चेतावनी के बावजूद नियमों का उल्लंघन कर रही हैं ई कॉमर्स कंपनियां, पीयूष गोयल को लिखा पत्र
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने पीयूष गोयल को भेजे पत्र में कहा कि व्यापारी यह समझ नहीं पा रहे हैं की गोयल द्वारा विभिन्न सार्वजनिक प्लेटफार्मों पर की गई विभिन्न घोषणाओं कि नीति और कानून का उल्लंघन करने की अनुमति किसी को नहीं दी जाएगी.
highlights
- विभिन्न ई-कॉमर्स कंपनियां लगातार एफडीआई नीति के प्रावधानों का कर रही हैं खुला उल्लंघन
- ई-कॉमर्स कंपनियां 3 वर्षों से एफडीआई नीति और कानून की खुलेआम धज्जियां उड़ा रही हैं
नई दिल्ली:
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (The Confederation of All India Traders-CAIT) ने आज केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को पत्र भेज देश के व्यापारियों के व्यापार को ई कॉमर्स कंपनियों अमेजन एवं फ्लिपकार्ट से बचाने के लिए की एफडीआई नीति, 2018 के प्रेस नोट नंबर 2 की जगह एक नया प्रेस नोट तुरंत जारी करने का आग्रह किया है. इस दौरान कैट ने कहा है कि अमेजन (Amazon) और फ्लिपकार्ट (Flipkart) के द्वारा सरकार की चेतावनी के बावजूद भी नियम एवं नीति का लगातार उल्लंघन किया जा रहा है. कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने पीयूष गोयल को भेजे पत्र में कहा कि देश भर के व्यापारी यह समझ नहीं पा रहे हैं की गोयल द्वारा विभिन्न सार्वजनिक प्लेटफार्मों पर की गई विभिन्न घोषणाओं कि नीति और कानून का उल्लंघन करने की अनुमति किसी को नहीं दी जाएगी, फिर भी ये कंपनियां पिछले तीन वर्षों से एफडीआई नीति और कानून की खुलेआम धज्जियां उड़ा रही हैं.
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एफडीआई नीति के प्रावधानों का खुला उल्लंघन
विभिन्न ई-कॉमर्स कंपनियां लगातार एफडीआई नीति के प्रावधानों का खुला उल्लंघन कर रही हैं और यहां तक की जिन मामलों में जांच की भी आवश्यकता नहीं है, फिर भी उनके खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. सरकार की नए प्रेस नोट जारी करने की मंशा और ई-कॉमर्स नीति को लागू किए जाने की सोच को सरकारी प्रशासन प्रेस नोट न लाकर, दबाने की कोशिश की जा रही है.
रेग्युलेटरी अथॉरिटी के गठन की मांग को किया जा रहा है नजरअंदाज
खुदरा व्यापार को विनियमित और उस पर निगरानी करने के लिए एक ई-कॉमर्स नीति तैयार करने तथा एक रेग्युलेटरी अथॉरिटी के गठन की मांग को 2019 से नजरअंदाज किया जा रहा है जिसको देखते हुए व्यापारी इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि ई-कॉमर्स जो भारत में भविष्य में व्यापार का तरीका है उसकी कभी भी ई-कॉमर्स नीति नहीं होगी, क्योंकि भारत का रिटेल व्यापार जो 115 लाख करोड़ रुपये का वार्षिक कारोबार कर रहा है के लिए भी आज तक कोई नीति नहीं बनी है.
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