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राज्‍यसभा में तीन तलाक : विपक्ष को वॉकआउट कराने की रणनीति पर काम कर रही है मोदी सरकार

पिछले ही हफ्ते सरकार ने आरटीआई संशोधन विधेयक आसानी से पारित करा लिया था. अब तत्‍काल तीन तलाक पर रोक लगाने वाले विधेयक को भी सरकार किसी भी हाल में पारित कराने की फिराक में है.

Updated on: 30 Jul 2019, 09:58 AM

highlights

  • पिछले हफ्ते आरटीआई संशोधन विधेयक पारित करा चुकी है सरकार
  • मतदान नहीं, विपक्षी दलों के सांसदों को गैरहाजिर रहने पर सरकार का जोर
  • बीजद ने दिए संकेत, तीन तलाक को लेकर बिल पर सरकार के साथ 

नई दिल्‍ली:

तत्‍काल तीन तलाक पर रोक लगाने वाला विधेयक आज मंगलवार को राज्‍यसभा में पेश किया जाएगा. सरकार ने विधेयक को हर हाल में पास कराने के लिए कमर कस ली है. व्‍हिप जारी कर दिया गया है. वहीं विपक्ष हर हाल में विधेयक रोकने की कोशिश में है. हालांकि पहले की तरह राज्‍यसभा में विपक्ष के लिए इस बिल पर अड़ंगा लगाना आसान नहीं होगा. पिछले ही हफ्ते सरकार ने आरटीआई संशोधन विधेयक आसानी से पारित करा लिया था. अब तत्‍काल तीन तलाक पर रोक लगाने वाले विधेयक को भी सरकार किसी भी हाल में पारित कराने की फिराक में है.

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पिछले हफ्ते लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी सूचना का अधिकार (RTI) संशोधन बिल 2019 ध्वनिमत से पारित हो गया था. बिल के विरोध में कांग्रेस ने राज्यसभा से वॉक आउट कर दिया था. बीजेपी की सहयोगी पार्टी जेडीयू ने भी तीन तलाक विधेयक के खिलाफ वोट देने की बात कही है. ऐसे में बीजेपी के लिए राज्यसभा से इस विधेयक को पारित कराना एक बार फिर से चुनौती होगा.

यह है गणित 

सरकार विपक्षी दलों को मनाने की कोशिश में है. सूत्र बता रहे हैं कि 4 केंद्रीय मंत्री और दो वरिष्ठ राज्यसभा सांसदों ने गठबंधन और विपक्षी दलों से तीन तलाक बिल पर सहयोग मांगा है. माना जा रहा है कि विधेयक पर मतदान के दौरान जनता दल यूनाइटेड, तेलगु देशम पार्टी, तेलंगाना राष्ट्र समिति, वाइएसआर कांग्रेस के सांसद वॉक आउट कर सकते हैं. सूत्र तो यह भी बता रहे हैं कि NCP और समाजवादी पार्टी के अलावा AIADMK के सांसद भी मतदान के दौरान अनुपस्थित रह सकते हैं. सदन में सत्‍तापक्ष के पास भारतीय जनता पार्टी के 77, अकाली दल के 3, नामित 3, निर्दलीय चार, अगप के 3, एलजेपी के 1, बीपीएफ के 1, एनपीपी के 1, बीजेपी के 1 और अन्‍य मिलाकर आंकड़ा 103+ तक जा रहा है.

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दूसरी ओर, विपक्ष की बात करें तो कांग्रेस के 45, डीएमके के 5, 1 पीएमके, 6 लेफ्ट, 4 बसपा, 10 सपा, 3 आप, 2 पीडीपी, 1 IUML, 4 राजद, 1 तुलसी, 1 वीरेंद्र कुमार, 1 केरल कांग्रेस और 12 टीएमसी के सांसद हैं. कुल मिलाकर विपक्ष के पास राज्‍यसभा में कुल 100 सांसद हैं. ऐसे में अगर विपक्ष के सांसद राज्यसभा में विधेयक पर वोटिंग के दौरान अनुपस्थित रहे तो इसका सीधा फायदा बीजेपी को मिल सकता है.

वॉकआउट की रणनीति

अगर जदयू, टीआरएस, वाईएसआर के 14 और राजद-सपा के तीन सदस्य मतदान नहीं करते हैं तो सदन की संख्‍या 223 रह जाएगी. ऐसे में बिल पास कराने के लिए 112 सदस्यों के समर्थन की जरूरत होगी. आरटीआई संशोधन विधेयक को देखते हुए सरकार ने तीन तलाक बिल पर भी अपनी रणनीति बनाई है. RTI के समर्थन में 117 तो विरोध में महज 74 मत पड़े थे. जिस समय ये बिल राज्यसभा में रखा गया था, उस वक्त 49 सदस्य या तो अनुपस्थित थे या वोटिंग में हिस्सा नहीं ले रहे थे. इस बार भी सरकार की कोशिश कुछ वैसा ही करने की है.

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राज्यसभा की कुल सदस्य संख्या 245 है. फिलहाल 4 सीटें रिक्‍त होने से वास्तविक सदस्य संख्या 241 है. इनमें एनडीए की संख्या 113 है, जिसमें नामांकित सांसद भी शामिल हैं जबकि कांग्रेस समेत बाकी यूपीए के घटक दलों की संख्या 68 है. इसके अलावा अन्‍य विपक्षी पार्टियों के पास राज्यसभा में 42 सांसद हैं. जबकि बाकी 18 न तो बीजेपी के साथ हैं न तो बीजेपी के खिलाफ.

रणनीति: विरोध करें पर मतदान न करें
एनडीए के पास राज्यसभा में बहुमत नहीं है, लेकिन पलड़ा तो भारी है. सरकार की कोशिश है कि जो दल बिल का विरोध कर रहे हैं, वो विरोध करते रहें पर मतदान में हिस्‍सा न लें. इससे सरकार का रास्‍ता साफ हो जाएगा. कुछ पार्टियों ने सरकार को इस बात का संकेत दे दिया है, जबकि कुछ को लेकर सरकार के मंत्री या वरिष्‍ठ सांसद प्रयास कर रहे हैं.