इन दो कदमों ने भारत की छवि निखारी और पाकिस्तान की डुबोई, जानें क्या थे वे कदम
सभी पंडित कह रहे थे कि मोदी के आने से इस्लामिक देशों से भारत के संबंध सबसे निचले स्तर पर होंगे. लेकिन मोदी के शपथ ग्रहण में सार्क देशों को बुलाना कूटनीतिक लिहाज से अलग रहा.
नई दिल्ली.:
पुलवामा आतंकी हमलों के बाद कांग्रेस के कुछ नेता समेत विपक्ष समवेत स्वर में कह रहा था कि पीएम मोदी नवाज शरीफ के घर बिन बुलाए गए थे और फिर पठानकोट हमले के बाद आईएसआई को जांच के लिए बुलाया था यह सब उसकी ही देन है. एक तरीके से पुलवामा आतंकी हमले को पीएम मोदी की नरम नीति की देन बताया जाने लगा. इस पर वह क्या सोचते हैं और सच क्या है यह जानने की भी कोशिश की न्यूज नेशन ने.
इस सवाल के जवाब में पीएम मोदी ने बताया कि दोनों घटनाओं को अलग तरह से देखने की जरूरत है. मोदी की छवि क्या थी या पार्टी छवि क्या थी? अरब और इस्लामिक देशों को लेकर कहा जा रहा था कि अब सब कुछ बिगड़ जाएगा. सभी पंडित कह रहे थे कि मोदी के आने से इस्लामिक देशों से भारत के संबंध सबसे निचले स्तर पर होंगे. लेकिन मोदी के शपथ ग्रहण में सार्क देशों को बुलाना कूटनीतिक लिहाज से अलग रहा. आज स्थिति यह है कि अरब देशों समेत इस्लामिक देशों से भारत के अच्छे संबंध हैं. इंडोनेशिया, कतर, कुवैत सभी भारत के अच्छे मित्र हैं.
इसके पीछे की कूटनीति बताते हुए पीएम मोदी ने बताया कि अगर मैं उन्हें न बुलाता और न जाता तो आम धारणा के मुताबिक मेरी छवि बनती कि मोदी तो पाकिस्तान के बारे में झूठ ही बोलता है. वह पूर्वाग्रह से ग्रस्त है. कोई यकीं नहीं करता, लेकिन हुआ उलटा. मेरे पाकिस्तान जाने से लोगों को लगा कि मोदी अच्छा इंसान है, जो करता है सामने से करता है. यही वजह है कि आतंकी हमले के बाद जब भारत ने एयर स्ट्राइक जैसा बड़ा कदम उठाया, तो दुनिया के किसी देश ने आवाज नहीं उठाई.
उन्होंने कहा कि सच तो यह है कि मेरे उन दो कदमों से मेरी एक विश्वसनीयता बन चुकी थी. दूसरे एयर स्ट्राइक और संयुक्त राष्ट्र में मसूद अजहर पर कार्रवाई से पाकिस्तान में एक बड़ा वर्ग अब मुखर हो उठा है. वह सरकार से पूछ रहा है कि इन आतंकियों के कारण पाकिस्तान की छवि दुनिया में खराब हो रही है. पाकिस्तानी पासपोर्ट की कोई इज्जत नहीं बची है. कपड़े उतार कर जांच होती है. ऐसे में वह पाक सरकार पर ऐसे आतंकी संगठनों और आतंकियों पर कार्रवाई करने का दबाव बना रहा है.
अब स्थिति यह है कि नवाज शरीफ को बुलाना और मेरे वहां जाने से एक ग्राउंड तैयार हुआ था. संदेश साफ था यदि अच्छा करोगे तो अच्छा मिलेगा. बुरा किया तो मोदी है ही. पाकिस्तान को आज अलग-थलग करने में उन दो कदमों का बहुत बड़ा योगदान है. रहा सवाल विपक्ष का तो मैं अपने देश और उसकी सवा अरब की आबादी को सोचकर काम करता हूं.
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