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अरुणाचल पर चीन का दावा केवल 'राष्ट्रीय जुनून': चीनी विशेषज्ञ

तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा भारत दौरे पर आए थे जिसके विरोध में चीन ने तिब्बत के हिस्सों का नया नाम रखकर ये दावा करने की पुष्टि की थी कि ये हिस्से चीन के हैं।

Updated on: 04 Aug 2017, 10:53 PM

नई दिल्ली:

डाकोला में चीन और भारत के सैनिकों के बीच चल रहे तनातनी को लेकर चीन के एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा है कि बीजिंग के लिए ये मुद्दा ख़ास नहीं है। विश्लेषक के मुताबिक बीजिंग द्वारा इस मुद्दे पर दिखाई दा जा रहा 'राष्ट्रीय जुनून' ठीक नहीं है। बता दें कि चीन अरुणाचल प्रदेश को तिब्बत का दक्षिणी हिस्सा मानकर उस पर दावा करता है।

चीन ने अप्रैल-2017 में तिब्बत के 6 जगहों का नया नाम रखा था। दरअसल, तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा तब अरुणाचल दौरे पर थे। इसी के विरोध में चीन ने तिब्बत के हिस्सों का नया नाम रखकर ये दावा करने की पुष्टि की थी कि ये हिस्से चीन के हैं।

बाद में चीन की सरकारी मीडिया ने भी इस बात की पुष्टि करते हुए कहा था कि चीन ने इन क्षेत्रों पर अपना अधिकार जताने के लिए सभी जगहों का नया नाम रखा है।

वहीं केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरन रिजिजू जब दलाई लामा के साथ अरुणाचल दौरे पर थे तो उन्होंने भारत की स्थिती साफ करते हुए कहा था कि ये राज्य 'भारत का अभिन्न हिस्सा' है।

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चीन के रणनीतिक विश्लेषक वांग ताओ ताओ ने कहा, 'वैसे चीन और भारत के बीच कई सालों से विवादित क्षेत्र को लेकर संबंधों में उतार-चढ़ाव आता रहा हैं, लेकिन राष्ट्रीय जुनून रहा यह विवादित क्षेत्र चीन के लिए कोई विशिष्ट संपत्ति नहीं है।'

वांग ने चीनी वेबसाइट 'जहीहू डॉट कॉम'पर लिखा, 'वास्तव में इस क्षेत्र का चीन के लिए कोई विशेष महत्व नहीं है।'

यह लेख ऐसे समय आया है जब सिक्किम के डाकोला क्षेत्र में चीनी जवानों द्वारा सड़क निर्माण के प्रयास के बाद से भारत और चीन काफी दिनों से सीमा विवाद में उलझे हैं।

वांग ने लिखा, 'भारत और चीन के बीच सीमा-विवाद निरर्थक है क्योंकि यह विवादित इलाका ऐसा है जहां भारत और चीन दोनों के लिए न सिर्फ विकास करना मुश्किल है, बल्कि इलाके की आर्थिक, राजनीतिक और मैनेजमेंट पर लागत बहुत ही ज्यादा है।'

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वांग ने यह भी कहा कि अरुणाचल को लेकर कोई भी विवाद होता है तो बाकी तिब्बत के लिए ठीक नहीं है। साथ ही इससे अलगाववादी ताकतों को भी बढ़ावा मिलेगा।

उन्होंने लिखा, 'इस मामले में, चीन के लिए वास्तव में इस महत्वहीन हिस्से के लिए भारत के साथ युद्ध करना मुश्किल होगा बशर्ते कि सुरक्षा हितों पर आंच न आए।'

वांग ने तिब्बत को लेकर चीन की नीति पर भी सवाल उठाए। उन्होंने लिखा कि तिब्बत में अलगाववाद अब पहले से ज्यादा ताकतवर हो गया है। वांग ने कहा कि चीन तिब्बत के पहचान से जुड़े मुद्दों का पूरी तरह ख्याल रखने में नाकाम रहा है।

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