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Pankaj Udhas: 30 वर्षों से अधिक पंकज उधास का गायिकी सफर, जानें किन संघर्षों के बाद ये मुकाम हासिल किया

Pankaj Udhas death : एक कार्यक्रम में पंकज को गाने का मौका दिया गया. उस समय भारत और चीन का युद्ध हुआ था. पंकज ने इस दौरान 'ऐ मेरे वतन के लोगों' गाना गाया.

Updated on: 26 Feb 2024, 05:54 PM

नई दिल्ली:

Pankaj Udhas death : संगीत की दुनिया में पंकज उधास का नाम अमर रहेगा. सोमवार यानि आज उनका 72 साल की उम्र में निधन हो गया. बताया जा रहा है वे बीमारी थे। उनका मुंबई के अस्पताल में इलाज चल रहा था. उनका जन्म 7 मई 1951 गुजरात के राजकोट के पास जेटपुर में हुआ था. वे एक गुजराती परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनके बड़े भाई मनहर उधास भी मशहूर पार्श्वगायक रहे हैं. उनके घर में शुरू से संगीत का माहौल था. यही कारण है कि पंकज की बचपन से ही इसमें रुचि थी. पंकज ने अपनी गायिकी की शुरुआत सात साल की उम्र से की थी. बाद में वे गजल सम्राट कहलाए. उन्होंने अपनी शुरुआत स्टेज शो से की थी. 

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एक कार्यक्रम में पकंज को गाने का मौका दिया गया. उस समय भारत और चीन का युद्ध हुआ था. पंकज ने इस दौरान 'ऐ मेरे वतन के लोगों' गाना गाया. ऐसा बताया जाता है कि पंकज ने उस दिन ऐसा गाया कि लोगों की आंखों मे आंसू आ गए. उस दिन दर्शक दीर्घा में बैठा हर शख्स पंकज की आवाज में वह दर्द महसूस कर रह था तो उस समय देश का था. 

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पंकज उधास को 51 रुपये दिए

इस बीच दर्शकों के बीच गायक को लेकर काफी तारीफ हो रही थी. दरअसल, इस गाने को सुनकर ऑडियंस में उठकर एक शख्स ने पंकज उधास को 51 रुपये दिए.  चार साल बाद वह राजकोट में संगीत नाट्य अकादमी में शामिल हो गए और तबला बजाने की बारीकियां सीखीं. उसके बाद, उन्होंने विल्सन कॉलेज और सेंट जेवियर्स कॉलेज, मुंबई से विज्ञान स्नातक की डिग्री हासिल की और मास्टर नवरंग के संरक्षण में भारतीय शास्त्रीय गायन संगीत में प्रशिक्षण आरंभ किया. 

पहला गजल एल्बम, आहट, 1980 में सामने आया

उधास का पहला गाना फिल्म "कामना" में था. ये उषा खन्ना द्वारा संगीतबद्ध और नक्श लायलपुरी की ओर से लिखा गया. यह फिल्म फ्लॉप रही मगर उनके गायन की प्रशंसा हुई. इसके बाद उधास गजलों में रुचि रखने लगे. गजल गायक के करियर को निखारने के लिए उन्होंने उर्दू सीखी. उन्होंने कनाडा और अमेरिका में गजल संगीत कार्यक्रम करते हुए दस माह बिताए. उनका पहला गजल एल्बम, 'आहट', 1980 में सामने आया. यहां से उन्हें सफलता मिलनी आरंभ हुई. 2011 तक उन्होंने पचास से अधिक एल्बम जारी किए. 

फिल्म 'नाम' में अभिनय का मौका मिला

1986 में उधास को फिल्म 'नाम' में अभिनय का मौका मिला. इससे उन्हें प्रसिद्धि भी मिली. 1990 में, उन्होंने  फिल्म घायल के लिए लता मंगेशकर के साथ "माहिया तेरी कसम" गाया. ये गाना भी काफी मशहूर हुआ. 1994 में उधास ने साधना सरगम के साथ मिलकर मोहरा का गीत गया, "ना कजरे की धार", ये काफी लोकप्रिय भी हुआ.

उन्होंने पार्श्व गायक के रूप में काम करना जारी रखा और साजन, ये दिल्लगी, नाम और फिर तेरी कहानी याद आई जैसी फिल्मों में ऑन-स्क्रीन प्रस्तुति दी. उधास ने सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन पर आदाब अर्ज है नामक एक प्रतिभा खोज टेलीविजन का कार्यक्रम आरंभ किया. अभिनेता जॉन अब्राहम उधास को अपना गुरु कहते हैं.