logo-image

सीमापार के आतंक पर बरसे भारत और अमेरिका, रक्षा क्षेत्र में बढ़ाएंगे सहयोग

भारत और अमेरिका के बीच रक्षा समझौतों के साथ ही आतंकवाद पर चर्चा की गई। बातचीत में पाकिस्तान की तरफ से प्रायोजित आतंकवाद के साथ ही अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद को लेकर भी गंभीर चर्चा की गई है।

Updated on: 26 Sep 2017, 03:20 PM

नई दिल्ली:

भारत और अमेरिका के बीच रक्षा समझौतों के साथ ही आतंकवाद पर चर्चा की गई। बातचीत में पाकिस्तान की तरफ से प्रायोजित आतंकवाद के साथ ही अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद को लेकर भी गंभीर चर्चा की गई है। दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति जताई कि आतंकियों की पनाहगाह बने पाकिस्तान के रवैये को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।

दोनों ही पक्षों ने विश्व में बढ़ते आतंकवाद पर चिंता जताई। साथ ही पड़ोसी देश पाकिस्तान की तरफ से प्रायोजित आतंकवाद पर भी चर्चा की गई। रक्षा मंत्री ने कहा, 'पड़ोसी देश में जो स्थिति है और सीमापार से हो रहे आतंकवाद पर गहन चर्चा की गई।'

अमेरिकी रक्षा मंत्री मैटिस ने कहा, 'दोनों देशों ने वैश्विक आतंकवाद के खतरे को समझ रहे हैं कि यह लोगों के लिये कितना खतरनाक है।'

भारत ने कहा है कि आतंकवाद को बढ़ाने और समर्थन देने वालों की पहचान की जानी चाहिये और आतंक को राष्ट्रीय नीति के तहत इस्तेमाल कर रहे हैं उसे खत्म करना चाहिये।

अमेरिकी रक्षा मंत्री जिम मैटिस ने कहा, 'अफगानिस्तान में लोकतंत्र, सुरक्षा और संरक्षा को मज़बूत करने की कोशिश हम की भारत के अमूल्य योगदान की सराहना करते हैं।'

और पढ़ें: रोहिंग्या से हमदर्दी जता घिरे वरुण, BJP बोली- देश हित में नहीं है बयान

अमेरिकी रक्षामंत्री जिम मैटिस के साथ मुलाकात में अफगानिस्तान के मुद्देपर भी चर्चा की गई। साथ ही अफगानिस्तान के पुनर्निमाण में भारत की भूमिका को लेकर अमेरिका ने भार की तारीफ की। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन ने कहा, 'भारत विकास के काम में अपनी भूमिका बढ़ाएगा लेकिन वह अपने सैनिकों को अफगानिस्तान नहीं भेजेगा।'

मैटिस ने कहा, 'दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्र में सहयोग चल रहा है और सैन्य उपकरणों को लेकर पिछले कुछ सालों में सहयोग बढ़ा है। अमेरिका अब भारत के लिये अग्रणी सैन्य उपकरण सप्लायर बन चुका है।'

और पढ़ें: राहुल ने पूछा, विकास को क्या हो गया? लोग बोले- पागल हो गया है