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2016 की बढ़त सेंसेक्स ने महज आठ कारोबारी सत्र में गंवा दी है

नोटबंदी और डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद सेंसेक्स ने 2016 की पूरी बढ़त महज आठ दिनों में गंवा दी है।

Updated on: 21 Nov 2016, 03:48 PM

highlights

  • सेंसेक्स ने 2016 की पूरी बढ़त महज आठ दिनों में गंवा दी है
  • पिछले पांच सत्र में सेंसेक्स करीब 1400 अंक तक टूट चुका है

New Delhi:

नोटबंदी और डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद सेंसेक्स ने 2016 की पूरी बढ़त महज आठ दिनों में गंवा दी है। 

सेंसेक्स ने 2016 में जो बढ़त बनाई थी, वह पिछले 8 सेशंस में खत्म हो चुकी है। सोमवार को सेंसेक्स 400 से अधिक अंक तक टूट गया। नोटबंदी के फैसले के लागू होने के बाद और अमेरिकी बॉन्ड दरों में हुई बढ़ोतरी के बाद अधिकांश ब्रोकरेज हाउस ने निफ्टी और सेंसेक्स के टारगेट में कटौती कर दी है।

सोमवार को सेंसेक्स 385.10 अंक टूटकर 25,765.14 पर बंद हुआ जबकि निफ्टी 145 अंक फिसलकर 7929.10 पर बंद हुआ। निफ्टी 8000 के अहम सपोर्ट स्तर को तोड़कर नीचे चला गया।

पिछले पांच सत्र में सेंसेक्स 1367 अंक तक टूट चुका है। जेफ्रीज ने अगले 6 महीनों के लिए निफ्टी के लक्ष्य को घटाकर 7500 कर दिया है। वहीं डॉयचे बैंक ने सेंसेक्स के टारगेट को 27000 से घटाकर 25000 कर दिया है।

अक्टूबर 2016 के बाद से विदेशी निवेशक लगातार बिकवाली कर रहे हैं। 18 नवंबर तक पिछले डेढ़ महीने में विदेशी निवेशक 14,147 करोड़ रूपये की बिकवाली कर चुके हैं। डॉयचे बैंक का मानना है कि दिसंबर के आखिर तक सेंसेक्स 4 फीसदी टूटकर 25,000 पर रुकेगा। वहीं जेफ्रीज ने निफ्टी के टारगेट को घटाकर 7500 कर दिया है।

बाजारों में आई गिरावट की प्रमुख वजह सेंसेक्स के टारगेट में कटौती रही। डॉयचे बैंक ने सेंसेक्स के टारगेट को 27000 से घटाकर 25000 कर दिया है। अमेरिकी डॉलर में आई मजबूती और अमेरिकी बॉन्ड दरों में जारी उछाल की वजह से उभरती अर्थव्यवस्थाओं से निवेश का बाहर जाना जारी है। 

दुनिया की सभी उभरती अर्थव्यवस्थाओं से फंड की निकासी का दौर जारी है। ट्रंप के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद निवेशक अमेरिकी स्टॉक को खरीदने में पैसा लगा रहे हैं।