China यूं ही नहीं दे रहा Zero Covid Policy में भारी ढील, साजिश है तिब्बतियों को खत्म करने की
शी जिनपिंग सरकार का कोविड वायरस फैलाने की इस रणनीति का उद्देश्य तिब्बत की आर्थिक स्थिति में सुधार करना नहीं, बल्कि इस वायरस को और तेजी फैला अंततः तिब्बत में तिब्बतियों का सफाया करना है.
highlights
- वॉयस अगेंस्ट ऑटोक्रेसी ने चीन की साजिश का खुलासा कर फोड़ा बम
- कोरोना संक्रमण को तेजी से फैला तिब्बतियों का नरसंहार करने की साजिश
- कोविड प्रतिबंधों में ढील के बाद सिर्फ ल्हासा में 100 से अधिक तिब्बती मरे
ल्हासा:
भले ही ऊपरी तौर पर यही लग रहा हो कि शी जिनपिंग (Xi Jinping) की सख्त जीरो कोविड पॉलिसी (Zero Covid Policy) के खिलाफ आम लोगों के आंदोलन के दबाव में आकर चीन में कड़े कोविड-19 प्रतिबंधों में ढील दी जा रही है, लेकिन हकीकत कुछ और है. वॉयस अगेंस्ट ऑटोक्रेसी ने शी जिनपिंग प्रशासन पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा है कि वास्तव में कोरोना प्रतिबंधों (Corona Restrictions) में ढील देकर तिब्बत में बसे मूल तिब्बतियों के व्यापक पैमाने पर नरसंहार के लिए कोरोना संक्रमण को माध्यम बनाया जा रहा है. वॉइस अगेंस्ट ऑटोक्रेसी ने रेडियो फ्री एशिया का हवाला देते हुए बताया कि जब से बीजिंग ने सख्त कोविड प्रतिबंध हटाए हैं, तब से सिर्फ ल्हासा में कोविड संक्रमण से 100 लोगों की मौत हो चुकी है. बीजिंग की योजना तिब्बतियों को मार उनके परिवारों के लिए दुश्वारियां पैदा करने की है. दिलचस्प बात यह है कि चीन ने अपने नागरिकों को यात्रा करने की इजाजत देते हुए अपनी सभी सीमाएं खोल दी हैं. इस कड़ी में पर्यटन विभाग ने बताया है कि 1 जनवरी 2023 को तिब्बत (Tibet)में शीतकालीन यात्रा अभियान के नए दौर से चीन से ही एक करोड़ से अधिक लोगों ने तिब्बत की यात्रा की. इस पैकेज में ल्हासा के पोटाला पैलेस और तिब्बत के अन्य प्रमुख स्थलों के लिए मुफ्त टिकट शामिल हैं और यह योजना 13 मार्च तक चलेगी.
कोरोना फैला तिब्बतियों का सफाया करना चाहता है जिनपिंग प्रशासन
कोविड संक्रमण से मौतें केवल ल्हासा, तिब्बत और चीन में बढ़ रही हैं. शी जिनपिंग सरकार का कोविड वायरस फैलाने की इस रणनीति का उद्देश्य तिब्बत की आर्थिक स्थिति में सुधार करना नहीं, बल्कि इस वायरस को और तेजी फैला अंततः तिब्बत में तिब्बतियों का सफाया करना है. वॉयस अगेंस्ट ऑटोक्रेसी ने रिपोर्ट किया है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की कोविड नीति को पीआरसी के तहत विभिन्न क्षेत्रों में लागू किया गया था. विशेष रूप से तिब्बत के कब्जे वाले क्षेत्रों में इसे लागू करने के लिए भी किसी तरह की कोई अंतर नहीं बरता गया था. तिब्बतियों द्वारा सोशल मीडिया में शेयर किए वीडियो में दिखाया गया है कि इस वजह से ल्हासा और शिगात्से सरीखे बड़े शहरों में भी कर्मचारियों, भोजन, चिकित्सा उपभोग्य सामग्रियों और बुनियादी ढांचे की जबर्दस्त कमी आई. तिब्बत में जमीनी स्थिति ने तिब्बतियों को अपनी जान देने तक के लिए मजबूर कर दिया. इस पर ल्हासा के मेयर ने सार्वजनिक रूप से प्रशासनिक संचालन में दोष के लिए माफी मांगी. हालांकि इसके लिए पूरी जिम्मेदारी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की है, जो अपनी कोविड नीति की विफलताओं के बावजूद भी उस पर अड़े रहे.
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तिब्बतियों ने दुर्दशा की साझा की तस्वीरें
तिब्बतियों ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से राष्ट्रपति शी की महत्वाकांक्षी जीरो कोविड नीति के अंतर्गत लागू किए गए प्रतिबंधों और अन्य उपायों से उपजी अमानवीय स्थितियों को साझा किया था. फिर भी चीन ने इस जमीनी सच्चाई को स्वीकार नहीं किया. यहां तक कि कोरोना टीके भेजने सहित विदेशी मदद को भी रोक दिया. वॉयस अगेंस्ट ऑटोक्रेसी की रिपोर्ट के अनुसार चीन और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी समेत उसके नेता शी जिनपिंग की यह कार्रवाई स्पष्ट रूप से संकेत देती है कि वे चीनी और अन्य देशों के लोगों के जीवन की परवाह और सम्मान नहीं करते हैं, बल्कि इससे जुड़ी प्रतिष्ठा को अधिक तरजीह देते हैं. यही वजह है कि सख्त जीरो कोविड पॉलिसी से आजिज आम लोगों का ऐतिहासिक भारी विरोध का सामना बीजिंग प्रशासन को करना पड़ा. यह जनांदोलन उरुमकी घटना के बाद और तेज हो गया. यहां तक कि चीन के झेंग्झओ शहर में एप्पल कारखाने में अवैतनिक मजदूरी और शून्य-कोविड नीति के तहत सख्त निगरानी के खिलाफ भी श्रमिकों का गुस्सा फूट पड़ा.
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