चंबा शहर के नीचे भूमिगत सुरंग तैयार, नितिन गडकरी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दी अनुमति
केंद्रीय सडक परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने सीमा सडक संगठन (बीआरओ) द्वारा चारधाम परियोजना के अंतर्गत ऋषिकेश-धरासू हाइवे पर टिहरी जिले के चंबा कस्बे में तैयार 440 मीटर लंबी भूमिगत सुरंग खोले जाने की वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अनुमति दी.
ऋषिकेश:
केंद्रीय सडक परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने सीमा सडक संगठन (बीआरओ) द्वारा चारधाम परियोजना के अंतर्गत ऋषिकेश-धरासू हाइवे पर टिहरी जिले के चंबा कस्बे में तैयार 440 मीटर लंबी भूमिगत सुरंग खोले जाने की वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अनुमति दी. केंद्रीय मंत्री की अनुमति मिलने के बाद बीआरओ के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह ने फ्लैग आफ करते हुए चंबा शहर में 440 मीटर लम्बी भूमिगत सुरंग के ओरछोर को मिला दिया.
बीआरओ की ऋषिकेश स्थित शिवालिक परियोजना के मुख्य अभियंता आशु सिंह राठौड ने बताया ने बताया कि टनल के चालू हो जाने के बाद इसमें अब सीमेंटिंग व कन्क्रिटिंग का काम होगा जो अक्टूबर 2020 तक पूरा हो जाएगा. उन्होंने बताया कि सुरंग तैयार करने के काम में बहुत जोखिम था क्योंकि सुरंग के उपर चंबा शहर बसा हुआ है और निर्माण के दौरान जमीन धँसने का जोखिम था.
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लेकिन टनल के उत्तरी व दक्षिणी पोर्टल को मिलाने का कार्य कोविड-19 एवं लॉकडाउन के प्रोटोकॉल के साथ पूरा किया गया. सुरंग निर्माण कार्य जनवरी 2019 में शुरू हुआ था. चार सौ चालीस मीटर लंबी सुरंग एवं 4.2 किमी पहुँच मार्ग को 87 करोड़ की लागत से प्रोजेक्ट शिवालिक द्वारा तैयार किया जाएगा.
राठौड़ ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी की करीब 1200 करोड़ रु की लागत की इस ड्रीम प्रोजेक्ट में बीआरओ की प्रोजेक्ट शिवालिक के पास गंगोत्री एवं बदरीनाथ धाम की 249 किलोमीटर लंबी सर्वमौसमानुकूल सड़क बनाने का प्रावधान है. इस सुरंग के तैयार होने पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने केंद्रीय मंत्री गड़करी के प्रति आभार प्रकट करने के साथ ही बीआरओ के अधिकारियों, इंजीनियरों और कर्मचारियों को भी बधाई दी और कहा कि यह भी आत्मनिर्भर भारत का ही एक रूप है.
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देहरादून में जारी एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, रावत ने कहा कि इस सुरंग से न केवल चम्बा में जाम से मुक्ति मिलेगी बल्कि गंगोत्री और यमुनोत्री का सफर भी आसान होगा. उन्होंने कहा कि इससे क्षेत्र के लोगों को बड़ी राहत मिलगी और वहां आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि होगी. उन्होंने कहा कि कोविड-19 जैसी महामारी के समय बीआरओ के अधिकारियों, इंजीनियरों और कर्मचारियों ने इस सुरंग के निर्माण से देश के विकास में बड़ा योगदान दिया है और यह भी आत्मनिर्भर भारत का ही एक रूप है.
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