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शहाबुद्दीन को तिहाड़ जेल में ट्रांसफर करने के लिए पटना से संपूर्ण क्रांति ट्रेन से रवाना किया गया

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राजद नेता और पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन को भारी सुरक्षा के बीच तिहाड़ जेल में भेजने के लिए दिल्ली भेजा गया।

Updated on: 18 Feb 2017, 07:43 PM

highlights

  •  दिल्ली की तिहाड़ जेल में भेजने के लिए पटना से रवाना किये गए शहाबुद्दीन
  • भारी सुरक्षा के बीच शुक्रवार देर रात सीवान की जेल से पटना लाया गया था
  • शहाबुद्दीन के सीवान जेल में रहने से गवाहों को जान का खतरा होने की आशंका थी 

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राजद नेता और पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन को भारी सुरक्षा के बीच तिहाड़ जेल में भेजने के लिए दिल्ली भेजा गया। शहाबुद्दीन को संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस के एस 2 कोच में बिठा कर  दिल्ली रवाना किया गया। दिल्ली पहुंचने के बाद उन्हें तिहाड़ जेल के सेल नंबर चार में शिफ्ट किया जाएगा। बिहार पुलिस के साथ एसटीएफ के जवान भी शहाबुद्दीन के साथ में मौजूद हैं।

शहाबुद्दीन को इससे पहले शुक्रवार देर रात करीब 2.40 बजे सीवान जेल से पटना ले जाया गया। शहाबुद्दीन को पटना लाने के लिए भी सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए थे। शनिवार सुबह पटना पहुंचने के बाद शहाबुद्दीन को पटना के बेउर जेल में रखा गया।

गौरतलब है कि सीवान के चंद्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू और आशा रंजन ने राजद नेता को सीवान जेल से स्थानांतरित किए जाने की याचिकाएं दायर की थी। याचिका पर फैसला सुनाते हुए बुधवार को सर्वोच्च न्यायालय ने बिहार सरकार को पूर्व सांसद शहाबुद्दीन को एक सप्ताह के भीतर सीवान जेल से दिल्ली की तिहाड़ जेल भेजने का आदेश दिया था। याचिका में कहा गया था कि शहाबुद्दीन के सीवान जेल में रहने से गवाहों को जान का खतरा है।

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शहाबुद्दीन पर चंद्रकेश्वर प्रसाद के तीन बेटों और आशा के पति पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या का आरोप है।याचिकाकर्ताओं ने न्यायालय से अनुरोध किया था कि शहाबुद्दीन के खिलाफ लंबित मामलों की स्वतंत्र एवं निष्पक्ष सुनवाई के लिए उन्हें सीवान जेल से राज्य के बाहर किसी अन्य जेल में स्थानांतरित कर दिया जाए।

बिहार में चर्चित तेजाब हत्याकांड में दो भाइयों की हत्या मामले के चश्मदीद गवाह राजीव रोशन की हत्या मामले में पटना उच्च न्याालय द्वारा जमानत दिए जाने के बाद राजद के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन भागलपुर जेल से रिहा हुए थे, परंतु 20 दिनों के बाद ही सर्वोच्च न्यायालय ने उनकी जमानत रद्द कर दी थी। इसके बाद शहाबुद्दीन ने पिछले वर्ष 30 सितंबर को अदालत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था।

 IANS के इनपुट के साथ