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सरकार बदलते ही पाकिस्तान में  डीजल 200 रु. लीटर के पार ! यह है बड़ी वजह

पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन के साथ ही आम जनता को डीजल की बढ़ी हुई कीमत के रूप में 120 रु. प्रति लीटर का चूना लग सकता है. अगर ये बढ़ोतरी हुई तो पाकिस्तान में डीजल की कीमत 200 रुपए के पार जा सकती है.

Updated on: 15 Apr 2022, 04:39 PM

highlights

  • कच्चे तेल की बढ़ती कीमत का असर
  • डॉलर की कीमत बढ़ने से भी बढ़े दाम
  • इमरान सरकार ने वृद्धि पर लगा रखी थी रोक

नई दिल्ली:

पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन के साथ ही आम जनता को डीजल की बढ़ी हुई कीमत के रूप में 120 रु. प्रति लीटर का चूना लग सकता है. अगर ये बढ़ोतरी हुई तो पाकिस्तान में डीजल की कीमत 200 रुपए के पार जा सकती है. इससे पहले, पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने 2022-23 के बजट की घोषणा करते वक्त पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 10 रुपए प्रति लीटर की कमी की घोषणा के साथ ही आगे के लिए कीमतों को फ्रीज करने की घोषणा की थी.

पाक ऑयल एंड गैस रेगुलेटरी अथॉरिटी ने मूल्य बढ़ाने की दी सलाह
दरअसल, पाकिस्तान ऑयल एंड गैस रेगुलेटरी अथॉरिटी (ओगरा) ने पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में 120 रुपये प्रति लीटर (83 प्रतिशत से अधिक) की अभूतपूर्व वृद्धि का सुझाव दिया है, जो 16 अप्रैल से पूरी तरह से आयात की गई लागत की वसूली के लिए प्रभावी है. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को अब यह तय करना होगा कि 28 फरवरी को उनके पूर्ववर्ती इमरान खान द्वारा घोषित चार महीने के मूल्य फ्रीज (30 जून तक) को हटाया जाए या नहीं.

डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपए में गिरावट का भी पड़ा असर
दरअसल, एक तरफ रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से जहां कच्चे तेल की कीमत में भारी उछाल दर्ज हुई है. वहीं, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये में गिरावट का भी असर पाकिस्तान में पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर पड़ा है, जिसके परिणामस्वरूप पेट्रोलियम की कीमतों में 5.54 रुपये प्रति लीटर या 3.03 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले दिनों डॉलर का औसत मूल्य 182.15 रुपये से बढ़कर 188.15 रुपये हो गया है. 

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सूत्रों ने बताया कि नई सरकार एक गंभीर स्थिति में होगी और जनता का समर्थन हासिल करने के लिए कीमतों में वृद्धि नहीं करने का विकल्प चुन सकती है। हालांकि, इन अधिकारियों का मानना है कि पिछली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सरकार ने मार्च के मध्य से पेट्रोलियम की कीमतों को बरकरार रखा था, जिसने अप्रैल के पहले दो सप्ताह के लिए पेट्रोलियम उत्पादों के सब्सिडी बिल को 30 अरब रुपये तक बढ़ा दिया था. अगर मौजूदा सरकार इस नीति को जारी रखने का फैसला करती है, तो उसे 16 से 30 अप्रैल तक सब्सिडी में 30 अरब रुपये और देने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. कुल मिलाकर, तेल की कीमतों को बरकरार रखने के लिए उसे 60 अरब रुपये का बोझ उठाना पड़ेगा. गौरतलब है कि पाकिस्तान में तेल की कीमतों को अपरिवर्तित रखने के निर्णय का कोई कानूनी आधार नहीं था, क्योंकि इसे आधिकारिक रूप से अनुमोदित नहीं किया गया था.