Modi Government की दो टूक... बीजिंग को LAC पर भारतीय सड़कों, रेलों को स्वीकारना सीखना होगा: रिपोर्ट
चीन की तमाम आपत्तियों को दरकिनार कर भारत ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास अपनी रणनीतिक परियोजनाओं के निर्माण में और तेजी ला दी है. इसका खुलासा वॉशिंगटन की एक पत्रिका 'द डिप्लोमैट 'ने एक भारतीय रक्षा मंत्रालय के अधिकारी के हवाले से किया है.
highlights
- द डिप्लोमैट में प्रकाशित एक रिपोर्ट में हुआ खुलासा
- भारत ने चीनी दबाव में आने से किया सिरे से इंकार
- एलएसी पर बुनियादी संरचना का निर्माण तेजी पर
वॉशिंगटन:
मोदी सरकार (Modi Government) अपने पड़ोसी देशों के साथ इस वक्त 'शठे शाठ्यम समाचरेत' केंद्रित कूटनीति और सामरिक रणनीति पर काम कर रही है. यानी जो मित्र राष्ट्र हैं उनके साथ मित्रवत व्यवहार और जो शत्रुतापूर्ण रवैया रखते हैं उनके साथ वैसे रवैया. इसी कड़ी में चीन (China) की तमाम आपत्तियों को दरकिनार कर भारत ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास अपनी रणनीतिक परियोजनाओं के निर्माण में और तेजी ला दी है. इसका खुलासा वॉशिंगटन की एक पत्रिका 'द डिप्लोमैट 'ने एक भारतीय रक्षा मंत्रालय के अधिकारी के हवाले से किया है. रिपोर्ट के अनुसार भारतीय सीमा पर बुनियादी ढांचे का निर्माण कुछ साल पहले तक नौकरशाही, लालफीताशाही, कठिन भूभाग और भूमि अधिग्रहण जैसी समस्याओं से प्रभावित था, लेकिन यहां हाल के वर्षों में रणनीतिक परियोजनाओं को तेजी से पूरा किया जा रहा है. 'द डिप्लोमैट' पत्रिका में यह रिपोर्ट सुधा रामचंद्रन ने लिखी है. रिपोर्ट में रक्षा मंत्रालय के अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि भारत ने सीमा (Indian Border) पर अधोसंरचना निर्माण से जुड़ी अपनी परियोजनाओं पर चीनी आपत्तियों के दबाव में आने से इंकार कर दिया है.
तवांग घटनाक्रम के बाद बुनियादी संरचनाओं में लाई गई और तेजी
रिपोर्ट के मुताबिक रक्षा मंत्रालय के अधिकारी का कहना है, 'बीजिंग को एलएसी के पास भारतीय सड़कों और रेलवे ट्रैक को स्वीकार करना सीखना होगा.' पिछले ही हफ्ते रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अरुणाचल प्रदेश में एक कार्यक्रम के दौरान 724 करोड़ रुपये की सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की 28 बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित किया था. इनमें से आठ परियोजनाएं लद्दाख में, पांच अरुणाचल प्रदेश में और चार जम्मू-कश्मीर में हैं. इन परियोजनाओं के लोकापर्ण के दौरान रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में परियोजनाओं को सशस्त्र बलों की परिचालन तैयारियों को बढ़ाने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास की दिशा में सरकार और बीआरओ के ठोस प्रयासों के लिए एक वसीयतनामा करार दिया. यह घटनाक्रम तवांग सेक्टर के यांग्त्से में एलएसी को एकतरफा बदलने के पीएलए के असफल प्रयास की घटना के लगभग महीने भर बाद सामने आया है.
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चीन से उकसावे वाली घटनाओं से बाज आने को भी कहा गया
पिछले महीने संसद में दिए गए एक बयान में रक्षा मंत्री ने कहा कि भारतीय सैनिकों और पीएलए सैनिकों आमने-सामने आ जाने से हाथापाई हुई, जिसमें भारतीय सेना ने बहादुरी और दृढ़ता से पीएलए सैनिकों को अपने क्षेत्र में घुसपैठ करने से रोक उन्हें वापस लौटने पर मजबूर कर दिया. मारपीट में दोनों पक्षों के कुछ सैनिकों को चोटें आई हैं. राजनाथ सिंह ने दोनों सदनों को बताया कि किसी भी पक्ष की ओर से कोई मौत या गंभीर हताहत नहीं हुआ है. रक्षा मंत्रालय ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा, 'भारतीय सैन्य कमांडरों के समय पर हस्तक्षेप से पीएलए सैनिक अपनी तैनाती वाले स्थानों पर वापस चले गए. घटना के बाद एलएसी पर स्थापित मानदंडों के अनवुरूप स्थानीय कमांडर ने 11 दिसंबर को अपने समकक्ष के साथ फ्लैग मीटिंग की और इस मुद्दे पर चर्चा की.' राजनाथ सिंह ने यह भी बताया कि फ्लैग मीटिंग के दौरान चीन से ऐसी उकसावे वाली घटनाओं से बाज आने को कहा गया. इस फ्लैग मीटिंग के बाद इस पूरे मसले को दोनों देशों के राजनयिक माध्यमों से भी उठाया गया.
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