जस्टिस पुष्पा वीरेंद्र गनेडीवाला का प्रमोशन रुका, यौन अपराध पर सुनाया था 'विवादित' फैसला
जस्टिस पुष्पा वीरेंद्र गनेडीवाला ने अपने फैसले में ये कहते हुए आरोपी को बरी कर दिया था कि उस मामले में स्किन टू स्किन कॉन्टेक्ट नहीं हुआ था.
नई दिल्ली:
पॉक्सो एक्ट के तहत 'विवादित' फैसले देने के बाद बॉम्बे हाई कोर्ट अतिरिक्त न्यायाधीश जस्टिस पुष्पा वीरेंद्र गनेडीवाला का प्रमोशन रोक दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने जस्टिस पुष्पा वीरेंद्र को स्थाई न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी देने के बाद अब वापस ले लिया है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पॉक्सो एक्ट के तहत जस्टिस पुष्पा द्वारा दी गई व्याख्या की आलोचना हुई थी, जिसके बाद कोलेजियम ने ये बड़ा कदम उठाया है.
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बता दें कि 19 जनवरी को जस्टिस पुष्पा वीरेंद्र गनेडीवाला 12 साल की लड़की के साथ हुए यौन अपराध के मामले में फैसला सुना रही थीं. उन्होंने अपने फैसले में ये कहते हुए आरोपी को बरी कर दिया था कि उस मामले में स्किन टू स्किन (त्वचा से त्वचा) कॉन्टेक्ट नहीं हुआ था. उन्होंने अपने फैसले में कहा कि स्किन टू स्किन कॉन्टेक्ट के बिना स्तन छूने को पोक्सो के तहत यौन हमला नहीं कहा जा सकता. बता दें कि जस्टिस पुष्पा द्वारा बरी किए गए आरोपी ने 12 साल की लड़की के स्तन को स्पर्श किया था.
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बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ की जज जस्टिस गनेडीवाला ने इससे पहले भी एक विवादित फैसला सुनाया था. बीते मामले में जस्टिस पुष्पा ने कहा था कि पॉक्सो एक्ट के तहत पांच साल की बच्ची के हाथ पकड़ना और ट्राउजर की जिप खोलना यौन अपराध नहीं है.
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