। भगवान विष्णु का स्मरण कर प्रार्थना करें कि- हे त्रिलोकीनाथ! मेरी लाज आपके हाथ है, अत: मुझे इस प्रण को पूरा करने की शक्ति प्रदान करना।
घर में ना लगाए झाड़ू
अगर भूलवश किसी निंदक से बात कर भी ली तो भगवान सूर्यनारायण के दर्शन कर धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा मांग लेना चाहिए। एकादशी के दिन घर में झाड़ू नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है। इस दिन बाल नहीं कटवाना चाहिए। न ही अधिक बोलना चाहिए। अधिक बोलने से मुख से न बोलने वाले शब्द भी निकल जाते हैं।
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कब करें व्रत का पारण?
इस दिन यथाशक्ति दान करना चाहिए। किंतु स्वयं किसी का दिया हुआ अन्न आदि कदापि ग्रहण न करें। दशमी के साथ मिली हुई एकादशी वृद्ध मानी जाती है। वैष्णवों को योग्य द्वादशी मिली हुई एकादशी का व्रत करना चाहिए। त्रयोदशी आने से पूर्व व्रत का पारण करें।
इन चीजों का न करें सेवन
फलाहारी को गाजर, शलजम, गोभी, पालक, कुलफा का साग इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए। केला, आम, अंगूर, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करें। प्रत्येक वस्तु प्रभु को भोग लगाकर तथा तुलसीदल छोड़कर ग्रहण करना चाहिए। द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को मिष्ठान्न, दक्षिणा देना चाहिए। क्रोध नहीं करते हुए मधुर वचन बोलना चाहिए।
(विकीपीडिया इनपुट के साथ)
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