PM मोदी 10 सितंबर को अहमदाबाद में, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रियों के सम्मेलन का करेंगे उद्घाटन
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने यहां एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि सम्मेलन का उद्देश्य केंद्र और राज्यों के बीच अधिक तालमेल के माध्यम से राष्ट्रीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार (STI) पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना है.
दिल्ली:
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) 10 सितंबर को अहमदाबाद (Ahmedabad) में राज्य के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रियों के सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे. केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने यहां एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि सम्मेलन का उद्देश्य केंद्र और राज्यों के बीच अधिक तालमेल के माध्यम से राष्ट्रीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार (STI) पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना है. मंत्री ने कहा कि केंद्र राज्यों को उनकी एसटीआई नीतियां तैयार करने में सहायता करेगा और उनकी विशिष्ट एसटीआई जरूरतों, चुनौतियों और अंतर क्षेत्रों को दूर करने और समाधान विकसित करने के लिए उनके साथ संयुक्त रूप से काम करेगा. सिंह ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि सभी 28 राज्यों के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री, आठ केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासक और 100 से अधिक स्टार्टअप और उद्योगों के सीईओ के दो दिवसीय विज्ञान सम्मेलन में भाग लेने की उम्मीद है.
सिंह ने कहा कि दो दिवसीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी सम्मेलन में एक नया आयाम होगा क्योंकि कई कार्रवाई-उन्मुख निर्णय लिए जाएंगे और सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को राष्ट्रीय एसटीआई नीति की तर्ज पर व्यक्तिगत एसटीआई नीति बनाने के लिए कहा जाएगा. केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा कि सहकारी संघवाद की सच्ची भावना में केंद्र राज्यों को उनकी राज्य एसटीआई नीतियां तैयार करने में सहायता करेगा. सिंह ने कहा कि राज्यों को अनुसंधान एवं विकास, नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देकर राज्यों में एसटीआई पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए केंद्र-राज्य समन्वय और सहयोग तंत्र को मजबूत करने के बड़े लक्ष्य की दिशा में अपनी नीतियों को संरेखित करने में सक्रिय होने की आवश्यकता है.
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उन्होंने कहा कि राज्यों को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी हस्तक्षेपों के माध्यम से अपनी स्थानीय समस्याओं का समाधान तलाशने में सक्षम होना चाहिए और केंद्र द्वारा ऐसे समाधानों की खोज में उन्हें ज्ञान संस्थानों और विशेषज्ञों से जोड़कर हर संभव मदद का वादा किया. मंत्री ने कहा कि कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कमजोर विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधार और संस्थागत ताकत है, और इसलिए उन्हें अपने संस्थानों को केंद्र सरकार के अनुसंधान एवं विकास और शैक्षणिक संस्थानों से जोड़ना चाहिए.
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