अयोध्या में राम मंदिर के लिए दलित पुजारी चाहता है विहिप
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए केंद्र सरकार अभी ट्रस्ट गठित करने में जुटी है. इसी ट्रस्ट के जरिए पुजारियों का भी चयन होना है.
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए केंद्र सरकार अभी ट्रस्ट गठित करने में जुटी है. इसी ट्रस्ट के जरिए पुजारियों का भी चयन होना है. विश्व हिंदू परिषद का मानना है कि दलित पुजारी की नियुक्ति के जरिए सामाजिक समरसता का बड़ा संदेश दिया जा सकता है. विहिप का यह भी कहना है कि मंदिर का निर्माण सरकार नहीं समाज के पैसे से होगा.
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विहिप के प्रवक्ता विनोद बंसल ने आईएएनएस से कहा, "अब ट्रस्ट आदि का काम सरकार को करना है. इसमें हमारा कोई हस्तक्षेप नहीं होगा. यदि दलित पुजारी की नियुक्ति होती है तो स्वागत है. विहिप दलित पुजारियों को तैयार करने में लंबे समय से जुटा हुआ है. विहिप में धर्माचार्य संपर्क विभाग और अर्चक पुरोहित विभाग बनाकर काफी समय से अनुसूचित वर्ग के लोगों को पूजा-पाठ के लिए प्रशिक्षित कर पुजारी बनाने का अभियान चलाया जा रहा है."
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अतीत की बात करें तो राम मंदिर आंदोलन से दलितों को जोड़ने के लिए संघ, विहिप जैसे संगठन शुरुआत से ही लगे हैं. नौ नवंबर, 1989 को जब राम मंदिर का शिलान्यास हो रहा था तब पहली ईंट बिहार के दलित कार्यकर्ता कामेश्वर चौपाल के हाथों रखवाई गई थी. इसके जरिए राम मंदिर आंदोलन के पीछे संपूर्ण हिंदू समाज के खड़ा होने का संदेश दिया गया था.
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, तीन महीने यानी नौ फरवरी तक केंद्र सरकार को राम मंदिर निर्माण का ट्रस्ट बनाना है. विश्व हिंदू परिषद चाहता है कि ट्रस्ट में राजनीतिक लोग न शामिल रहे. फिर ट्रस्ट में कौन शामिल होगा? बंसल ने कहा, "राम मंदिर निर्माण आंदोलन को सफल बनाना संगठन का काम रहा. भगवान राम की कृपा और कोर्ट के फैसले से मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो गया है. अब ट्रस्ट बनाना सरकार का काम है, सरकार को जो उचित लगे वह करे. वैसे भी यह संकल्पित सरकार है, इस नाते जो होगा सब अच्छा होगा."
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