दुस्साहस: यूपी के प्रतापगढ़ जिले में प्रॉपर्टी के लालच में भाई ने भाई की हत्या की
मामला प्रतापगढ़ के पट्टी कोतवाली का है, जहां जैतापुर गांव में एक भाई ने संपत्ति के लिए अपने ही बड़े भाई की हत्या कर दी. इस कलयुगी भाई ने देर रात दरवाजे पर सो रहे अपने बड़े भाई को धारदार हथियार से गला रेत कर मौत के घाट उतार दिया.
नई दिल्ली:
कहते हैं कि कलियुग में संपत्ति के लिए भाई ही भाई की हत्या कर देगा, सोमवार को यह काहानी उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में चरितार्थ होती दिखाई दी. जहां एक छोटे भाई प्रॉपर्टी के लालच में अपने बड़े भाई की हत्या कर दी. मामला प्रतापगढ़ के पट्टी कोतवाली का है, जहां जैतापुर गांव में एक भाई ने संपत्ति के लिए अपने ही बड़े भाई की हत्या कर दी. इस कलयुगी भाई ने देर रात दरवाजे पर सो रहे अपने बड़े भाई को धारदार हथियार से गला रेत कर मौत के घाट उतार दिया.
पुलिस अधीक्षक का दावा है कि उदयराज अपने बड़े भाई 60 वर्षीय राम अभिलाष यादव की हत्या के बाद अस्पताल लेकर पहुचा जहा डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. इसी बीच हत्या की सूचना पर इलाकाई पुलिस मौके पर पहुची तो छोटा भाई हीरालाल जो अलग रहता है ने बताया कि सीएचसी पट्टी ले गए है. पुलिस सीएचसी पहुच कर शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और उच्चाधिकारियों को पूरी घटना से अवगत कराकर पुलिस की टीम मामले की तहकीकात में जुट गई है. इस मामले में उदयराज ने अपनी बेटी के प्रेमी को निशाना बनाते हुए गांव के ही बृजेश वर्मा के खिलाफ तहरीर दी.
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मौके पर पहुंचे पुलिस अधीक्षक व अपर पुलिस अधीक्षक पूर्वी सुरेंद्र द्विवेदी ने पुलिस को मामले की बारीकी से अध्ययन करने और कारण पता करने का निर्देश दिया तो सक्रिय हुई पुलिस ने हकीकत खंगाली, हत्यारा भाई पुलिस की सख्ती पर टूट गया और हत्या में प्रयुक्त चाकू और हथौड़ी उसकी निशानदेही पर बरामद हुई. पुलिस अधीक्षक ने बताया कि मृतक राम अभिलाष यादव अपने तीन भाइयों में सबसे बड़ा था जिसके बीबी बच्चे नही थे और उदयराज के साथ रहता था, जिसके चलते उदयराज को अपेक्षा थी कि उसके हिस्से की प्रॉपर्टी उसे मिलेगी, लेकिन मृतक वसीयत के जरिए अपने हिस्से की आधी प्रॉपर्टी दूसरे भाई हीरालाल को भी देना चाहता था.
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इसी बात को लेकर सप्ताह भर पहले दोनों भाइयों में कहासुनी हुई तो राम अभिलाष ने उदयराज को एक थप्पड़ मार दिया था. एक तो प्रॉपर्टी का लालच ऊपर से थप्पड़ की कसक ने उदयराज को अंधा बना दिया और अपने ही भाई के खून से हांथों को लाल कर लिया. लेकिन नियति का खेल देखिए कि उदयराज को न माया मिली न राम और पहुच गया सलाखों के पीछे. यहा यह कहावत चरितार्थ होती है कि लालच लै परलोक नसावै. मृतक भतीजी गमजदा है हालांकि उसका कहना है ताऊ बाहर सो रहे थे रात एक बजे मम्मी और चाची के रोने की आवाज सुनकर हम जाग गए बाहर आये तो देखा कि ताऊ की हत्या हो गई है.
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