Govind Dwadashi 2024: गोविंद द्वादशी कब है 2024 में, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व
Govind Dwadashi 2024: भगवान विष्णु को समर्पित गोविंद द्वादशी का व्रत कैसे रखा जाता है, पूजा विधि क्या है और किन नियमों का आपको पालन करना चाहिए जान लें.
नई दिल्ली:
Govind Dwadashi 2024: गोविंद द्वादशी, हिन्दू धर्म के अनुसार मनाया जाने वाला एक पर्व है. यह पर्व भगवान विष्णु की आराधना और उनके गुणों को स्मरण करने के लिए मनाया जाता है. गोविंद द्वादशी भगवान कृष्ण के जन्म दिन के अगले दिन मनाया जाता है. यह त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को पड़ता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत किया जाता है. विशेष रूप से उत्तर भारत में गोविंद द्वादशी को तुलसी विवाह के रूप में मनाया जाता है, जिसमें तुलसी माता की प्रतिमा को भगवान विष्णु की मूर्ति के साथ विवाहित किया जाता है. गोविंद द्वादशी का पालन करने से मनुष्य को धार्मिकता, श्रद्धा और भगवान के प्रति विश्वास में वृद्धि होती है.
तिथि और शुभ मुहूर्त:
तिथि: 21 मार्च 2024, गुरुवार
द्वादशी तिथि प्रारंभ: 20 मार्च 2024, बुधवार, सुबह 02:23 बजे
द्वादशी तिथि समाप्त: 21 मार्च 2024, गुरुवार, शाम 04:44 बजे
पारण का समय: 22 मार्च 2024, शुक्रवार, सुबह 07:13 बजे से 09:08 बजे तक
पूजा विधि:
व्रत: स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें. भगवान विष्णु का ध्यान करें. "ॐ नमो नारायणाय" या "ॐ विष्णवे नमः" मंत्र का जाप करें.
पूजन: षोडशोपचार पूजा विधि से भगवान विष्णु का पूजन करें. दीप प्रज्वलित करें. फल, मिठाई, और पंचामृत का भोग लगाएं. भगवान विष्णु की आरती करें.
कथा: गोविंद द्वादशी व्रत की कथा पढ़ें या सुनें.
दान: दान-पुण्य करें.
महत्व: यह व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने का एक उत्तम अवसर है. इस व्रत को रखने से सुख, समृद्धि, और मोक्ष की प्राप्ति होती है. यह व्रत संतान प्राप्ति के लिए भी विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है. भगवान विष्णु को पालनहार और रक्षक माना जाता है. इस व्रत को रखने से व्यक्ति को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है.
उपाय: ग्रहों की स्थिति के अनुसार उपाय करें अपनी जन्मकुंडली के अनुसार ग्रहों की स्थिति के आधार पर उपाय करें. रत्न धारण करें ज्योतिषी से सलाह लेकर रत्न धारण करें. ज्योतिषी से सलाह लेकर यंत्र पूजा करें.
गोविंद द्वादशी व्रत के दिन कुछ विशेष नियमों का पालन करना होता है. व्रतधारी को इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए. व्रतधारी को इस दिन मांस, मदिरा, और तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए. व्रतधारी को इस दिन दान-पुण्य करना चाहिए.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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