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पीएम नरेंद्र मोदी की सभा में जमीन से आसमान तक छावनी में तब्दील रामलीला मैदान

रामलीला मैदान की सुरक्षा में तीन जिलों का पूरा फोर्स तैनात रहेगा. स्पेशल सेल और क्राइम ब्रांच के अफसर और हथियारबंद पुलिसकर्मी भी सादे लिबास में भीड़ के बीच बैठेंगे.

Updated on: 22 Dec 2019, 12:46 PM

highlights

  • रामलीला मैदान और उसके आसपास के इलाके को छावनी में तब्दील किया गया.
  • रामलीला मैदान की सुरक्षा में तीन जिलों का पूरा फोर्स तैनात रहेगा.
  • क्राइम ब्रांच के अफसर और हथियारबंद पुलिसकर्मी भी सादे लिबास में भीड़ के बीच.

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा के मद्देनजर मध्य दिल्ली के तुर्कमान गेट इलाके में स्थित ऐतिहासिक रामलीला मैदान और उसके आसपास के इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया गया है. यूं तो प्रधानमंत्री की सुरक्षा को लेकर कई दिन से स्पेशल प्रोटक्शन ग्रुप (एसपीजी) और दिल्ली पुलिस माथा-पच्ची कर रहे थे. जमीन पर मगर तैयारियां शनिवार को दिन के वक्त से दिखाई देने लगीं. रविवार आते-आते यानि अब से कुछ देर पहले तक रामलीला मैदान और उसके आसपास के इलाके को छावनी में बदल डाला गया.

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तीन चरणों का सुरक्षा घेरा
प्रधानमंत्री की सुरक्षा की पहली जिम्मेदारी यूं तो एसपीजी और खुफिया तंत्र की होती है, लेकिन चूंकि जनसभा दिल्ली के रामलीला मैदान में है तो ऐसे में एसपीजी के बाद दूसरा सुरक्षा घेरा दिल्ली पुलिस के कमांडो को ही मुहैया कराना है. जबकि तीसरे और अंतिम घेरे में तैनात होंगे अर्धसैनिक बल की टुकड़ियां. इन तमाम तैयारियों को लेकर दिल्ली पुलिस यूं तो कई दिन से जुटी हुई थी. शनिवार को राजकीय अवकाश होने के बाद भी मगर दिल्ली पुलिस मुख्यालय में बैठकों का दौर जारी रहा. देर रात तक खुद पुलिस कमिशनर (पुलिस आयुक्त) अमूल्य पटनायक तैयारियों के बारे में मातहतों के साथ मशविरा करते रहे.

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दिल्ली पुलिस के लिए खासी चुनौती
दिल्ली पुलिस विशेष शाखा (स्पेशल ब्रांच) के विशेष आयुक्त प्रवीर रंजन और एडिशनल पुलिस कमिशनर राजीव रंजन खुद भी रामलीला मैदान के आसपास और दिल्ली के तमाम संवेदनशील स्थानों से खुफिया जानकारियां जुटाने को मैदान में उतरे देखे गए. दरअसल प्रधानमंत्री की सुरक्षा का बाकी सब जिम्मा तो एसपीजी संभालती है और रविवार को भी एसपीजी ही संभालेगी. दिल्ली पुलिस के सामने सबसे बड़ी मुसीबत है कि राजधानी में कई दिन से नागरिका संशोधन कानून (सीएए) को लेकर बवाल काट रहे प्रदर्शनकारियों की कहीं कोई टोली रामलीला मैदान न पहुंच जाए. अगर ऐसा हुआ तो दिल्ली पुलिस खासी मुसीबत में फंस जाएगी.

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तीन जिलों का पूरा फोर्स तैनात
मामला चूंकि प्रधानमंत्री की सुरक्षा से जुड़ा है, ऐसे में दिल्ली पुलिस का कोई भी अफसर खुलकर कुछ बताने को तो तैयार नहीं है. फिर भी रविवार को दिल्ली पुलिस खुफिया तंत्र के एक अफसर ने नाम न खोलने की शर्त पर बताया, 'रामलीला मैदान की सुरक्षा में तीन जिलों का पूरा फोर्स तैनात रहेगा. स्पेशल सेल और क्राइम ब्रांच के अफसर और हथियारबंद पुलिसकर्मी भी सादे लिबास में भीड़ के बीच बैठेंगे, ताकि किसी भी आपात स्थिति में पुलिस को भीड़ में मौजूद संदिग्ध को दबोचने में मशक्कत न उठानी पड़े.'

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छत पर कमांडो की तैनाती
दिल्ली पुलिस डिप्लॉयमेंट सेल के एक आला अधिकारी के मुताबिक, 'पुलिस कमिश्नर रिजर्व फोर्स की पांच कंपनी के साथ ही दिल्ली पुलिस तीसरी वाहनी की पांच कंपनी, और अर्धसैनिक बल की करीब 15 कंपनी भी रामलीला मैदान की सुरक्षा में शनिवार-रविवार रात से ही तैनात कर दी गई हैं' यह सुरक्षा इंतजाम सभा स्थल से भीड़ के हटने तक बरकरार रखे जाएंगे.' इसके अलावा रामलीला मैदान के आसपास की छतों पर दिल्ली पुलिस ने अपने विशेष कमांडो भी तैनात किए हैं ताकि आपात स्थिति में अगर जमीन पर मौजूद सुरक्षा इंतजाम किसी भी तरह से फेल होते दिखाई दे रहे हों तो छतों पर मौजूद कमांडो तुरंत पोजीशन ले सकें.

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आसमान से ड्रोन कैमरे रखेंगे नजर
दिल्ली पुलिस ने अपने खुफिया तंत्र से मिली जानकारियों के आधार पर आसमान से भी निगरानी करने के इंतजाम किए हैं' इसके लिए दिल्ली पुलिस की कोशिश होगी कि ड्रोन कैमरों का इस्तेमाल किया जाए, ताकि रामलीला मैदान के आसपास के इलाके में अगर कहीं कोई संदिग्ध या फिर संदिग्घ गतिविधि होती देखी जाए तो उसे तुरंत काबू कर लिया जाए' ड्रोन कैमरों से निगरानी करने का सबसे बड़ा लाभ यह देखा जा रहा है कि वो प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान व्यवधान पैदा नहीं करेंगे और इनमें सब कुछ स्पष्ट दिखाई देगा.'

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सादे लिबास में भी पुलिस बल की तैनाती
रामलीला मैदान में प्रधानमंत्री के भाषण से पूर्व और जनसभा के दौरान आसपास की घनी आबादी में क्या कुछ माहौल बना हुआ है? इसका पता लगाने के लिए दिल्ली पुलिस को खुफिया जानकारियां देनी वाली स्पेशल ब्रांच के सिपाही से लेकर स्पेशल पुलिस कमिश्नर तक को सादा लिबास में मय हथियार के तैनात कर दिया गया है. अमूमन स्पेशल ब्रांच का स्टाफ हथियार साथ नहीं रखता है. चूंकि जनसभा प्रधानमंत्री की है. ऐसे में कोशिश की गई है कि सभा स्थल और उसके आसपास मौजूद हर पुलिसकर्मी को छोटे और स्वचालित अत्याधुनिक हथियारों से आपात स्थिति में मुकाबले के लिए लैस करके रखा जाए.