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स्कूलों में पढ़ाए जाएंगे रामायण और महाभारत, NCERT panel की खास सिफारिश...

पिछले साल गठित सात सदस्यीय समिति ने सामाजिक विज्ञान पर अपने अंतिम स्थिति पेपर के लिए कई सिफारिशें की हैं, जिसके तहत अब NCERT बूक्स में रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्य पढ़ाए जाएंगे.

Updated on: 21 Nov 2023, 07:00 PM

नई दिल्ली:

अब स्कूलों में पढ़ाए जाएंगे रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्य, ये सिफारिश है National Council of Educational Research and Training (NCERT) द्वारा गठित एक उच्च स्तरीय समिति की. बता दें कि इस समिति ने सामाजिक विज्ञान के पाठ्यक्रम को संशोधित करने का प्रस्ताव दिया है. इस बारे में खुद समिति के अध्यक्ष सीआई आईजेक ने मंगलवार को जानकारी दी है. मालूम हो कि बीते साल, एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकों के विकास के लिए सात सदस्यीय समिति ने अपना फाइनल पोजिशन पेपर पेश किया था, जिसमें इसके लिए महत्वपूर्ण निर्देशात्मक दस्तावेज बताए गए थे.

गौरतलब है कि, समिति की सिफारिश पर अब इन कक्षाओं के लिए पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तकों और शिक्षण सामग्री को अंतिम रूप देने के लिए जुलाई में अधिसूचित 19-सदस्यीय राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और शिक्षण शिक्षण सामग्री समिति (एनएसटीसी) द्वारा विचार किया जाएगा. इसके अतिरिक्त एनएसटीसी ने हाल ही में इस विषय के लिए Curricular Area Group (CAG) का गठन भी किया है.

ये है इसका उद्देश्य...

समिति के अध्यक्ष सीआई आईजेक ने कक्षा 7 से 12 तक के छात्रों को रामायण और महाभारत पढ़ाने को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा है कि, “समिति ने छात्रों को सामाजिक विज्ञान पाठ्यक्रम में रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों को पढ़ाने पर जोर दिया है. हम सोचते हैं कि किशोरावस्था में छात्र अपने राष्ट्र के लिए आत्म-सम्मान, देशभक्ति और गौरव का निर्माण करते हैं. हर साल हजारों छात्र देश छोड़कर दूसरे देशों में नागरिकता चाहते हैं क्योंकि उनमें देशभक्ति की कमी है. इसलिए, उनके लिए अपनी जड़ों को समझना और अपने देश और अपनी संस्कृति के प्रति प्रेम विकसित करना महत्वपूर्ण है.

उन्होंने आगे कहा कि, कुछ शिक्षा बोर्ड वर्तमान में छात्रों को रामायण पढ़ाते हैं, लेकिन वे इसे एक मिथक के रूप में पढ़ाते हैं. एक मिथक क्या है? यदि छात्रों को ये महाकाव्य नहीं पढ़ाए गए तो शिक्षा प्रणाली का कोई उद्देश्य नहीं है, और यह राष्ट्र सेवा नहीं होगी. 

कक्षाओं की दीवारों पर लिखी हो संविधान की प्रस्तावना

उन्होंने कहा कि, रामायण और महाभारत को पाठ्यक्रम में शामिल करने की सिफारिश पहले भी की गई थी. ये समिति की कोई नई सिफारिश नहीं है. इसके अतिरिक्त, कक्षाओं की दीवारों पर संविधान की प्रस्तावना लिखने की सिफारिश पर जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि, समिति की ये प्रस्तावना अच्छी है. यह लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता सहित सामाजिक मूल्यों को महत्व देती है. यही वजह है कि, समिति द्वारा इसे कक्षाओं की दीवारों पर लिखने की सिफारिश की गई है, ताकि हर कोई इसे समझ सके और सीख सके.