ICU Admission: आईसीयू में किन रोगियों की होगी भर्ती, सरकार ने जारी किए दिशा निर्देश
ICU Admission: देश में पहली बार अस्पतालों में आईसीयू में भर्ती किए जाने वाले मरीजों को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी किए दिशा निर्देश, अब इसी आधार पर होगी भर्ती
highlights
- देश में पहली बार ICU को लेकर जारी हुई गाइडलाइन
- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया किन मरीजों को ICU में करें भर्ती
- सरकार के इस कदम से हॉस्पिटल प्रशानस और मरीजों के परिजनों के बीच बढ़ेगी ट्रांसपरेंसी
New Delhi:
ICU Admission: अस्पताल में आपका वास्ता इंटेंसिव केयर यूनिट यानी आईसीयू से जरूर पड़ा होगा. जब किसी करीबी या फिर जानने वाले को यहां पर भर्ती कराया गया होगा. लेकिन क्या आपको पता है कि आईसीयू में कब और किन मरीजों को भर्ती किया जा सकता है और किन मरीजों को आईसीयू में भर्ती नहीं किया जा सकता है. शायद नहीं, लेकिन इसको लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से एक अहम गाइडलाइन जारी की गई है. इस गाइडलाइन यानी दिशा निर्देश के जरिए ही अस्पताल मरीजों को आईसीयू में भर्ती कर सकेंगे. जो इस कैटेगरी में नहीं आएंगे उन्हें अस्पताल किसी भी कीमत पर आईसीयू में नहीं रख सकते हैं.
आमतौर पर देखा जाता है कि कई निजी अस्पताल अपनी बिल बढ़ाने के लिए कम बीमार रोगी को भी आईसीयू में भर्ती कर लेते हैं. इससे ना सिर्फ उनके मोटो बिल बनते बल्कि मरीजे के रिश्तेदारों की मुश्किलें भी बढ़ जाती हैं. ऐसे ही मामलों को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से एक अहम गाइडलाइन जारी की गई है.
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देश में पहली बार ICU के जारी हुई गाइडलाइन
सरकार की ओर से देश में पहली बार हॉस्पिटल को आईसीयू के तहत इलाज के लिए मरीज की जरूरतों के आधार पर फैसला लेने के लिए दिशा निर्देश जारी किए हैं. बता दें कि ज्यादातर विकसित देशों में आईसीयू में इलाज के लिए खास प्रोटोकॉल है.
क्या है केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की दिशा निर्देश
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी किए गए दिशानिर्देश पर गौर करें तो, अस्पताल में गंभीर रूप से बीमार मरीजों को उनके और उनके रिश्तेदारों की ओर से इनकार करने की स्थिति में ICU में भर्ती नहीं किया जा सकता है.
सीनियर डॉक्टरों के पैनल ने तैयार की गाइडलाइन
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी गाइडलाइन को मुख्य रूप से सीनियर डॉक्टरों की एक पैनल ने तैयार किया है. इस पैनल ने सेहत से जुड़े उन हालातों की एक लिस्ट तैयार जिसमें मरीज को अस्पताल के आईसीयू में रखने की जरूरत पड़ती है.
पैनल में शामिल डॉक्टरों के मुताबिक अस्पतालों में आईसीयू के साधान सीमित होते हैं, लिहाजा इस तरह की केयर में आम मरीजों को भर्ती नहीं किया जाना चाहिए. अतिआवश्यक मामलों में ही मरीजों को आईसीयू में एडिमिट किया जाना चाहिए.
ट्रांसपरेंसी बढ़ेगी
डॉक्टरों के एक्सपर्ट पैनल ने स्वास्थ्य मंत्रालय को दिए सुझाव में ये भी कहा है कि इस तरह के कदम से हॉस्पिटल और मरीजों के परिजनों के बीच पारदर्शिता बढ़ेगी. मरीजों के परिजनों के यह नहीं लगेगा कि अस्पताल जबरदस्ती उनके रोगी को आईसीयू में भर्ती रखकर उनका बिल बढ़ाने का काम कर रहे हैं.
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