NASA को मिली कामयाबी, स्पेसक्राफ्ट ने 'छोटे चांद' के टुकड़े को खोज निकाला
NASA News: स्पेसक्राफ्ट ने ये जानकारी दी है कि डिंकिनेश अकेला ऐसा नहीं है. इसके चारों ओर चंद्रमा के आकार का दसवां हिस्सा चक्कर लगा रहा है.
highlights
- ये मंगल और बृहस्पति की कक्षाओं के मध्यम में स्थित है
- चंद्रमा के आकार का दसवां हिस्सा चक्कर लगा रहा है
- नासा का यह मिशन एक अद्भुत खोज करने में लगा हुआ है
वॉशिंगटन:
NASA News: अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा ने बड़ी सफलता हासिल की है. नासा के अंतरिक्ष यान लूसी ने स्पेस में बड़ी खोज की है. लूसी की मदद से एक मिनी मून यानी छोटे चांद के टुकड़े को खोज निकाला गया है. ये एस्टेरॉयड डिंकिनेश की परिक्रमा करते हुए दिखाई पड़ा है. वैज्ञानिकों के अनुसार, इस खोज का अर्थ एस्टेरॉयड-डिंकिनेश है. यह एक खुद का चांद है. नासा की ओर से इसकी तस्वीरें सामने आई हैं. स्पेसक्राफ्ट ने ये जानकारी दी है कि डिंकिनेश अकेला ऐसा नहीं है. इसके चारों ओर चंद्रमा के आकार का दसवां हिस्सा चक्कर लगा रहा है.
वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष यान के नजदीक 434 किमी दूर एस्टेरॉयड डिंकिनेश और उसके ”मिनी मून” की तस्वीरें ली हैं. डिंकिनेश और इसका नया चंद्रमा धरती से करीब 300 मिलियन मील यानि 480 मिलियन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. ये मंगल और बृहस्पति की कक्षाओं के मध्यम में स्थित है. स्पेसक्राफ्ट लूसी पर नजर रख रहे हान लेविंसन का कहना है कि कि डिंकिनेश असल में अपने नाम की तरह है.
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मिशन एक अद्भुत खोज करने में लगा हुआ
इथियोपिया की अम्हारिक् भाषा में इसका मतलब है कि आप अद्भुत हैं. नासा का यह मिशन एक अद्भुत खोज करने में लगा हुआ है. आपको बता दें कि इस मिशन की मदद से रहस्यमय क्षुद्रग्रहों का पता लगाया जा सकता है. इस दौरान स्पेसक्राफ्ट लूसी सक्रिय है. इसे सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति के नजदीक भेजा गया. इसे 2021 में लॉन्च किया गया था. यह 2027 तक अंतरिक्ष में रहेगा. मिशन का उद्देश्य 8 क्षुद्रग्रहों का एक समूह है, इसे ट्रोजन नाम से जाना जाता है. इस पर शोध हो रहा है.
कई वर्षों से शोध करने में लगे हुए हैं
एरिजोना विश्वविद्यालय के साइंटिस्टों का कहना है कि पृथ्वी के चारों चक्कर लगाने वाला कामो’ ओलेवा जिसे एस्टेरॉयड कहा जाता था, वह भी चंद्रमा का एक हिस्सा ही है. वैज्ञानिक इस पर कई वर्षों से शोध करने में लगे हुए हैं. ऐसे में यह चांद का संभावित स्रोत हो सकता है. इस पर सिलिकेट की उपस्थिति है. शोध करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि यह हमारे ग्रह के बेहद करीब है. यह हर वर्ष अप्रैल में पृथ्वी का चक्कर लगाता है.
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