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जनलोकपाल बिल को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ आंदोलन करेंगे अन्ना हजारे

लोकपाल आंदोलन का प्रमुख चेहरा रहे अन्ना ने कहा कि उन्होंने आंदोलन शुरू करने की तारीख 23 मार्च को चुनी है, क्योंकि उस दिन शहीद दिवस मनाया जाता है।

Updated on: 30 Nov 2017, 08:32 AM

highlights

  • जनलोकपाल और किसानों के मुद्दे को लेकर अगले साल 23 मार्च से दिल्ली में आंदोलन करेंगे
  • अन्ना हजारे के एक सहयोगी ने कहा कि मोदी सरकार ने अब तक लोकपाल का गठन नहीं किया है

नई दिल्ली:

सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे जनलोकपाल और किसानों के मुद्दे को लेकर एक बार फिर राजधानी दिल्ली में आवाज बुलंद करेंगे।

अन्ना हजारे अगले साल 23 मार्च से दिल्ली में आंदोलन करेंगे। अन्ना ने आंदोलन के लिए इस दिन को इसलिए चुना है इसी दिन शहीद दिवस भी मनाया जाता है।

मंगलवार को महाराष्ट्र में अपने गांव रालेगण सिद्धि में समर्थकों को संबोधित करते हुए अन्ना ने कहा, 'जनलोकपाल, किसानों के मुद्दे और चुनाव सुधारों के लिए यह एक सत्याग्रह होगा।'

गांधीवादी अन्ना हजारे ने कहा कि वे इन मुद्दों को लेकर प्रधानमंत्री को लिखते रहे हैं, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिल पाया।

उन्होंने कहा, 'पिछले 22 सालों में कम से कम 12 लाख किसानों ने आत्महत्या की है। मैं जानना चाहता हूं कि इतने दिनों में कितने उद्योगपतियों ने आत्महत्या की है।'

गौरतलब है कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जनलोकपाल बनाने की मांग हजारे लगातार करते रहे हैं। साल 2011 में अन्ना के 12 दिनों के भूख हड़ताल के बाद तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार ने मांग को स्वीकार कर ली थी।

इसके बाद भी हजारे ने फिर से अनशन किया था, जिसे पूरे देश के लोगों का समर्थन मिला था। यूपीए सरकार ने बाद में लोकपाल विधेयक पारित कर दिया था।

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अन्ना हजारे के एक सहयोगी ने कहा कि मोदी सरकार ने अब तक लोकपाल का गठन नहीं किया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इसके पीछे तकनीकी कारणों को बताया गया है।

उन्होंने कहा, 'लोकपाल अधिनियम के तहत एक समिति जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, लोकसभा में विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश या उनके द्वारा नामित कोई व्यक्ति हो, उसका गठन किया जाना चाहिए और लोकपाल को चुने।'

उन्होंने कहा, 'हालांकि अभी लोकसभा में विपक्ष का कोई नेता नहीं है, इसलिए समिति नहीं बनाया जा सकता है और ऐसे में लोकपाल की नियुक्ति नहीं हो सकती है।'

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका के जवाब में ठीक यही जवाब एक हलफनामें में दायर की थी।

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