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ओमप्रकाश राजभर ने टेंपो ड्राइवर से किंग मेकर तक ऐसे तय किया राजनीतिक सफर

उत्तर प्रदेश की राजनीति में हमेशा अपने बेबाक बयानों से सुर्खियों में रहने वाले ओम प्रकाश राजभर की राजनीतिक जीवन बहुत ही संघर्ष से भरा हुआ है.

Updated on: 09 Mar 2022, 12:55 PM

नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश की राजनीति में हमेशा अपने बेबाक बयानों से सुर्खियों में रहने वाले ओम प्रकाश राजभर की राजनीतिक जीवन बहुत ही संघर्ष से भरा हुआ है. राजभर मूल रूप से वाराणसी जिले के फतेहपुर खोदा सिंधौरा के रहने वाले हैं. पेशे से किसान राजभर ने 1983 में बलदेव डिग्री कॉलेज, बड़ागांव, वाराणसी से स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी. बाद में उन्होंने राजनीति शास्त्र से परास्नातक की डिग्री भी हासिल की. छात्र जीवन के दौरान खर्च निकालने के लिए यह टेंपो चलाते थे. बाद में उन्होंने एक जीप खरीदा था, जिस पर यह सवारी ढोते थे. यह गांव में सब्जी की खेती भी किया करते थे. इनके परिवार में पत्नी राजमति राजभर के अलावा 2 पुत्र हैं, जिनका नाम अरुण राजभर और अरविंद राजभर है. दोनों बेटे राजनीति में सक्रिय हैं. अरुण राजभर वर्तमान में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव हैं. ओम प्रकाश राजभर का जन्म 15 अक्टूबर 1962 को हुआ था. इनके पिता का नाम सन्नू राजभर है, जो कोयला खदान में काम करते थे और अब घर पर ही रहते हैं.‌  इस वक्त उनकी कुल व्यक्तिगत संपत्ति 32,79,879 लाख रुपए है. 


कांशीराम के साथ शुरू की थी राजनीति
राजभर ने 1981 में बसपा के संस्थापक कांशीराम के साथ राजनीति शुरू की. लेकिन, 2001 में  बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती से विवाद के बाद उन्होंने बपसा से इस्तीफा दे दिया. दरअसल, राजभर भदोही का नाम बदल कर संतकबीर नगर रखने से नाराज थे. इसके बाद उन्होंने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी नाम से अपनी नई पार्टी बना ली. 2004 से चुनाव लड़ रही भासपा ने यूपी और बिहार के चुनाव में अपने प्रत्याशी खड़े किए,  मगर ज्यादातर मौकों पर जीतने से ज्यादा खेल बिगाड़ने वाले बने रहे. लेकिन 2017 में भाजपा के साथ गठबंधन करके उन्होंने सत्ता के साथ रहने का सुख पा लिया. वैसे राजभर ने पहले मुख्तार अंसारी के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान किया था. मगर बाद में पीछे हट गए थे.

35 वर्ष के संघर्ष के बाद हासिल किया ये मुकाम
राजभर ने 35 सालों के संघर्ष के बूते अति पिछड़ों के नेता के रूप खुद को स्थापित किया. वे पूर्वांचल की दो दर्जन सीटों पर प्रभाव रखते हैं. कहा जाता है कि बसपा संस्थापक कांशीराम से प्रभावित होकर ओम प्रकाश राजभर ने 1981 में सक्रिय राजनीति में कदम रखा. मायावती ने भदोही का नाम संतकबीर नगर किया तो राजभर ने विरोध किया. यही वजह है कि 27 अक्टूबर 2002 में बसपा से अलग होकर सुभासपा का गठन किया था. साल 2004 के लोकसभा चुनाव में राजभर ने यूपी और बिहार में प्रत्याशी उतारे, लेकिन एक भी सीट जीत नहीं पाए. हालांकि, वोट प्रतिशत अच्छा रहा था.

खुद को राजभर समाज के नेता के रूप में किया स्थापित
ओमप्रकाश राजभर के मुताबिक पूरे देश में राजभर की आबादी 4% है. उत्तर प्रदेश में इनकी आबादी 12% प्रतिशत है. पूर्वांचल क्षेत्र में राजभर जाति की आबादी 12-22% है. एक आकलन के अनुसार, पूर्वांचल के दो दर्जन लोकसभा सीटों पर राजभर वोट 50 हजार से ढाई लाख तक हैं. वहीं, घोसी, बलिया, चंदौली, सलेमपुर, गाजीपुर, देवरिया, आजमगढ़, लालगंज, अंबेडकरनगर, मछलीशहर, जौनपुर, वाराणसी, मिर्जापुर, भदोही राजभर बहुल माने जाते हैं. इन सीटों पर राजभर समुदाय के लोग हार और जीत का निर्णय करते हैं. ओमप्रकाश राजभर के राजनीतिक करियर का टर्निंग प्वाइंट तब आया जब पिछड़ी जातियों पर पकड़ को देखते हुए 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन हुआ. समझौते के तहत भारतीय जनता पार्टी ने राजभर को 8 सीटें दी थी. इनमें से 4 सीटों पर जीत दर्ज करके ओमप्रकाश राजभर की पार्टी ने न केवल अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत की, बल्कि राजनीतिक पंडितों को भी चौंका दिया. इस तरह से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के कुल 4 विधायक बने, जिसका विवरण इस प्रकार है. ओम प्रकाश राजभर जहूराबाद सीट से पहली बार विधायक बने. त्रिवेणी राम-जखनिया कैलाश नाथ सोनकर-अजगरा  रामानंद बौद्ध-रामकोला . ओम प्रकाश राजभर को योगी आदित्यनाथ की सरकार में पिछड़ा वर्ग कल्याण और दिव्यांग जन कल्याण मंत्री बनाया गया. लेकिन गठबंधन विरोधी गतिविधियों के कारण इन्हें 2019 में बर्खास्त कर दिया गया.

वर्तमान राजनीति में स्थान
2017 में गाजीपुर, उत्तर प्रदेश,विधानसभा क्षेत्र जहूराबाद से विधायक चुनकर आए
2017 2019 पिछड़ा कल्याण मंत्री
2017 वर्तमान सदस्य, उत्तर प्रदेश की 17वीं विधानसभा
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष?
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर हैं.
ओमप्रकाश राजभर का घर कहाँ है
ओमप्रकाश राजभर का घर फतेहपुर खुदा पोस्ट कटौना जिला वाराणसी में है.
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का चुनाव चिन्ह छड़ी है