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भारत में क्या है लड़कियों के लिए कानून? ऐसे करें अपनी सुरक्षा

Law for girls in India: अगर आप लड़की हैं तो आपको ये कानून जानना बेहद जरूरी है. क्योंकि लड़कियों के सम्मान और सुरक्षा के लिए कई कानूनी प्रावधान हैं.

Updated on: 21 Jan 2024, 06:05 PM

highlights

  • देश में लड़कियों की सुरक्षा के लिए कई कानूनों का है प्रावधान
  • जिनमें अलग-अलग कंडीशन्स के हिसाब होगी आरोपी को सजा
  • बाल, शिक्षा, स्वास्थ्य सभी के लिए अलग-अलग हैं कानून 

 

 

नई दिल्ली :

Law for girls in India: अगर आप लड़की हैं तो आपको ये कानून जानना बेहद जरूरी है. क्योंकि लड़कियों के सम्मान और सुरक्षा के लिए कई कानूनी प्रावधान हैं. जिन्हें अपनाकर लड़कियां अपनी सुरक्षा कर सकती हैं. हालांकि आपको बता दें कि ये सभी कानून बाल विवाह, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि को लेकर बनाए गए हैं. जिनमें अलग-अलग दंड प्रावधान भी है. भारतीय दण्ड संहिता में कानूनों का अलग-अलग वर्णन किया गया है. ताकि किसी भी लड़की के साथ कुछ भी गलत न हो सके. 

जानें क्या हैं लड़कियों को लेकर भारत में कानून 

बाल विवाह (प्रतिष्ठान) अधिनियम, 2006: इस अधिनियम के तहत, बच्चों के विवाह को निषेध किया गया है और उम्र को न्यूनतम 18 वर्ष कर दिया गया है।

बालक और बालिका का अधिकार अधिनियम, 2005: यह अधिनियम बच्चों के हक्क की सुरक्षा के लिए है और इसमें बच्चों को शिक्षा, स्वास्थ्य, और सुरक्षा के हक्क दिए जाते हैं।

दहेज प्रतिष्ठान अधिनियम, 1961: इस अधिनियम के तहत, दहेज की मांग को निषेध किया गया है और इस प्रकार के प्रथाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाती है।

भारतीय दण्ड संहिता: यह संहिता विभिन्न अपराधों के खिलाफ सजा का प्रावधान करती है, जिसमें स्त्री सम्मान और सुरक्षा के मामले शामिल हैं।

सेक्शन 498-ए (दहेज़ के लिए उत्पीड़न का केस): यह सेक्शन दहेज़ के लिए स्त्री के उत्पीड़न के खिलाफ कानूनी प्रावधान करता है।

बाल सुरक्षा अधिनियम, 2012:  इस अधिनियम के तहत, बच्चों को सुरक्षा और उनके हक्क की सुरक्षा के लिए कई प्रावधान हैं।

भारतीय सांसदों की विशेष रूप से स्त्रियों के साथ व्यवहार (पूर्व आदर्श विवाह): इसके तहत, एक सांसद ने स्त्री सदस्य को दहेज़ के लिए उत्पीड़ित करने का मुकदमा कर सकता है। इन कानूनी प्रावधानों का उल्लेख करने के बावजूद, समाज में स्त्रियों के सम्मान की विशेष आवश्यकता है और सभी लोगों को इन कानूनों का पालन करने और स्त्री सम्मान को बढ़ावा देने के लिए सामूहिक प्रयास करना चाहिए।  यदि किसी भी महिला पर कहीं भी कोई उत्तपीड़न हो रहा है तो उक्त नियमों के अनुसार कानून की शरण में जाकर न्याय प्राप्त कर सकती हैं.