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G-20 Summit: भारत और सऊदी अरब के बीच बढ़ती करीबी से क्यों बेचैन पाकिस्तान? 5 प्वाइंट में जानें

G-20 Summit: सऊदी अरब एक ऐसा देश है जो पाकिस्तान को मुश्किलों से निकालता रहा है. पाकिस्तान को कर्ज देने वाले देशों की लिस्ट में वह सबसे आगे रहा है.

Updated on: 11 Sep 2023, 05:01 PM

नई दिल्ली:

भारत और सऊदी अरब के बीच नजदीकियां बढ़ती जा रही हैं. जी-20 सम्मेलन में सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्‍मद बिन सलमान और पीएम मोदी के बीच गर्मजोशी देखी गई. दोनों ने इस मंच पर एक दूसरे का खुलकर समर्थन किया. इस्लामिक मुल्क होने के बावजूद भारत से ये करीब पाकिस्तान को रास नहीं आ रही है. उसको डर है कि सऊदी अरब से उसके रिश्ते खराब न हो जाएं. दरअसल, सऊदी अरब एक मात्र ऐसा देश है जो पाकिस्तान को हर मुश्किल घड़ी से उबारता रहा है. पाकिस्तान कर्ज देने वाले देशों की लिस्ट में वह सबसे आगे ​है. जी20 में भारत-सऊदी और यूरोप के नए आर्थिक गलियारे को लेकर पाकिस्तान को झटका लगा है. इसके साथ ही सऊदी से आर्थिक सहायता न मिलने की आशंका से वह घबराया हुआ है.

पाकिस्तान की आवाम ने भी सोशल मीडिया पर अपनी सरकार पर गुस्सा निकालना शुरू कर दिया है. इसका कारण है कि हाल ही में सऊदी प्रिंस ने इस्‍लामाबाद यात्रा  को रद्द कर दिया. जनता का कहना है कि सऊदी प्रिंस को पाकिस्तान यात्रा के लिए समय नहीं मिला, मगर उनके पास भारत के लिए टाइम ही टाइम है. 

पाकिस्तान के पास सबसे बडी वजह नई दिल्ली में शनिवार को अमेरिका, भारत, सऊदी अरब, फ्रांस, जर्मनी, इटली आदि नेताओं द्वारा संयुक्त ऐलान है. G20 सम्मेलन में ऐसे कई निर्णय हुए, जिससे पाकिस्तान पर सीधे तौर पर असर पड़ने वाला है. आइए जानते हैं कि क्या कारण हो सकते हैं. 

ये हैं पांच कारण

  1. भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) के ऐलान से पाकिस्तानी नागरिकों में चिंता बढ़ रही है. पाकिस्तानियों में अपनी सरकार के प्रति आक्रोश बढ़ रहा है. दरअसल चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) का हिस्सा पाकिस्तान भी है. भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे से बीआरआई को चुनौती मिलेगी. इसका नुकसान पाकिस्तान को भी होगा. 
  2.  सऊदी अरब ने पिछले दिनों वादा किया था कि वह पाकिस्तान में 25 अरब डॉलर का निवेश करने वाला है. इस निवेश को लेकर पाकिस्तान काफी उत्साहित है. मगर जी 20 की बैठक के बाद से उसे डर लग रहा है की कहीं सऊदी अरब पीछे न हट जाए. इस बीच सऊदी ने चुप्पी साध रखी है. पाकिस्तानी मीडिया का कहना है कि जो 25 बिलियन डॉलर पाकिस्तान में निवेश होने थे, कही अब इस नए सऊदी-भारतीय आर्थिक गलियारे (एसआईपीईसी) का हिस्सा तो नहीं होंगे. 
  3.  सऊदी और पाकिस्तान पुराने दोस्त माने जाते हैं. मगर भारत के साथ बेहतर होते रिश्ते उसके गले की फांस है. पाकिस्तान की कोशिश है कि सऊदी प्रिंस जल्द से जल्द पाकिस्तान का दौरा करें. इस तरह से पाकिस्तान अपने आर्थिक हालातों की दुहाई देकर बड़ा कर्ज मांग सकता है. 
  4.  इस्लामिक फोरम में सऊदी का साथ न मिलने का डर भी पाकिस्तान को सता रहा है. पाकिस्तान इस फोरम की मदद से कश्‍मीर में मुसलमानों पर अत्याचार का दुष्‍प्रचार करता  रहा है. भारत से करीबी बढ़ने पर पाकिस्‍तान की यह चाल फेल को सकती है. पाक को  महसूस हो रहा है कि वह अब इस्लामिक देशों के संगठन में अकेला पड़ चुका है. 
  5.  आपको बता दें कि सऊदी-पाकिस्तान के बीच सैन्य रिश्ते काफी पुराने हैं. दोनों एक दूसरे को भाई-भाई की तरह देखते थे. 1980 के दशक में सऊदी अरब की रक्षा को लेकर पाकिस्तान से 15,000 सैनिक को भेजा गया. रॉयल सऊदी सशस्त्र बल दशकों से पाकिस्तान में प्रशिक्षण लेता रहा है. इसे लेकर भी पाकिस्तान मे चिंता बढ़ी है कि कही ये रिश्ते भी भारत से मजबूत न हो जाएं.