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Ukraine पर UNSC में वोटिंग से फिर दूर रहा भारत, अब UNGA में होगी चर्चा

इस सत्र का मकसद यूक्रेन मसले पर संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) का विशेष सत्र बुलाए जाने पर मतदान करना था. इस सत्र को इसी वजह से ऐतिहासिक करार दिया जा रहा है.

Updated on: 28 Feb 2022, 06:57 AM

highlights

  • सोमवार तड़के UNSC ने फिर बुलाया आपातकालीन सत्र
  • चार दशकों में पहली बार यूक्रेन मसले को लेकर हुई बैठक
  • 1950 से UNGA के सिर्फ 10 ऐसे आपात सत्र बुलाए गए

संयुक्त राष्ट्र :

रूस के यूक्रेन (Ukraine) पर हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र में अंतरराष्ट्रीय कानूनों औऱ संधियों के नाम पर दांव-पेंच फिर से शुरू हो गए हैं. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में रूस के खिलाफ लाए गए निंदा प्रस्ताव के गिर जाने के बाद यूएनएससी का सोमवार तड़के फिर से आपातकालीन सत्र बुलाया गया. इस सत्र का मकसद यूक्रेन मसले पर संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) का विशेष सत्र बुलाए जाने पर मतदान करना था. इस सत्र को इसी वजह से ऐतिहासिक करार दिया जा रहा है. यह अलग बात है कि इस बार भी भारत (India) ने अमेरिका और रूस से अपने संबंधों के चलते यूएनजीए के विशेष सत्र को आहूत करने की वोटिंग प्रक्रिया से अपने को दूर रखा. यूएनएससी के इस सत्र में प्रतिक्रियात्मक मतदान होना था. इस वजह से रूस (Russia) यहां अपनी वीटो पॉवर का इस्तेमाल नहीं कर सकता था.

4 दशकों में पहली बार यूएनएससी का विशेष सत्र
जानकारी के अनुसार संयुक्त राष्ट्र महासभा की आपात बैठक बुलाए जाने के लिए यूएनएससी ने इस सत्र को बुलाया था. बताते हैं कि चार दशकों में पहली बार यूएनएससी का यूक्रेन मसले के मद्देनजर इस प्रकार का आपात सत्र बुलाया गया. यूएनजीए में यूक्रेन मसले को भेजने के लिए बुलाए गए सत्र में इसकी रजामंदी के पक्ष में 11 वोट पड़े, जबकि भारत, चीन और संयुक्त अरब अमीरात ने एक बार फिर से वोटिंग से दूरी बनाना ही उचित समझा. इस लिहाज से देखें तो अब यूक्रेन मसले पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के आपातकालीन विशेष सत्र में अब चर्चा पर होगी. बताते हैं कि 1950 से अब तक महासभा में केवल 10 आपात सत्र बुलाए गए हैं.

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भारत ने वोटिंग से दूर रह फिर दोहराया अपना पक्ष
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने यूक्रेन पर यूएनएससी की बैठक में भारत के पक्ष को फिर से दोहराया. उन्होंने कहा- हम हिंसा और दुश्मनी को तुरंत खत्म करने की अपनी बात को दोहराते हैं. हमारे प्रधान मंत्री ने रूसी संघ और यूक्रेन के नेतृत्व के साथ अपनी हालिया बातचीत में भी इसी बात पर जोर दिया है. उन्होंने कहा कि हम बेलारूस सीमा पर बातचीत करने के लिए दोनों पक्षों की तरफ से आज की गई घोषणा का स्वागत करते हैं. हम बड़ी संख्या में भारतीय छात्रों सहित भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और सुरक्षा के बारे में गहराई से चिंतित हैं, जो अभी भी यूक्रेन में फंसे हैं. सीमा पार की जटिल और अनिश्चित स्थिति से हमे यूक्रेन से भारतीयों को निकालने में काफी दिक्कत हुई है. ऐसी तमाम परिस्थितियों को देखते हुए हमने यूक्रेन मामले पर वोटिंग से परहेज करने का निर्णय लिया है.

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यूएनएससी में ऐसी रही वोटिंग की स्थिति
यूएनएससी के विशेष आपातकालीन सत्र में इस बार भी भारत के अलावा चीन और यूएई ने मतदान से बाहर रहने का फैसला किया. बैठक में कुल 11 देशों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, वहीं रूस ने इसके खि‍लाफ मतदान किया, इस विशेष सत्र में पांच स्थायी सदस्यों के साथ 10 अस्थायी सदस्यों ने भी भाग लिया. गौरतलब है कि इससे पहले यूएनएससी की बैठक हुई थी, जिसमें रूस की सख्त आलोचना करने वाला प्रस्ताव लाया गया था, उस प्रस्‍ताव पक्ष में 11 देशों ने मतदान किया था, जबकि भारत, चीन और यूएई वोटिंग से अनुपस्थित रहे थे. रूस ने प्रस्ताव को रोकने के लिए वीटो का इस्तेमाल किया था.