पुलिस से कहासुनी के बाद दिल्ली के थाने में धरने पर बैठे पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक, समर्थक भी मौजूद
पुलिस से विवाद के बाद दिल्ली के थाने में धरने पर बैठे पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक, समर्थक भी मौजूद
नई दिल्ली:
जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक की दिल्ली पुलिस से बहस होने के बाद थाने में धरने पर बैठ गए हैं. थाने में उनके साथ समर्थक भी मौजूद हैं. सीबीआई से समन मिलने के बाद आज पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के समर्थन में हरियाणा से कुछ किसान नेता दिल्ली स्थित उनके आवास पर मिलने पहुंचे थे. सत्यपाल मलिक ने आरकेपुरम के सेक्टर 12 में स्थित पार्क में उनसे मिलने की व्यवस्था रखी थी. साथ ही नेताओं के लिए भोजन का भी प्रबंध किया गया था. वहीं, दिल्ली पुलिस का दावा है कि सेक्टर 12 स्थित पार्क में बैठक के लिए उनसे अनुमति नहीं ली गई थी. पुलिस ने बिना अनुमति बैठक करने को लेकर कुछ नेताओं को हिरासत में ले लिया.
दिल्ली पुलिस की इस कार्रवाई से नाराज सत्यापाल मलिक अपने समर्थकों के साथ थाने पहुंचे और धरने पर बैठ गए. वहीं, पुलिस का कहना है कि सत्यपाल मलिक का बेटा और बेटी आरकेपुरम इलाके में रहते हैं. मलिक यहां बड़ी संख्या में लोगों के साथ एक पार्क मीटिंग कर रहे थे. जब पुलिस ने उनसे पूछा कि सार्वजनिक जगह पर मीटिंग की परमिशन ली है तो किसी ने बोलने से इनकार कर दिया. जिसके बाद कुछ नेताओं को हिरासत में ले लिया.
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सत्यपाल मलिक को हिरासत में नहीं लिया गया- पुलिस
वहीं, दिल्ली पुलिस ने कहा है कि सोशल मीडिया पर सत्यपाल मलिक को हिरासत में लेने की चल रही खबरें अफवाह है. मलिक को पुलिस ने ना तो बुलाया है और ना ही हिरासत में लिया गया है. वह अपनी मर्जी से आरकेपुरम थाने में आए हैं और अपनी मर्जी से यहां से जा सकते हैं. पुलिस की ओर से उनपर कोई दबाव नहीं है.
सीबीआई ने जारी किया समन
सीबीआई ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यापल मलिक को एक पुराने मामले में समन जारी कर 27 और 28 अप्रैल को पेश होने के लिए कहा है. जम्मू-कश्मीर में उनके राज्यपाल रहते हुए 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी. इसी मामले में सीबीआई उनसे पूछताछ करना चाह रही है.
फाइलें मंजूरी के लिए हुई थी 300 करोड़ की पेशकश
जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने दावा किया था कि उनके कार्यकाल के दौरान दो फाइलें आई थीं. इसमें एक फाइल अंबानी और दूसरी आरएसएस से जुड़े व्यक्ति की थी. बीमा कंपनी से जुड़ी फाइलों पर साइन करने के लिए 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी, लेकिन उन्होंने यह पेशकश ठुकरा दिया था. 2021 में राजस्थान में एक सभा को संबोधित करते हुए पूर्व राज्यपाल मलिक ने यह खुलासा किया था. उसके बाद उन्हें मेघालय का राज्यपाल बनाया गया था. इसी संबंध में सीबीआई उनसे पूछताछ करना चाहती है.
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