Triyuginarayan Temple: यहां हुई थी भगवान शिव की माता पार्वती से शादी, जाते ही दूर हो जाता है हर दुख
Triyuginarayan Temple: उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित त्रियुगीनारायण मंदिर एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है. यह मंदिर भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह स्थल के रूप में प्रसिद्ध है.
नई दिल्ली :
Triyuginarayan Temple: त्रियुगीनारायण मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित एक हिंदू मंदिर है. यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और कुछ लोग इसे भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक भी मानते हैं. मंदिर त्रियुगीनारायण नामक एक छोटे से गाँव में स्थित है, जो रुद्रप्रयाग से लगभग 50 किलोमीटर दूर है. मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा माना जाता है. मंदिर का शिखर पत्थर से बना है और यह नागर शैली में है. मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की ज्योतिर्लिंग है. मंदिर के परिसर में कई अन्य मंदिर भी हैं, जिनमें भगवान शिव, देवी पार्वती और भगवान गणेश को समर्पित मंदिर शामिल हैं. त्रियुगीनारायण मंदिर एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है और हर साल हजारों श्रद्धालु यहां आते हैं. मंदिर के लिए निकटतम हवाई अड्डा देहरादून है, जो लगभग 230 किलोमीटर दूर है. मंदिर के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है, जो लगभग 160 किलोमीटर दूर है.
मंदिर के बारे में कुछ रोचक तथ्य इस प्रकार हैं:
मंदिर का नाम त्रियुगीनारायण भगवान विष्णु के तीन रूपों - ब्रह्मा, विष्णु और महेश - से मिलकर बना है. गर्भगृह में ज्योतिर्लिंग स्वयंभू है, यानी इसका निर्माण मनुष्यों द्वारा नहीं किया गया था. परिसर में एक अखंड ज्योति जल रही है, जो माना जाता है कि सदियों से जल रही है. मंदिर के पास एक गर्म जल का झरना है, जो माना जाता है कि औषधीय गुणों वाला है.
कब और कैसे जाएं त्रियुगीनारायण मंदिर
अगर आप त्रियुगीनारायण मंदिर की यात्रा करने की योजना बना रहे हैं, तो सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून और सितंबर से नवंबर के बीच है, जब मौसम सुखद होता है. मंदिर तक पहुंचने के लिए, आप रुद्रप्रयाग से बस या टैक्सी ले सकते हैं. इस मंदिर में प्रवेश करने के लिए आपको कोई शुल्क नहीं देना होगा. दर्शन करने के लिए आपको लगभग 2-3 घंटे लगेंगे. अगर आप यहां रुकना चाहते हैं को मंदिर के पास कई ठिकाने हैं, जिनमें होटल, धर्मशालाएं और लॉज. खाने पीने के लिए भी यहां पर आपको ठीकठाक ऑप्शन मिल जाएंगे.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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