'डाकोला पर चीन को नहीं था अंदाजा, भारत से मिलेगा करारा जवाब'
यूरोपीय संसद के उपाध्यक्ष अरेसार्द चारनियेत्सकी ने कहा कि चीन को भारत की इतनी कड़ी प्रतिक्रिया का अंदाजा नहीं था।
highlights
- डाकोला में तनाव पर यूरोपीय संसद के उपाध्यक्ष ने कहा कि चीन को भारत की इतनी कड़ी प्रतिक्रिया का अंदाजा नहीं था
- उपाध्यक्ष अरेसार्द चारनियेत्सकी ने कहा, चीन उस विदेश नीति को अपना रहा है जो अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत मान्य नहीं है
- सिक्किम सेक्टर के डाकोला में भारत-चीन के बीच गतिरोध को एक महीना बीत चुका है
नई दिल्ली:
सिक्किम के डाकोला में भारत-चीन सीमा पर जारी तनाव ने अंतरराष्ट्रीय हस्तियों का भी ध्यान खींचा है। यूरोपीय संसद के उपाध्यक्ष अरेसार्द चारनियेत्सकी ने कहा कि चीन को भारत की इतनी कड़ी प्रतिक्रिया का अंदाजा नहीं था।
चारनियेत्सकी ने ईपी टुडे में लिखे लेख में कहा कि चीन को इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि भारत-भूटान सीमा की रक्षा के लिए इतने कड़क अंदाज में पेश आएगा।
आपको बता दें की सिक्किम सेक्टर के डाकोला (डोकलम) में भारत-चीन के बीच गतिरोध को एक महीना बीत चुका है, जिसका अभी तक कोई समाधान नहीं निकल पाया है।
भारत और चीन की सेनाओं के बीच सिक्किम में जून से विवाद है। यह विवाद उस समय शुरू हुआ, जब चीन ने उस क्षेत्र में सड़क निर्माण का प्रयास किया, जिसे भूटान अपना होने का दावा करता है।
यूरोपीय संसद के उपाध्यक्ष ने कहा, 'चीन उस विदेश नीति को अपना रहा है जो अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत मान्य नहीं है।'
चारनियेत्सकी ने डाकोला विवाद का जिक्र करते हुए लिखा, '16 जून को डाकोला में सड़क बनाने का एकतरफा फैसला उसकी गलत विदेश नीति का हिस्सा है। भूटान ने चीन के इस कदम का सही कूटनीतिक रास्ते के जरिए विरोध जताया था। चीन को इस बात का अहसास था कि भूटान ऐसा की करेगा, लेकिन उसे बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि भारत अपने पड़ोसी भूटान की मदद के लिए इतनी ताकत से आगे आएगा।'
और पढ़ें: सीमा विवाद पर चीन से बात करेंगे अजित डोभाल, 26 जुलाई को बीजिंग दौरा
यूरोपीय संसद के उपाध्यक्ष ने कहा कि सबकुछ चीन की योजना के अनुसार नहीं हुआ। भारतीय सेना ने भूटान सरकार से बात करने के बाद यथास्थिति के लिए कदम उठाया। यही बात संभवत: चीन के अंदाज के परे रही।
उन्होंने कहा, 'भारत के कदम के बाद चीन ने भारत का विरोध करना शुरू कर दिया। चीन का कहना है कि डाकोला से भारतीय सेना हटने तक वह सीमा विवाद पर नई दिल्ली से कोई बात नहीं करेगा।'
चारनियेत्सकी ने कहा, 'चीन को यह समझने की जरूरत है कि सैन्य ताकत और आर्थिक ताकत बढ़ने के साथ-साथ किसी देश को अंतरराष्ट्रीय नियमों का भी पालन करना चाहिए।'
आपको बता दें की चीन सिक्किम के डाकोला को लेकर बार-बार कहा है कि भारतीय सेना वहां से पीछे हटे। साथ ही चीनी मीडिया कई बार 1962 युद्ध की याद दिला चुका है।
और पढ़ें: भारत ने चीन के प्रस्ताव को ठुकराया, कहा- कश्मीर द्विपक्षीय मुद्दा
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